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कँगूरा
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कंटकप्रावृता संज्ञा० स्त्री० भा० ---कंगालो-निधनता, | अंगिया । संज्ञा, पु० (सं० कंचुकिन् ) अंतःदरिद्रता । स्त्री० कँगालिन । यौ० -- पुर रक्षक, रनिवास के दास-दासियों का कँगालगंडा-ग़रीब शौकीन और | अध्यक्ष । कँचुवा (दे०)। बदमाश ।
कंचुरि (कंचुलि ) --संज्ञा, स्त्री० ( दे०) कंगाल बांका-दरिद्र अभिमानी। __ केंचुल, केंचली। कँगूरा--संज्ञा, पु० (फा० कुगरा) शिखर, कँचेरा-संज्ञा, पु० दे० (हि० कांच+एरा
चोटी, किले की दीवार पर थोड़ी थोड़ी| प्रत्य० ) काँच का काम करने वाला । दूर पर बने बुज जहाँ से सिपाही लड़ते स्त्री० कॅचेरिन । हैं, बुर्ज, गहनों में छोटा रवा । वि. कंज ---- संज्ञा, पु० (सं०) ब्रह्मा, कमल, कगूरेदार।
अमृत, चरण की एक रेखा, केश, सिर के कंघा-संज्ञा, पु० दे० (सं० कंक) लकड़ी, बाल, पद्म । सींग या धातु की दाँतेदार वस्तु जिससे कंजई-वि० (हि० कंजा ) कंजे के रंग का, बाल साफ़ किये जाते हैं, करघे में भरनी के खाकी । संज्ञा, पु० - खाकी रंग, कंजई रंग तागों को कसने का एक यंत्र, बय, बौला। की आँख वाला घोड़ा। स्त्री० अल्पा०-कंघी, अतिबला, एक दवा। कंजड़ ( कंजर ) -संज्ञा, पु. (दे०) या मु०-कंघी चोटी ( करना )-- बनाव कालंजर ) रस्सी, सिरकी आदि बनाने और सिंगार करना।
बेचने वाली जाति । स्त्री० कंजड़िन । कॅघेरा-संज्ञा, पु. ( हि० कंघा-+ एरा- वि० नीच, तुच्छ। प्रत्य० ) कंघा बनाने वाला । स्त्री० कंजा-संज्ञा, पु० दे० (सं० करंज) एक कँघेरिन ।
वृक्ष जिसके फल दवाओं में पड़ते हैं, करंकंच-( कांच)- संज्ञा, पु० (दे० ) जुवा। वि० कंजे के रंग का, भूरा, गहरे काँच, शीशा।
खाकी रंग का, भूरे नेत्र वाला। स्त्री० कंचन---संज्ञा, पु० दे० ( सं० कांचन )सोना, -कंजो।
कंजावलि-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक प्रकार मु०-कंचन बरसना- (किसी स्थान का ) | का वर्णवृत्त । यौ० कमल पंक्ति। समृद्धि और शोभायुक्त होना । कंचन कंजूस-वि० दे० ( सं० कण + चूसबरसाना-बहुत कुछ धनादि देना। हि० ) कृपण, सूम । संज्ञा, स्त्री० कंजूसी। "तुलसी" तहाँ न जाइये, कंचन बरसै मेह" कंट (कंटक)- संज्ञा, पु० ( सं० कंटणक् ) धन, संपत्ति, कचनार, धतूरा, रक्त कांचन । काँटा, सुई की नोक, विघ्न, काँट (दे०), (स्त्री० कंचनी ) एक जाति जिसकी स्त्रियाँ काँटो, बाधा, बखेड़ा, छुद्र शन्नु, रोमांच, प्रायः वेश्यावृत्ति की होती हैं। वि०- बाधक, कवच । वि.---कंटकित-काँटेस्वस्थ, स्वच्छ।
दार, पुलकित । कंचनक-संज्ञा, पु० ( स० ) कचनार, | कंटकारी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) भटकटैय्या, मैनफल ।
कटेरी, सेमल । कंचुक-संज्ञा, पु० (सं० ) जामा, चपकन, कंटकदम-संज्ञा, पु० यौ (सं० ) कँटीला अचकन, चोली, अँगिया, वस्त्र, बख़्तर, वृक्ष, बैल, शालमली, बँबूर । कवच, केंचुल ।
कंटकप्रावृता-संज्ञा, स्त्री. यौ (सं० ) कंचुकी-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) चोली, घृतकुमारी, घीकुवार।
सुवर्ण।
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