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कन्दल
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कंपायमान
कामदेव, मदन, ११ प्रतालों में से एक संज्ञा, पु. घोड़े की एक जाति । (सं० कंधार) ताल ( संगीत )। “ कंदर्प-दर्प-दलने । कंदहार, कहार, मल्लाह, गाँधार । " जाकहँ विरला समर्थाः "....."भत । । ऐस होइ कंधारा''-५०।। कन्दल-वि० (सं० कंद । ला+ड्) उप- कंधावर--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० कंधा+ राग, नवांकुर विवाद, कलह, सोना, कंपाल। अवर-प्रत्य०) कन्हावर (दे० ) बैल के यौ० कंदल कंद - सूरन ।।
कंधे पर रहने वाला जुए का भाग, कंधे का कंदला-संज्ञा, पु. (सं० कंदल-सेना) दुपट्टा । सोने या चाँदी का तार, या तार खींचने का कंधि-संज्ञा, पु० (दे० ) समुद्र, मेघ । पाँसा, टैनी, गुल्ली, तारकश के तार खींचने कॅधियाना-- स. क्रि० (दे०) कंधे पर की चाँदी की लम्बी छड़।
रखना,..... बासहू बदलि पट नील कॅधिकन्दलित-वि० (सं०) अंकुरित, प्रस्फुटित। याये हौ"- रत्नाकर । कन्दसार-संज्ञा, पु० (हि.) मृग, हरिण, ऊँधेला--संज्ञा, पु० (दे० कंधा + एलानंदनवन।
प्रत्य० ) कंधे पर पड़ने वाला, स्त्रियों की कंदा--संज्ञा, पु० दे० (सं० कंद ) कंद, मूल, साड़ी का भाग । स्त्री० कँधेली-जीन, जड़, अरुई, घुइयाँ, शकरकंद ।
खोगीर, गठिया। कंदासी-संज्ञा, पु० (दे० ) पियावासा कंधैयाँ-संज्ञा, पु. ( दे०) कन्हैया, कृष्ण । नामक औषधि ।
कंप--संज्ञा, पु० (सं०) कँपकँपी, कांपना, कंदु-संज्ञा, पु. ( सं० कंद+ड) लोहमय, सात्विक अनुभावों में से एक । संज्ञा, पु. पाकपात्र।
( अ० कैंप ) पड़ाव, लश्कर । यौ० कंपकंदुक-संज्ञा, पु० (सं० ) गेंद, गोल ज्वर--संज्ञा, पु० जूड़ी का बुख़ार । तकिया, गेंडुश्रा, सुपारी, पुंगीफल, एक कँपकँपी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. काँपना) प्रकार का वर्णवृत्त । " कंदुक इव ब्रहमाँड थर थराहट, संचलन ।। उठाऊँ"-रामा०।
कंपन-संज्ञा, पु० (सं० ) कँपकँपी, स्पंदन । कंदला-वि० ( हि० काँदो पू० हि० कँदई + कंपना-अ० कि० (सं० कंपन ) हिलना,
ला-प्रत्य० ) मलीन, कीचड़- युक्त, गंदला। डोलना, भयभीत होना। कंदोरा- संज्ञा, पु० दे० ( हि० कटि+डोरा) कंपनी-संज्ञा, स्त्री० (अ.) कई व्यक्तियों कमर का तागा. करधनी ।
की व्यापारार्थ समिति। कंध*- संज्ञा, पु० दे० ( सं० स्कंध ) डाली, कंपमान-वि० (सं०) कंपायमान, सकम्प । कंधा।
कंपवायु-संज्ञा, पु. (सं० ) एक प्रकार कंधनी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० कटि बंधनी) का वायु रोग, जिसमें शरीर काँपता किंकिणी, मेखला, करधनी।
रहता है। कंधर---संज्ञा, पु. (सं० ) गरदन, ग्रीवा, | कंपा-संज्ञा, पु० (हि. कंपना ) बाँस की बादल, मुस्ता, मेथा।
पतली तीलियाँ जिन में बहेलिये लासा कंधा--संज्ञा, पु० दे० ( सं स्कंध ) गले और लगा कर चिड़ियों को फँसाते हैं। बाहु-मूल के बीच का देह-भाग, बाहु-कँपाना-स० क्रि० (हि. काँपना का प्रे. मूल, मोढा।
रूप) हिलाना डुलाना, भय दिखाना । कंधारी---वि० ( हि० कंधार-एक देश ) गाँधा-कंपायमान-वि० (सं० ) हिलता हुआ, रीय (सं० ) कंधार देशोत्पन्न, कंधार का ।। अकंपित कंपमान ।
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