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एड़ी मु०-एड लगान ( करना ) हांकना, रवाना एमन-संज्ञा, पु० दे० (सं० यवन, फा० यमन) होना, ऐड देना-लात मारना, उकसाना, | एक राग। उत्तेजित करना, बाधा डालना, घोड़े को एरंड—संज्ञा, पु. ( सं० ) रेंड, रेडी, एंडी से मारना।
अंडी। यौ० एरंड खरबूजा-संज्ञा, पु० एड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० एडूक-हड्डी) (दे०) पपीता। संज्ञा, स्त्री. ( दे०) टखने के नीचे पैर के पीछे का गद्दीदार एरंडी-एक प्रकार की झाड़ी, तुंगा। भाग, एड़।
एराक-संज्ञा, पु. (अ.) अरब का एक मु०--एड़ी घिसना ( रगड़ना ) बहुत दिनों प्रदेश । वि० एराकी--एराक का । संज्ञा, से रोग या क्लेश में पड़े रहना, बेकली में | पु. एराक देश का घोड़ा। रहना।" शब करती है एंड़ियां, रगड़ते " एरी--अव्य. स्त्री० (दे०) संबोधन-सूचव हाली। एड़ी से चोटी तक-सिर से शब्द, पु० एरे। पैर तक।
एलक-संज्ञा, पु० । दे०) चलनी। एढ़ा-(वि०) दे०-वली, बलवान, टेढ़ा | एलची-संज्ञा, पु. ( तु०) राज-दूत, जो तिरछा।
एक राज्य से दूसरे राज्य में संदेश ले एण-संज्ञा, पु० (सं० ) हरिण, मृग । स्त्री० जाता है। एणी-मृगी। यौ० एणाजिन--संज्ञा, पु.
एला—संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) इलाइची। (सं०) मृगचर्म, एणामद-संज्ञा, पु०
" एलात्वक् पत्रकंद्राला ...वैद्य० । (सं० ) मृगमद, कस्तूरी।
एलुवा--संज्ञा, पु. ( अ० एलो ) मुसब्बर, एतत् ( एतद् )—सर्व० (सं०) यह । यौ..
एक दवा। एतत्कालोन–(वि०) आधुनिक । एतद -
एवं ( एवम् )---क्रि० वि० (सं० ) ऐसा शीय-वि० (सं०) इस देश का, इस
ही, इसी प्रकार । यौ० एवमस्तु ऐसा स्थान का । एतदर्थ-अव्य० (सं०) इस
ही हो । अन्य०---ऐसे ही और इसी लिये , इस कारण ।
प्रकार और । एतबार-संज्ञा, पु. ( अ. ) विश्वास,
| एव---अव्य० (सं०) एक निश्चयार्थक शब्द, प्रतीति । वि० एतबारी।
ही, भी। एतराज-संज्ञा, पु० (अ०) विरोध, धापत्ति ।
एवज-संज्ञा, पु. ( अ.) प्रतिफल, प्रतिएतवार-संज्ञा, पु० (दे०) इत्तवार, इतवार,
कार, बदला, स्थानापन्न, दूसरे के स्थान पर रविवार। एता (एतो )-वि० दे० (सं० इयत् )
कुछ समय के लिये काम करने वाला । संज्ञा,
स्त्री० ( अ ) एवजी। इतना । ( स्त्री० एती)।
एह --सर्व० दे० (सं० एषः) यह । वि० एतादृक् ( एतादृश् )-वि० (सं० ) ऐसा, इस प्रकार का।
यह । एहा (दे०) " सब का मत खगएतावत (एतावता)-अव्य० (सं० ) इतना
नायक एहा ''-रामा०। ही, यहाँ तक । इस कारण, इस लिये।
एहतियात-संज्ञा, स्त्री० (अ.) सावधानी, यौ० एतावन्मात्र–इतना ही।
परहेज़, चौकसी। एतिक-वि० स्त्री. (दे० एती+इक )
एहसान-संज्ञा, पु० (अ.) उपकार,कृतइतनी, इतनी ही।
ज्ञता, निहोरा । वि० एहसानमंद (अ.) एनस-संज्ञा, पु. ( दे.) पाप, अपराध ।
कृतज्ञ, निहोरा मानने वाला। वि० एनसी।
| एहि सर्व० दे० ( हि० एव ) विभक्ति के पूर्व
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