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उचाटना
उच्चाटना - स०क्रि० दे० (सं० उच्चाटन ) उच्चाटन करना, जी हटाना, विरक्त या उदासीन करना, " लोग उचाटे श्रमरपति, कुटिल कुअवसर पाइ - रामा० । प्रे० कि०
"9
उचटवाना-उचाट कराना ।
उचाटी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उच्चाट ) उदासीनता, अनमनापन, विरक्ति, उदासी । उचाटू - वि० ( दे० ) ( हि० उचाट )
व्यग्रचित्त, उखड़ा हुआ, उदासीन, विरक्त । उच्चाड़ना - स० क्रि० ( हि० उचड़ना ) लगी या सटी हुई चीज़ को अलग करना, नोचना, उखाड़ना ।
उच्चानाक - स० क्रि० दे० (सं०
उच्च +
उठाना,
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चित चखन उच्चाय
करण ) ऊँचा करना, ऊपर उठाना चंद्रचूड़ चेत्यौ कै "" - रघु० । उचायत -- संज्ञा, पु० (दे० ) किसी दूकान से बराबर उधार लेते रहना । उचारक संज्ञा, पु० (दे०) उच्चार (सं० ) उच्चारण ।
उच्चारन - संज्ञा, पु० ( दे० ) उच्चारण (सं०) उच्चारन ( दे० ) | उचारना–स० क्रि० दे० (सं० उच्चारण ) उच्चारण करना, मुँह से शब्द निकालना बोलना, " घाँस पछि मृदु बचन उचारे " - रामा०, "भई पुष्प वर्षा सब जयजय सब्द उचारे ", - हरि०, सा० भू० उच्चारयो"ज्ञात होत कुलगुरु सूरज हय मंत्र उचार्यो सा० व० उचारें, क्रि० स० (दे० ) उचाड़ना, उखाड़ना । उचित - वि० (सं० ) योग्य, ठीक, मुनासिब वाजिब, उपयुक्त, समीचीन, न्यस्त, विदित, न्याय-युक्त, ( संज्ञा, भा० - श्रौचित्य ) उचेतना - स० क्रि० (दे० ) उकेलना, छीलना, उखाड़ना ।
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उचार - संज्ञा, पु० (दे० ) ठोकर, ठेस, चोट ।
उचौंह* - वि० ( हि० ऊँचा + मौंहा
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उच्चारण
प्रत्य० ) उचैहा (दे० ) ऊँचा उठा हुआ, उभड़ा हुआ । स्त्री० उचौंही ।
उच्च - वि० (सं० ) ऊँचा, श्रेष्ठ बड़ा, उत्तम, महान उन्नत, उत्तुंग, ऊर्ध्व । उच्चतम - वि० (सं० ) सब से ऊँचा, सर्व श्रेष्ठ, सर्वोत्तम ।
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उच्चतर - वि० (सं० ) दो में से अधिक ऊँचा, उत्तम या अच्छा । उच्चता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) ऊँचाई, श्रेष्टता, बड़ाई, उत्तमता, बड़प्पन, भेटता उच्चभाषी - वि० यौ० (सं० ) कटुवक्ता । उच्चमना - वि० यौ० (सं० ) ऊँचे या उन्नत मन वाला, उदार हृदयी, महामना । उच्चरण - संज्ञा, पु० (सं० ) कंठ, तालु, जिह्वा श्रादि से शब्द निकलना, मुँह से
शब्द फूटना ।
उच्चरना
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स० क्रि० दे० (सं० उच्चारण ) उच्चारण करना | बोलना, वि० उच्चरित - उच्चारण किया हुआ, कथित । उच्चाट- संज्ञा, पु० (सं० ) उखाड़ने या नोंचने की क्रिया, अनमनापन, उचटना, उदास, भई वृत्ति उच्चाट भरि भभरि श्रई छाती " - हरि० । उच्चाटन - संज्ञा, पु० (सं० ) लगी या सटी हुई चीज़ को अलग करना, उचालना, उखाड़ना, विश्लेषण, नोंचना, किसी के चित्त को कहीं से हटाना, ( तंत्र के छः अभिचारों या प्रयोगों में से एक ) अनमनापन, विरक्ति, उदासीनता, । वि० उच्चटित - उच्चाट किया हुआ, वि० उच्चाटनीय -- उच्चाट करने योग्य । उच्चार - संज्ञा, पु० (सं० उत् + चर् + घञ् ) मुँह से शब्द निकालना, बोलना, कथन । संज्ञा, पु० विष्ठा, मल, मूत्र, पुरीष । उच्चारण-- संज्ञा, पु० (सं० उत् + चट् + णि + अनट् ) कंठ ओष्ठ, जिल्हा आदि के द्वारा मनुष्यों का व्यक्त और विभक्त ध्वनि निकालना, मुख से सस्वर व्यंजन बोलना,
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