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एह का रूप, इसको । “एहिते अधिक धर्म नहि दूजा ।'-- रामा० ।। एहु ( एहू )-सर्व० दे० (हि० एह ) यह
ऐतरेय भी, यही, और भी। एही--अव्य० (दे० ) संबोधन शब्द, है, ऐ।
ए--संस्कृत की वर्णमाला का बारहवाँ और । लिये प्रेरित करना । संज्ञा, पु. एंठा---रस्सी हिन्दी का नवाँ स्वर ( संयुक्त स्वर ; जिसका बटने का एक पंच । वि० ----अकड़ा। उच्चारण-स्थान कंठ तालु (एदेता कंठ- एंड -- संज्ञा, पु० दे० (हि. ऐंठ) एंठ, उसक, तालुः ) है। अव्य ..---संबोधन-शब्द, ए, गर्व, पानी की भँवर । वि. निकम्मा, नष्ट । हे, रे । संज्ञा, पु. ( सं०) शिव, आमंत्रण । वि० एंडदार--गर्वीला, टेढ़ा । “ एंड ऐं-अव्य० । अनु० ) भली-भाँति, न सुनी वुन्देल खंड की राखी"..-छत्र ।
या समझी बात को फिर से कहलाने के ऐडना-अ. क्रि० दे० (हि. ऐठना ) लिए प्रयुक्त होता है, अाश्चर्य-सूचक। ऐंठना, अँगड़ाना, इतराना, घमंड करना । ऐचना-स० क्रि० दे० (हि. खींचना) स० कि०-ऐठना, अँगड़ाना। खींचना, तानना, पर-ऋण को अपने ऊपर ऐंडबैंड (एडाडा )-वि० दे० ( अनु०) लेना, गोदना । संज्ञा, पु० ऐच। एच्यो टेढा, एड़ाबेंडा। वि० एंडा--टेढ़ा, एठा हँसि देवन माद कियो -- " राम। हुश्रा । स्त्री० एंडी। एचाताना--वि• यौ० (हि. ) जिसकी ऐडाना-अ० कि० हि० ऐंडना ) अँग
आँख की पुतली दूसरी ओर खिंच जाती हो. डाना, बदन तोड़ना, अकड़ना, इठलाना । भेगा।... सवा लाख में एंचाताना"। "महा मीत्रु मूरति मनौ, एंडानी जमुएचातानी--संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० ) हाय ।".--रधु० ।
खींचाखींची, श्राग्रह । वि० स्वी० भेंगी स्त्री। एंद्रजालिक-वि० (सं० ) इंद्र जाल करने पंछनास-स० कि० दे० (सं० उच्छन :
वाला, मायाबी । संज्ञा, पु. बाजीगर,
कलाबाज़। चुनना ) साफ़ करना, खींचना, कंघी करना, ऊँछना ( दे०)। "देह पोंकि पुनि ऐछि
एंद्री-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) इन्द्राणी, शची,
दुर्गा, इलायची। स्याम कच" रघु०।
ऐक्य-संज्ञा, पु. (सं० ) एक का भाव, ऐंठ-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० ऐठन ) अकड़, एकत्व, एका, मेल ।
उसक, गर्व, द्वेष, विरोध, दुर्भाव, मरोड़।। । ऐकाहिक-वि० (सं० ) एक दिन का, एक ऐठन-संज्ञा, स्त्री० (सं० आवेष्ठन ) मरोड़, दिन के अन्तर से आने वाला ज्वर, अतरा।
लपेट, पेंच, खिंचाव, 'अकड़, तनाव, लपेट। ऐगुन--संज्ञा, पु० ( दे०) अवगुण (सं०) ऐंठना-स. क्रि० दे० ( सं० आवेष्ठन ) औगुन (दे० )। मरोड़ना, बल देना, धोखा देकर या दबाव ऐच्छिक-वि० (सं० ) अपनी इच्छा पर डाल कर लेना, फँसना । अ० कि० बल निर्भर, स्वेच्छाधीन। खाना, तनना, अकड़ना, खिंचना । ऐजन-अव्य० (अ.) तथा, तथैव, वही । मरना, टर्राना, टेढ़ी बातें करना. गर्व ऐलरेय--संज्ञा, पु० (सं० ) ऋग्वेद का एक दिखाना । (प्रे० रूप ) ऐंठपाना-ऐठने के ब्राह्मण, एक अरण्यक ।
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