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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अग्निपुराण अग्रगार्म ( प्राचीन विधान ) सोने चाँदी को श्राग | यज्ञ का रूपान्तरित अग्नि सम्बन्धी वेदोत्त में तपा कर परखना, सीता ने यह परीक्षा | अग्निस्तवन, एक यज्ञ । दी थी। अग्निष्वात्त--संज्ञा, पु० (सं० ) मरीच-पुत्र अग्निपुराण- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अठारह देवताओं के पूर्वज । पुराणों में से एक, अग्निसंस्कार- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) अग्नि-बाण-आग की ज्वाला प्रगटाने वाला तपाना, जलाना, शुद्धि के लिये अग्निबाण । स्पर्श करना, मृतक-दाह । अग्निवायु-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) पित्ती, अग्निहोत्र-संज्ञा, पु० (सं० ) वेदोक्त मंत्रों रिस पिती, रक्तपित्ती का रोग। से अग्नि में श्राहुति देने की क्रिया। अग्निवीज-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सोना, अग्निहोत्री-संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) अग्नि"र" वर्ण । होत्र करने वाला, ब्राह्मणों का एक " का ऽग्निवीजस्य षष्टी '- वैद्य जीवन जाति भेद। अग्निमणि - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) सूर्य अग्न्याधान- संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) वेदोक्त कान्तमणि, आतिशी शीशा । अग्नि-संस्कार, अग्निहोत्र, अग्नि-रक्षण । अग्निमंथ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अरणी | अन्यास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) आग वृक्ष, यज्ञार्थ अग्नि निकालने का अरणी निकालने वाला अस्त्र, आग्नेयास्त्र, भाग नामक यंत्र । से चलने वाला अस्त्र, बन्दूक । अग्निमुख-संज्ञा. पु० यो (सं० ) देवता, अन्युत्पात-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्राग ब्राह्मण, प्रेत, चीते का पेड़। लगना, आग बरसना. धूमकेतु, उल्काअग्निमांद्य-संज्ञा, पु० (सं०) मंदाग्नि, . पात॥ भूख न लगना। प्रग्य-संज्ञा, पु० (दे० ) सं० अज्ञ-मूर्ख । अग्नियंत्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) बन्दूक, अग्या-संज्ञा, स्त्री० (दे० सं० आज्ञा ) तोप, तमंचा। हुक्म, अाज्ञा " अग्या सिर पर नाथ अग्निलिंग- संज्ञा, पु० (सं० ) भाग के तुम्हारी" रामा० वि०-(सं० प्रज्ञा ) मूर्खा । लपट की रंगत, और उसके मुकाव को देख अग्यारी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अग्नि+ कर शुभाशुभ फल कहने की विद्या। कार्य ) अग्नि में धूपादि सुगंधित द्रव्य अग्निवल्लभ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सारक डालना, धूपदान, अग्निकुंड । का पेड़, या गोंद। अगियारी-(दे०) धूप, धूपदान । अग्निवंश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अग्निकुल । अग्र-संज्ञा, पु० (सं० ) आगे, श्रागे का अग्निशाला-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) भाग, अगला हिस्सा, अगुवा, सिर, शिखर अग्निहोत्र का स्थान । एक राजा का नाम, मुखिया कि० वि० अग्निशिखा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) भाग आगे, प्रथम, श्रेष्ठ, उत्तम । की लपट, कलियारी। अग्रगण्य-वि० (सं० अग्र+गगय ) सबसे अग्निशुद्धि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) भाग प्रथम गिनाजाने वाला नेता, प्रधान, छुलाकर किसी वस्तु को शुद्ध करना, अग्नि- मुखिया. श्रेष्ठ, उत्तम । परीक्षा। अग्रगामी-संज्ञा, पु. ( सं० ) आगे जाने अग्निष्टोम-संज्ञा, पु. (सं.) ज्योतिष्टोम | या चलने वाला, नेता। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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