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कँगला, कंगाल
क-हिन्दी-संस्कृत की वर्णमालाओं का प्रथम कंकरी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( कंकड़ी हि०) व्यंजन, जिसे स्पर्श वर्ण कहते हैं और जो कंकड़, काँकरी (७०)। कंठ से बोला जाता है। संज्ञा, पु. ( सं०) कंकपत्र-संज्ञा, पु. (सं० ) एक प्रकार का ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य, अग्नि, प्रकाश, कामदेव, , बाण । “नखप्रभा भूषित कंकपत्रे"- रघु० दक्ष, प्रजापति, वायु, राजा, यम, मन, । कंकरीट-संज्ञा, स्त्री. (अ. कांक्रीट ) शरीर, आत्मा, शब्द, धन, काल, जल, चूने, कंकड़, रोड़े आदि से बना हुआ मुख, केश, मयूर, सिर । सम्बन्ध कारक गच बनाने का मसाला, छर्रा, बजरी, छोटीकी विभक्ति " का'' का ह्रस्व रूप (दे०)। छोटी कंकड़ियाँ।। " अरिहुँक अनभल कीन्ह न रामा" - कंकाल--संज्ञा, पु० (सं०) ठठरी, अस्थि-पंजर। रामा०।
कंकाली-संज्ञा, पु० (हि.) नीच जाति । क-संज्ञा, पु. ( सं० कम् ) जल, मस्तक, वि. पु. दुर्बल, शैतान। वि. सी.मुख, काम, अग्नि. कंचन । सर्व० (सं० ) कर्कशा स्त्री। कौन, किसको।
कंकाल-माली-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) कंउधा-संज्ञा, पु. ( दे० ) विद्युत्प्रभा,
। शिव, भैरव। बिजली, कोंधा ( दे०)।
कंकालिनी--संज्ञा, स्त्री. (सं० ) डायन, कंक-संज्ञा, पु. ( सं० कंक्+अच् ) सफ़ेद
भूतिन। चील. कांक (दे० ), एक प्रकार का बड़ा
कोल-संज्ञा, पु० (सं० ) शीतल चीनी श्राम, बक, यम, क्षत्रिय, युधिष्ठिर का कल्पित
का एक भेद, यह शीतल चीनी से कुछ बड़े
और कड़े होते हैं. कंकाल मिर्च । नाम ( जब वे विराट् नृप के यहाँ थे)। कर्कट । स्त्रो० कंका, कंकी। ' काक कंक
| कँखवारी-संज्ञा, स्त्री. ( हि० काँख+
वारी-प्रत्य० ) काँख की फुड़िया, लै भुजा उड़ाही"-रामा० । ......."
कखौरी, कांख । कंकड़ ( कंकर )-संज्ञा, पु० दे० (सं०
कंगन-संज्ञा, पु० दे० (सं० कंकण) कंकण, ककर ) चिकना मिा पार चूने के योग से सिखों ( अकाली) के सिर का लोहे का बने रोड़े, पत्थर का छोटा टुकड़ा. काँकर चक्र । कंगना ( दे० )। स्रो० कँगनी । ( ब्र० ) सरलता से न पिसने योग्य वस्तु,
कँगना-संज्ञा, पु० दे० (हि० कंगन ) कंकण, सूखा या सेंकी तमाखू । " कुस कंटक मग कंकण बाँधते समय का गीत ।। कंकर नाना" -रामा० । स्त्री० (अल्पा०) लो०-"हाथ कंगन को पारसी क्या-" कंकड़ी। वि० पु० -- ककरीला (कक- कँगनी-संज्ञा, स्त्री० (हि. कँगना ) छोटा डीला) कंकड़दार। स्त्री० वि० कँकरीली। कंगन, छत या छाजन के नीचे दीवार की कंकण-संज्ञा, पु० (सं० कं --कण + अल् ) उभड़ी लकीर, कार्निस, कगर, दाँते या कलाई में पहिनने का एक प्राभूषण, बलय, कँगूरेदार, गोल चक्कर । एक अन्न, (सं० कंगन, कड़ा, ककना, दूल्हा दुलहिन के हाथ कंगु ) काकुन, टाँगुन । में व्याह के समय पर रक्षार्थ बाँधा जाने । कँगला, कँगाल-वि० दे० (सं० कंकाल ) वाला तागा। कंकन ( दे०)। कंगना भुक्खड़, अकाल-पीड़ित, निर्धन, दरिद्र, (प्रा०)।
"कैंगला जहान के मुसाहिब के बँगला मैं"
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