________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
उभयत्र
३४५
उमचना मुँह बाहर आ गया हो ( इसके दान का उभैछ–वि० (दे० ) उभय (सं० ) दोनों, बड़ा महात्म्य कहा गया है)।
उभौ (दे०)। उभयत्र-कि० वि० (सं० ) दोनों ओर, उमंग-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उद्+मंग = दोनों तरफ।
चलना ) चित्त का उभाड़, सुखद मनोवेग, उभयविपुला-संत्रा, स्त्री० (सं० ) प्रार्या | मौज लहर, उल्लास, जोश, श्रानंद, हृष्टता । छंद का एक भेद।
मग्नता, मगनता (दे०) उमग (दे०) उभरना,अ. क्रि० ( हि० उभरना )। उभाड़, अधिकता, पूर्णता, हुलास । अहंकार करना, शेखी करना, उभड़ना । | उमंगना ---( उमँगना) 4. क्रि० (दे०) उतरना, बढ़ना, उठना।
उमंगयुक्त होना, प्रसन्न होना, उमगना उभराई-संज्ञा, स्त्री. (दे० ) इतराना, (दे० ) आवेश में श्राना, उल्लास में होना, उभड़ाव।
उठना । " प्रेम उमॅगि लोचन जल छाये"उभराना-स० कि० (हि० उभरन' का प्रे० रामा० । उमड़ना, उठना, उभरना। " गोपी रूप ) बढ़ाना, उठाना ।
ग्वाल बालन के उमँगत आँसू देखि"उभरौहां-वि० दे० (हि० उभरना+ौहाँ ऊ० श०। " उमगत सिंधु दौरि द्वारका
-प्रत्य० ) उभार पर पाया हुआ, उभड़ा बचाई दिव्य "-रत्नाकर । हुलास या हुआ, ऊपर उठा हुआ ।
उत्साह से आगे आना ।पू० का०क्रि० उमँगि। उभा-संज्ञा, स्त्री० (दे०) चिंता, (सं० उमगित - वि० (दे०) उमंग-युक्त, हुलाउभय-दोनों) द्विविधा । “ सबहिं उभा पित, उत्साहित, उल्लासित, आवेरा-युक्त । मैं लगि रहा .... कबी०।
उमंगी-वि० (दे०) उमंगवाला, हुलासवाला, उभाड़-संज्ञा, पु० दे० (सं० उद्भिदन ) उल्लास-पूर्ण, श्रानंदी, तरंगी, जोशीला।
उठान, ऊँचापन, ऊँचाई, प्रोज, वृद्धि । उमंडना-अ० क्रि० (दे० ) उमड़ना, पानी, उभाड़ना-स० कि० दे० (हि० उमड़ना श्रादि का ऊपर उठना, खौलना, छाना, का प्रे० रूप ) भारी वस्तु को धीरे धीरे आवेश में थाना, बढ़ना, उभड़ना । "उमँडि ऊपर उठाना, उकसाना, उत्तेजित करना, बहैं नद नीर"-वृ०। बहकाना।
उमग-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) उमंग (हि.)। उभाइदार-वि० (हि० उभाड़+दार-फा० उमगन-(उमगनि)-संज्ञा, स्त्री० (दे०) प्रत्य०) उठा या उभरा हुआ, भड़कीला, उमंग । ऊँचाई लिये हुए।
उमगना-प्र० क्रि० दे० ( हि० उमंगना) उभाना-१० कि. (दे० ) सिर हिलाना, उभड़ना, उमड़ना, भरकर ऊपर उठना, हाथ-पैर पटकना, प्रभुनाना, उठाना, उत्ते. उल्लास में होना हुलसना । जित होना, श्रावेश में आना। "एक होय उमगाना-स० कि० (दे०) उभाड़ना,
तौ उत्तर दीजै सूर सु उठी उभानी"-सू०।। उत्तेजित करना, उमंगित करना, प्रसन्न करना, उभार-संज्ञा, पु० (दे०) उभाड़, उठान । हुलसाना । अ० कि. (दे०) उमगना । उभारना-स० कि० (दे०) उभाड़ना, “मति कष्ट सों दुखित मोहि रनहित उमगाउठाना, उत्तेजित करना।
वत "---मुद्रा...... हिय हिम सैल तैं उभिरना-प्र० कि० ( देश० ) ठिठकना, हमारे उमगानी हैं"-रसाल ।। हिचकना । अभिरना (दे० ) टकराना, उमचना-प्र० कि० ( दे० ) ( सं० उमंच ) ठोकर खाना, भिटकना।
किसी वस्तु पर तलवों से अधिक दाव भा० श० को.-४४
For Private and Personal Use Only