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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कृतकर्म कृतकर्मा काल तक सेवा करने की प्रतिज्ञा करने वाला दास, एक प्रकार का पाँसा । वि० कृतक (सं० ) कृत्रिम | कृतकर्म - कृतकर्मा - वि० यौ० (सं० ) कार्यक्षम, निपुण, कृतकाम (हि० ) शिक्षित, दक्ष । कृतकार्य - वि० सं०) सफल - मनोरथ, सिद्ध-प्रयोजन | www.kobatirth.org कृतकृत्य - वि० (सं० ) जिसका काम पूरा हो चुका हो, कृतार्थ । कृतघ्न - दि० (सं० ) किए हुए उपकार को न मानने वाला, कृतनी (दे० ) अकृतज्ञ | कृतघ्नता संज्ञा, स्त्री० (सं० ) प्रकृतज्ञता, ܕ 58 उपकार न मानने का भाव । कृतज्ञ - वि० (सं० ) किये हुए उपकार को मानने वाला, एहसानमन्द | संज्ञा, स्त्री० (सं० ) कृतज्ञता - एहसानमन्दी | कृतयुग - संज्ञा, पु० ० (सं० ) सतयुग जो १७२८००० वर्षों का होता है । कृतवर्मा - संज्ञा, पु० (सं० ) यदुवंशी राजा कनक का पुत्र, महाभारत का कौरव पक्षीय एक वीर राजा । कृतविद्य - वि० (सं० ) किसी विद्या में अभ्यास प्राप्त, पंडित । " शूरोऽसि कृतविद्योऽसि कृतहीन - वि० (सं० ) कृतघ्न, कृतघ्नी (दे० ) कृतज्ञ | कृतवीर्य - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) एक यदुवंशी राजा । कृताञ्जलि - वि० यौ० (सं० ) हाथ जोड़े हुए, वृद्धाञ्जलि । कृतांत - संज्ञा, पु० (सं० ) अंत या समाप्त करने वाला, यम, धर्मराज, पूर्व जन्म कृत शुभाशुभ कर्म-फल, मृत्यु, पाप, देवता, दो की संख्या, शनिवार, भरणी नक्षत्र । कृतात्यय - संज्ञा पु० (सं० ) भोग द्वारा कर्मों का नाश ( सांख्य० ) । कृतार्थ - वि० ० (सं० ) कृतकृत्य, सफल भा० श० को ० - ६२ I Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कृपा होशियार, मनोरथ, संतुष्ट, कुशल, निपुण, कामयाब, कृतकार्य | कृति - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) करतूत, करणी, काम, आघात, क्षति, इंद्रजाल, जादू, दोसमान अंकों का घात, वर्ग संख्या (गणि०), बीस की संख्या, डाकिनी, कटारी, एक छंद । कृती - दि० (सं० ) कुशल, निपुण, साधु, पुण्यात्मा । कृति - संज्ञा, स्त्री० (सं०) मृगचर्म, भोजपत्र, कृत्तिका नक्षत्र | कृतिका - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) २७ नक्षत्रों में से तीसरा. छकड़ा | वृत्तिवास - संज्ञा पुं० (सं० ) महादेव, चर्मधारी । कृत्य - संज्ञा, पु० (सं० ) कर्तव्य कर्म, वेदविहित, श्रावश्यक कार्य, जैसे यज्ञ, करनी, करतूत, श्रभिचारार्थ पूजे जाने वाले भूत, प्रेतादि । कृत्यका - संश, स्त्री० (सं० ) इत्यादि भयानक कार्य करने वाली । कृत्या संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक भयंकर राक्षसी जिसे तांत्रिक अपने अनुष्ठान से शत्रु के नष्ट करने को भेजते हैं, श्रभिचार, दुष्टा या कर्कशा स्त्री । कृत्रिम - वि० (सं० ) नक़ली, १२ प्रकार के पुत्रों में से एक, दूसरे के द्वारा पाला गया बालक | संज्ञा, पु० ( सं० ) रसौत | कृदंत - संज्ञा, पु० (सं०) धातु में कृत प्रत्यय लगाने से बना शब्द, जैसे नंदन । कृपण ( कृपिण, संज्ञा, पु० (सं०) कंजूस, सूम, क्षुद्र | संज्ञा, स्त्री० (सं०) कृपणताकंजूसी, (दे० ) कृपिन, कृपिनता, कृपनाई (दे० ) किरपिन ( ग्रा० ) । कृपया -- क्रि० वि० ( सं० ) कृपापूर्वक, मिहरबानी करके | For Private and Personal Use Only कृपा – संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बिना किसी प्रतिकार की आशा के दूसरे के हित करने
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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