SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 389
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंठीरव ३७८ कंदर्प " भूखे भगति न होंय गोपाला। लैलो | कंडुन–वि० (सं० ) कडू या खुजली को श्रापन कंठी-माला।" नाशकारक दवा। मु०-कंठी लेना ( नीच जाति, शूद्रों का ) कडूति -- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) खुजलाहट । यज्ञोपवीत जैसा संस्कार, भक्त होना, गुरु- कंडेरा-संज्ञा, पु. ( दे०) लाठी, डंडा भक्त होना । कंठी देना--गुरु-मंत्र देना। बनाने वाली एक जाति । शिष्य करना, गुरु होना । वि०-- कंडोल-संज्ञा, पु० ( दे० ) बाँस का बना कंठवाली - जैसे कोकिल कंठी । संज्ञा, हुआ एक पात्र, बँसोला। स्त्री० तोते आदि के गले की रेखा, हँसली। कंडोरा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० कंडा। कंठीरव - संज्ञा, पु० (सं०) सिंह, व्याघ्र,शेर । | ौरा---प्रत्य० ) कंडे पाथने की जगह, कंडा कंठोष्ठय-वि० (सं० ) कंठ और अोष्ठ | रखने का स्थान । ( ओंठ ) के सहारे से उच्चरित होने वाले कण्व-संज्ञा, पु० (सं० ) शकुंतला के वर्ण, जैसे, श्रो, औ। । पालक पिता, एक ऋषि । कंठय-वि० (सं० ) गले से उत्पन्न, कंठ केत* --संज्ञा, पु. (दे० ) कांत (सं०) से उच्चरित, गले या स्वर के लिए हितकर। पति, स्वामी, प्रिय, ईश्वर । संज्ञा, पु० (सं.) कंठ से बोले जाने वाले कथा-संज्ञा स्त्री० (सं० ) गुदड़ी, कथरी, वर्ण, अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह और "क्वचित्कंथाधारी, क्वचिदपिच पर्यक शयनः" विसर्ग। -भत । (दे० ) कंथ । कंडरा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) रक्त की मोटी कंथी-संज्ञा, पु० ( हि० ) गुदड़ी वाला, नाड़ी। जोगी साधु । कंडा--संज्ञा, पु० दे० ( सं० स्कंदन ) गोबर कंद-संज्ञा, पु० ( सं० ) बिना रेशे की गूदे की सूखी उपली जो जलाया जाता है। दार जड़, जैसे सूरन, शकरकंद, श्रोल, गाजर, स्त्री० कंडी-उपली। मूली, लहसुन, बादल, बिदारी कंद, ज़मी मु०-कंठा होना--सूखना, दुर्बल होन , ! कंद, १३ अत्तरों का एक वर्णिकवृत्त, छप्पय मर जाना अकड़ जाना, भूख से व्याकुल | के ७१ भेदों में से एक । संज्ञा, पु. ( फा० ) होना। उपला, सूखामल, सुद्दा, गोटा। जमाई हुई चीनी, मिश्री, मूल, जड़ । कंडाल-संज्ञा, पु० दे० (सं० करनाल ) यो० कंद वर्धन-संज्ञा, पु० (सं०) मूल । नरसिंह, तुरही तूरी। संज्ञा, पु० (दे०) केद-मूल-संज्ञा, पु० (सं०) मुनि-भोजन । पानी रखने का लोहे या पीतल का बड़ा " कंद-मूल-फल अमिय अहारु "- रामा० । और गहरा बरतन । कंदन-- संज्ञा, पु० (सं० ) नाश, ध्वस्त । कंडोल कंदील - संज्ञा, स्त्री० (अ० कंदील ) | केइरा-- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) गुफा, गुहा, ऊपर के मुंह वाली मिट्टी, अबरक या काग़ज कंदर (दे०) । संज्ञा, पु. कंदर-कंद-मूल । की बनी लालटेन । " कंदर खोह नदी नद नारे ''—रामा० । कंडु संज्ञा, स्त्री० (सं० ) खुजली, खाज, . कंदरान- संज्ञा, पु० (सं० ) पर्कटी वृक्ष, खर्जन, कंडू (सं.)। वि० कंडूयमान-- पाकर या अखरोट का पेड़। बहु० व० खुजलाता हुआ "कंडूयमानेन कटं कदाचित् गुफायें। रघु० । कंदराल - संज्ञा, पु. ( सं० ) पाकर, कंडुपुष्पी-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) शंखाहूली. हिंगोट वृक्ष । सखौली, एक जड़ी। कंदर्प-संज्ञा, पु. (सं० कं + दृप् + अच् ) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy