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उत्तेजन
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उत्तेजन-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रेरणा, बढ़ावा । उत्तेजना -संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रेरणा, प्रोत्साहन, वेगों को तीव्र करने की क्रिया । उत्तेजित - वि० (सं० ) प्रेरित, पुनः पुनः श्रावेशित, उत्तेजना - पूर्ण, प्रोत्साहित | स्त्री० उत्तेजिता ।
उत्तोलन - संज्ञा, पु० ( सं० उत् + तुल् + अनट् ) ऊँचा करना, ऊर्ध्वनयन, तानना, तौलना । वि० उत्तोलित, उत्तोलनीय | उत्थवना स० क्रि० दे० (सं० उत्थापन )
अनुष्ठान करना, श्रारंभ करना । उत्थान - संज्ञा, पु० (सं० ) उठने का कार्य, उठान, प्रारंभ, उन्नति, समृद्धि, बढती । संज्ञा, स्त्री० उत्थानि - श्रारम्भ । उत्थान एकादशी - संज्ञा स्त्री० यौ० (सं० ) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, उसी दिन शेषशायी जाग्रत होते हैं, देवउठान एकादशी, देवथान ( दे० ) | उत्थापन - संज्ञा, पु० ( सं० उत् + स्था + शिच् + अनट् ) उठाना, जगाना, हिलाना, तानना, डुलाना | वि० उत्थापित। उत्थाप्य - वि (सं० ) उत्थापनीय, उठाने योग्य । उत्थित - वि० ( सं० उत् + स्था + क्त) उत्पन्न, उठा हुआा, जाग्रत । स्त्री० उत्थिता । उत्पतन - संज्ञा, पु० ( सं० उत् + त् + अनट् ) ऊर्ध्वगमन, ऊपर उठना या उड़ना । उत्पतित- वि० (सं० उत् + त् + क्ति ) ऊपर गया हुआ, उट्ठा हुना, उठा हुआ । उत्पत्ति - संज्ञा, स्त्री० ( सं० उत् + पत् + क्ति ) जन्म, उद्गम, पैदाइश, उद्भव, सृष्टि, शुरू, आरंभ, उनपति ( दे० ) | उत्पथ - संज्ञा, पु० ( ( सं० ) कुमार्ग,
सत्पथच्युत ।
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उत्पन्न - वि० (सं०) जन्मा हुश्रा, , पैदा हुश्रा उत्पन्ना - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अगहन बदी एकादशी |
उत्पल संज्ञा, पु० (सं० ) नील कमल, मील पद्म ।
उत्तधन
उत्पलपत्र - संज्ञा, पु० (सं० ) पद्मपत्र, स्त्री-नखक्षत ।
उत्पाटन - संज्ञा, पु० (सं० ) समूल उखाड़ना, उन्मूलन, खोदना, ऊधम, उत्पात । वि० उत्पादित - उन्मूलित, उखाड़ा हुआ, वि० उत्पाटनीय |
उत्पात -संज्ञा, पु० ( सं० उत् + त् + धज् ) आकस्मिक घटना, थाफ़त,
उपद्रव, कष्टप्रद अशांति, हलचल, ऊधम, दंगा, शरारत, दुष्टता, उपाधि (दे० ) । उत्पाती - संज्ञा, पु० (सं० उत्पातिन् ) उत्पात मचाने वाला, वि० (सं०) उपद्रवी, नटखट, शरारती, बदमाश, दुष्ट । स्त्री०उत्पातिनी । उत्पादक - वि० (सं० ) उत्पन्न करने वाला, उत्पत्ति कर्ता । स्त्री० उत्पादिका - पैदा करने वाली, उत्पन्न करने की शक्ति । उत्पादन - संज्ञा, पु० (सं० उत् + पद् -+ णिच् +- अनट् ) उत्पन्न करना, पैदा करना, उपजाना | वि० उत्पादनीय- उत्पन्न करने योग्य | वि० उत्पादित- - उत्पन्न किया
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हुधा, उपजाया ।
उत्पीड़न-संज्ञा, पु० (सं० ) तकलीफ़ देना, दबाना । वि० उत्पीड़ित - सताया हुआ । उत्प्रेक्षा - संज्ञा, स्त्री० ( सं० उत् + प्र + इक्ष + श्रा अनवधान, उद्भावना, श्रारोप, अनुमान, उपेक्षा, सादृश्य, एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें भेद ज्ञान पूर्वक उपमेय में उपमान की प्रतीति होती है और प्रति सादृश्य के कारण उपमान -गत गुण क्रिया श्रादि की सम्भावना उपमेय में की जाती हैं, इसके वाचक, मनु, माना, जाना, जनु आदि हैं। जैसे मुख माना कमल है। उत्प्रेक्षोपमा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) एक प्रकार का अर्थालंकार ( उपमा का भेद ) जिसमें किसी एक वस्तु के गुण का बहुतों में पाया जाना कहा जाता है ( केशव ० ) । उत्प्लवन - संज्ञा, पु० (सं० उत् + प्लु+
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