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उपेत
उबहना उपेत-वि. ( सं० उप-+इ+क्त ) युक्त, संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० उत् +फाल ) लम्बी
मिलित, आसन्न, एकत्रित, समागत । डग, “जलजाल काल कराल माल उफाल उपैना-वि० दे० (सं० उ + पहव ) खुला | पार धरा धरी"-के. हुआ, नङ्गा, नग्न । स्त्री० उपैनी। उबकना-~अ० क्रि० दे० (हि. उबाक ) अ० कि० ( ? ) लुप्त हो जाना, उड़जाना। कै करना । उपोद्घात-संज्ञा, पु० (सं० उप + उत्-+- उबकाई - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पोकाई ) हन्+घञ् ) ग्रंथ के प्रारम्भ का वक्तव्य, | मिचली, जी मचलना, वमन, के, मचलाई। प्रस्तावना, भूमिका, प्राक्कथन, सामान्य उबट*-- संज्ञा, पु० दे० (सं० उद्वार ) अटकथन से भिन्न विशेष वस्तु के विषय में पट या बुरा रास्ता, विकट मार्ग । वि. कथन, न्याय की छः संगतियों में से एक । | ऊबड़-खाबड़, ऊँचा-नीचा। उपोषण-संज्ञा, पु. ( . उप--वस् + उबटन-संज्ञा, पु० दे० (सं० उद्वतन ) शरीर
अनट् ) अनाहार, उपवास, निराहार व्रत। पर मलने के लिये तिल, सरसों, चिरौंजी वि० उपोषणीय । वि० उपोषित-कृतो. आदि का लेप, अभ्यंग, उपटन, बटना। पवास । वि. उपाण्य-व्रत करने योग्य, उबटना - अ० कि० दे० (सं० उद्वर्तन ) उबउपवास के योग्य ।
टन लगाना, बटना, मलना । " जेहि मुख उपसेथ-संज्ञा, पु० दे० (सं० उपवसथ, प्रा. मृगमद मलय उबटति " - भ्र० ।
उपसेथ) निराहार व्रत, उपवास, (जैन, बौद्ध)। उबना - अ० कि० (दे० ) उगना, ऊबना उक-अव्य० (अ.) आह, श्रोह, अफ़सोस ।। (दे० )। उफड़ना --अ० कि० दे० (हि. उफनना) उबरण - संज्ञा, पु० (दे० ) उद्वर्तन, बचाव, उबलना, उफानखाना, जोशखाना, टूट भाड़। पड़ना । (दे०) उकरना- टूट पड़ना।।
उबरना-अ० कि० दे० (सं० उद्वारण ) उफनना-अ० कि० दे० (सं० उत् +-फेन)
उद्धार पाना, निस्तार पाना, मुक्त होना, उबलना, उभड़ना, उफान आना, उबल कर
छूटना, शेष रहना, बाकी बचना, बचना, उठना, “ उफनत तक चहुँ दिसि चित
" कछु दिन उबरते तो घने काज करतेवति" - सूबे० । जोश खाना दूध आदि)
भू० । ..... उबरा सो जनवासहिं आवा" उमड़ना। उफनाना---० क्रि० दे० (सं० उत् + फेन)
-रामा० । अ० कि. (दे०) उबलना, उबलना, उमड़ना, उफान श्राना, फेन
ऊपर उठना। वि० उबरा-बचा हुया, श्राना, "...... सारी छीर-फेन कैसी भाभा
शेष । स्त्री० उबरी। उफनाति है"-रस०।
उबलना । अ० क्रि० दे० (सं० उद् = ऊपर-+ फेनयुक्त हो हाँफना, अफनाना (दे० )।
बलन = जाना ) आँच या गरमी पाकर " द्रौपदी कहति अफनाय राजपूती सबै"
तरल या द्रव पदार्थों का फेन के साथ ऊपर ....' 'रनाकर ।
उठना, उफनना, उमड़ना, वेग से निकलना, उफान-संज्ञा, पु० दे० (सं० उत् +फेन ) खौलना। गरमी या कर फेन के साथ ऊपर उठना | उबलाना--स. क्रि० दे० (हि. उबलना का (दूध आदि ) उबाल । “ तनक सीत जल | प्र० रूप ) उबलने के लिये प्रेरित करना ।
सों मिटै, जैसे दूध उफान "-। उबसना-अ० कि० (दे०) सड़ना, गलना । उफाल -संज्ञा, पु० दे० (हि० उफान ) उबहना - स० कि० दे० (सं० उद्वहन, प्रा. उबाल, उफान ।
उब्बहन ) ऊपर उठाना, हथियार खींचना,
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