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किरीरा
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किरीरा - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० क्रीड़ा ) खेल, कौतुक, सहि हंस श्री करहि किरीरा " किर्तनिया - संज्ञा, पु० दे० ( सं० कीर्तन ) कीर्तन करने वाला |
-प० ।
किर्मीर - संज्ञा, पु० (सं० ) भीम द्वारा मारा गया एक राक्षस । किल - अव्य० (सं० ) निश्चय, सचमुच । किलक - संज्ञा, स्त्री० ( हि० किलकना) हर्ष - ध्वनि करने की क्रिया, प्रभा, किलकार । संज्ञा, स्त्री० ( फा०-किलक ) एक प्रकार का नरकट जिसकी क़लम बनती है । किलिक (दे० ) । किलकना - ० क्रि० दे० (सं० किलकिल ) हर्ष - ध्वनि करना | "किलकत. हँसत, दुरत,
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प्रगटत मनु सूर किलकार -- संज्ञा स्त्री० ( हि० किलक ) हर्ष ध्वनि । स्त्री० किलकारी । किलकिंचित संज्ञा, पु० (सं० ) संयोग शृंगार के ग्यारह हावों में से एक, जिसमें नायिका एक साथ कई भाव प्रगट करती है । " हरप, रब, अभिलाष, श्रम, हास, रोप, अरु भीति । होत एक ही संग सो, किलकिंचित की रीति ॥ " मति० । किलकिल संज्ञा स्त्री० (दे० ) झगड़ा, बाद-विवाद |
किलकिला-संज्ञा स्त्री० (सं०) हर्प - ध्वनि, किलकारी, बानरों का शब्द | संज्ञा, पु० ( सं० कृकल ) मछली खाने वाली चिड़िया, संज्ञा, पु० ( अनु० ) समुद्र का वह भाग जहाँ तरंगें शब्द करती हों । किलकिलाना ( - अ० क्रि० ( हि० ) प्रमोदध्वनि करना, चिल्लाना । हल्ला-गुल्ला या झगड़ा करना, वाद-विवाद करना | किलकिलाहट - संज्ञा, स्त्री० ( हि० ) किलकिलाने का भाव । किलना - अ० क्रि० ( हि० कील ) कीलन होना, कीला जाना, वश में किया जाना,
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किल्ली
गति का अवरोध होना | संज्ञा, पु० (दे० ) एक छुद्रजन्तु |
किलनी -- संज्ञा, स्त्री० (दे० ) पशुओं की देह में चिपटने वाला एक छुद्र कीड़ा । किलबिलाना- -प्र० क्रि० ( दे० ) कुलबुलाना । किलवाँक - संज्ञा, पु० ( दे० ) एक प्रकार काली घोड़ा |
किलवाना - स० क्रि० (हि० किलना का प्रे० रूप) कील जड़ाना या लगवाना, तंत्र-मंत्रद्वारा भूत-प्रेत की वाधा को शान्त कराना । किलवारी - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० कर्ण ) पतवार, कक्षा, छोटा डाँड़ । किलविष-संज्ञा, पु० दे० (सं० किल्विष ) पाप, रोग, दोष ।
किलहंटा - संज्ञा, पु० (दे० ) एक प्रकार का सिरोही पक्षी ।
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फ़िल - संज्ञा, पु० ( ० ) दुर्ग, गढ़, कोट, सुदृढ़ स्थान ( सेना का ) संज्ञा, पु० किलेदार- दुर्गपति । यौ० किताबन्दी - दुर्गनिर्माण, मोरचाबन्दी, व्यूह-रचना । किलाना ० क्रि० ( दे० ) किलवाना | किलावा - संज्ञा, पु० ( फ़ा० कलावा ) हाथी के गले का रस्सा जिसमें पैर फँसा कर महावत उसे चलाता है ।
किलोल संज्ञा, पु० दे० ( सं० कलोल ) कल्लोल, मौज, आमोद-प्रमोद | किल्लत - संज्ञा, स्त्री० ( अ० ) कमी, तड़ी | किल्ला - संज्ञा, पु० ( हि० कील ) बड़ी कील, खूँटा ।
किल्ली -संज्ञा, स्त्री० ( हि० कील ) कील, खूँटी, सिटकिनी, किल्ली, किसी कल या पेंच की मुटिया, अर्गल ।
मु० - ( किसी की ) किल्ली (कील ) किसी के हाथ में होना- किसी का किसी पर वश होना। किल्ली घुमाना ( ऐंठना ) - दाँव या युक्ति लगाना ।
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