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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उमड़ उमाचना पहुँचाने के लिये कूदना, हुमचना, हुमकना, उमरी--संज्ञा, स्त्री० (दे० ) वह पौधा जिसे हुमसना, शरीर को झटके के साथ ऊपर उठा- जलाकर सज्जीखार तैय्यार किया जाता है। कर नीचे गिराना, चौंकना, चौकन्ना होना, | उमस-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ऊष्म ) हवा सजग होना, सावधान या सतर्क होना। के न चलने पर होने वाली गरमी, जिसमें उमड़-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उन्मंडन) पसीना खूब पाता है और इसी से जी भी उमंड ( दे०) बाढ़, बढ़ाव, भराव, घिराव, | घबड़ाने लगता है। धावा, श्रावेश । उमसना* --अ० कि० दे० (हि० उमस ) उमड़ना-अ. क्रि० (दे० ) (हि० उमंग ) उमस होना। द्रव वस्तु का प्राधिक्य के कारण ऊपर उठना, उमहना --अ. क्रि० (दे० ) उमड़ना उतराकर बह चलना, उठकर फैलना, छाना, (हि.) छा जाना, उमंग में आना, प्रसन्न घेरना, थावेश में श्राना, जोश में होना । अ० होना, उठना, उचकना या उछलना। क्रि० दे० (सं० उन्मंडन ) उमड़ना ( दे० ) | " कहै 'रतनाकर' उमहि गहि स्याम ताहिउमड़ना, उभड़ना। ... "उमंडि ठोंकि | ऊ. श० । लरिहौं ”—पद्मा० । यौ०-उमड़ना- | उमहाना*--स० क्रि० (दे० ) उमड़ाना, घुमड़ना ( उमरना-घुमरना दे० )- | उमाहना, ( उमहना का स० रूप) छा घूम घूम कर चारों ओर से फैलकर खूब घिर देना, उमंग में लाना। जाना या छा जाना (बादल ) " उमरि- उमा-संज्ञा, स्त्री० (सं० उ---मा- पा) घुमरि घन घोर घहरान लागे . " रसाल । शिव की स्त्री, पार्वती, दुर्गा हरिद्रा, हलदी उमड़ाना-अ. क्रि० (दे०) उमड़ना (हि.) ( दे०) अलसी ( अतसी-दे.) कीर्ति, क्रि० स० (दे०) उमड़ना (हि.) का कांति, शान्ति, भगवती, मैना और हिमांप्रेरणार्थक रूप, उभाड़ना, उत्तेजित करना, चल की कन्या थीं, इन्होंने शिवजी के लिये ऊपर उठाना। उग्र तप किया, जिसे देख माता मैना ने कहा उमदना-अ० कि० दे० (सं० उन्मद ) " उमा " तपस्या मत करो अतएव इनका उमंग में भरना, मस्त होना, उमगना, नाम उमा पड़ गया । ... "अगनित उमा उमड़ना, प्रमत्त होना। रमा ब्रह्माणी-रामा० । यौ० उमापतिउमदा-वि० (दे० ) उम्दा (फा०) संज्ञा, पु० शंकर जी, महादेव । उमेशअच्छा, बढ़िया। संज्ञा, पु० (सं०) शिव, ईश्वर, महादेव । उमदाना--. क्रि० दे० ( सं० उन्मद) उमासुत-संज्ञा, पु० (सं० ) कार्तिकेय, मतवाला होना, मद में भरना, मस्त या गणेश । प्रमत्त होना, उमंग या श्रावेश में श्राना, उमाकना-अ० क्रि० दे० (सं० उ = नहीं उन्मत्त होना। -- मंक ) खोद कर फेंक देना, नष्ट करना, उमर-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ. उम्र ) अवस्था, उपाटना, उखाड़ना । स० कि० (दे.) वय, श्रायु, जीवनकाल, उमरिया (दे०) | उन्मूलन करना। उमिरि (दे०)। | उमाकिनी -वि० स्त्री० (दे०) उखाड़ने उमरा-संज्ञा, पु० (अ.) अमीर का बहु- वाली, खोद कर फेंक देने वाली, उन्मूलित वचन, प्रतिष्ठित लोग, सरदार, बड़े श्रादमी, | करने वाली, नष्ट करने वाली। रईस, अमीर । उमाचना - स० कि० दे० (सं० उन्मंचन ) उमराय ( उमराव )*-संज्ञा, पु. ( दे०) । उभाड़ना, ऊपर उठाना, निकालना । ... उमरा (अ.), सरदार, रईस । " कहूँ नैननि तें नहिं लाज उमाची"-रवि० For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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