SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 314
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उच्चारणीय ३०३ उछलना वों या शब्दों के बोलने का ढंग, तल- में पानी आदि के फँसने से आने लगती फुज़, उल्लेख, कथन । है, सुरसुरी। उच्चारणीय-वि० (सं० उत् + चर् + उच्छृखंल वि० (सं० ) जो शृंखला-वद्ध णिच् + अनीयर ) उच्चारण करने के योग्य, न हो, क्रम-विहीन, अंडबंड, निरंकुश, बोलने के लायक। स्वेच्छाचारी, मनमानी करने वाला, उदंड, उच्चारना-स० क्रि० दे० (सं० उच्चारण) अक्खड़, अनियंत्रित, विशृंखल, अनर्गल, मुँह से शब्द निकालना, बोलना । संज्ञा, स्त्री० (सं० ) उच्छखलता। उच्चारित-वि० (सं० उत् + चर् + णिच्+ उच्छेद-( उच्छेदन )- संज्ञा, पु. ( सं० क) कथित, उक्त, अभिहित, कहा हुना।। उत ---छिद् + अल् ) उखाड़ना, खंडन, उच्चार्य-वि० (सं० ) उच्चारण के योग्य, नाश, उन्मूलन, उत्पाटन, विध्वंस । वि. वि० उच्चायेमागा-उच्चारण के योग्य । उच्छेदनीय । वि. उच्छेदक विनाशक, उच्चैः -अव्य० ( सं० ) ऊर्ध्व, ऊपर, वि० उच्छेदित-उन्मूलित, खंडित । ऊँचा, बड़ा। उच्छाय-संज्ञा, पु० (सं० उत् + श्रि+अक्त) उच्चैःश्रवा--- संज्ञा, पु० (सं० उच्चैः- श्रवस् ) । पर्वत, वृक्षादि की उच्चता, उच्चपरिमाण । खड़े कान और सात मुँह वाला इन्द्र या सूर्य | उच्छित-वि० (सं० उत् + श्रित ) का सफ़ेद घोड़ा, जो समुद्र-मंथन के समय उन्नत, उच्च, ऊँचा। निकला था। वि. ऊँचा सुनने वाला, बहरा। उच्छास-संज्ञा, पु. ( सं० ) ऊपर को उच्छन्न-वि० (सं० ) दवा हुधा, लुप्त ।। खींची हुई साँस, उसाँस, साँस, श्वास, उच्छरना* --- अ० कि. (दे० ) नीचे. ग्रंथ का विभाग, प्रकरण, परिच्छेद । वि० ऊपर उठना, उछलना। उच्छवासी- उसाँस भरने वाला, वि. उच्छलना* - अ० कि० ( दे० ) उछलना। उच्छवासित--उसाँस लिया हुआ। उच्छव -- संज्ञा, पु० (दे० ) उत्सव (सं.) ऊव ( दे०) उछाह। उच्छौ -संज्ञा, पु० (दे० ) उत्सव (सं.)। उच्छाव--संज्ञा, पु. ( दे० ) उत्साह उछग* -- संज्ञा, पु० दे० (सं० उत्संग) (सं० ) उछाव (दे०) धूमधाम | गोद, क्रोड़, कोरा, अकोरा, हृदय, छाती उच्छास-संज्ञा, पु० (दे०) उच्चास, अंक, उर, कनिया, "लेइ उछंग कबहुँ उसाँस, साँस। हलरावै "-रामा०। उच्छाह* --संज्ञा, पु. ( दे० ) उत्साह उछकना-५० क्रि० (हि. कना) नशा (सं० ) उछाह (दे० ) हर्ष। हटाना, चेत में आना, चौंक पड़ना। इच्छिन्न-वि० ( सं० उत् + छि+क्त) कटा उधरना-अ. कि. (दे०) उछलना हुघा, खंडित, उखड़ा हुमा, नष्ट, छिन्न भिन्न, ( हि० ) कूदना, “मृग उछरत श्राकासकौं, निर्मूल । संज्ञा, स्त्री० उचिना-नाश। भूमि खनत बाराह"-रही० । के या वमन उच्छिष्ट-वि० ( सं० उत् + शिष् + क्त ) करना, उपटना, उभड़ना, उतराना । किसी के खाने से बचा हुआ, जूठा, दूसरे । उछल-कूद-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हिं. का बर्ता हया. त्यक्त, भक्तावशिष्ठ । संज्ञा, उछलना+कूदना ) खेल-कूद, हलचल, पु० जूठी वस्तु, शहद । अधीरता, चंचलता, गड़बड़ी। उच्छु-संज्ञा, स्त्री० (दे०) (सं० उत्थान, उछलना-अ० क्रि० दे० (सं० उच्छलन) पं० उत्थू ) एक प्रकार की खाँसी जो गले वेग से ऊपर उठना और गिरना, झटके के For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy