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उहिया
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ऊयाबाई, ऊवाया उहिया-संज्ञा, पु० (दे०) कनफटों या उही-सर्व० (दे० ) वही (हि.)। जै योगियों का धातु का कड़ा । " कर उहिया (ब्र०) वहै ( ब्र०)। काँधे मृग छाला"-प० । । उहूल-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) तरंग, उमंग।
ऊ-संस्कृत या हिन्दी की वर्णमाला का , खाबड़, भला-बुरा, हानि लाभ । ऊँचाछठवाँ अक्षर, इसका उच्चारण ओष्ठ से होता नीचा ( ऊंची-नीची ) सुनाना है-" उपूपध्मानीयानामोष्टौ ” । अव्य० (कहना)--- खरी-खोटी या भला-बुरा सुनाना (सं०) भो । संज्ञा, पु० रक्षा, शिव, ब्रह्मा, । ( कहना), वि०-ज़ोर का या तीब्र (स्वर) मोक्ष, चंद्र, प्रधान । सव० (दे० ) वह । मु०-ऊँचा सुनना-कम सुनना, तीन ऊंख-संज्ञा, पु० (दे०) ऊख - (सं० स्वर ही सुनना। ऊँचे बोल बोलनाइक्षु ) ईख, गन्ना, पौंड़ा (दे०)।
घमंड की बातें करना। ऊख*---संज्ञा, पु० दे० (सं० ऊष्म ) उमस, | ऊँचे-क्रि० वि० (हि. ऊँचा ) ऊँचे पर, गरमी। वि. तप्त, गरमी से व्याकुल । ऊपर की ओर, ज़ोर से शब्द । ऊखम (दे०)।
मु०-ऊँचे-नीचे पैर पड़ना-बुरे काम ऊँगना-संज्ञा, पु. ( दे०) पशुओं का रोग में फँसना, ऊँचे बोल का बाल नीचाजिसमें कान बहता और शरीर ठंढा हो। घमंडी का सिर नीचा। जाता है । कि० स० (दे० प्रांगना ) गाड़ी। ऊक-संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का रोग। की धुरी में तेल आदि देना।
। ऊचना-प्र. क्रि० दे० (सं० उच्छन्न = ऊँगा-संज्ञा, पु० (दे०) अपामार्ग (सं०) बीनना ) कंघी करना, बाल ऐंछना। चिचड़ा।
ऊर-संज्ञा, पु० दे० (सं० उष्ट्र) एक ऊँचा ऊँघ-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० अवाड --नीचे । पशु जो सवारी और बोझ लादने के काम में
+मुंह ) उँघाई, झपकी, औंवाई। प्राता है । नी० ऊँटनी। ऊँघना--अ० कि० (दे०) झपकी लेना, ऊँट कटारा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० उष्टकंट ) नींद में झूमना, निद्रालु होना, उघाना: एक कटीली झाड़ी। उटकटाई (दे०)। (दे०) वि. उया। संज्ञा, स्त्री० ॐघन ऊँटवान-संज्ञा, पु. ( हि० ॐउ+ वान (दे.) ऊँघ, झपकी, उँधाई ( दे०)। (प्रत्य० ) ऊँट हाँकने वाला। ऊँच, ऊँचा*-वि० (दे० ) उच्च (सं० ) ऊँडा* ---संज्ञा, पु० (दे०) (सं० कुंड) ऊपर उठा हुआ, बड़ा, उन्नत, बलंद, श्रेष्ठ, चहबच्चा, धन गाड़ने का बरतन, तहख़ाना । कुलीन, तीव्र, पोछा । स्त्री. ऊँची। संज्ञा, वि०-गहरा, गंभीर । स्त्री० ऊंचाई-दे० (सं० उच्चता) (हि. ऊंदर--- संज्ञा, पु० दे० (सं० उंदुर ) चूहा। ऊंचा+ ई-प्रत्य० ) उठान, उच्चता, गौरव, ऊह-अव्य० ( अनु० ) नहीं, कभी नहीं। बड़ाई, श्रेष्ठता, उँचाई (दे०)। यौ०-- ऊअना*-अ० क्रि दे० (सं० उदयन ) ऊँचनीच-छोटा-बड़ा, छोटी-बड़ी जाति उगना, निकलना, उदय होना। का, हानि-लाभ, भला-बुरा, ऊँचा-नीचा। ऊआवाई, ऊवाबाई--वि० (हि० पाउबाव) मु०-ऊँचा-नीचा (ऊँच-नीच) ऊबड़- अंड-बंड, निरर्थक ।
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