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उगाही
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उघाड़ना "अब तुम आये प्रान-व्याज उगहन को। उग्रा-संज्ञा, सी० (सं० )दुर्गा, कर्कशा स्त्री, ऊ. श०।
अजवाइन, बच, धनियाँ। उगाहो-संज्ञा, स्त्री० हि० उगाहना ) रुपया- उघटना-प्र० क्रि० दे० (सं० उत्कथन ) पैसा वसूल करने का काम, वसूली, वसूल ताल देना, सम पर तान तोड़ना, दबी किया हुआ रुपया-पैसा, वसूलयाबी। हुई बात को उभाड़ना, कभी के किये हुए उगिलना–स० क्रि० (दे० ) उगलना | किसी के अपराध और अपने उपकार को (हि.)।
बार बार कह कर ताना देना, किसी को उगिलवाना-उगिलाना-स० क्रि० (दे० ) भला-बुरा कहते कहते उसके बाप-दादे को उगलाना, उगलवाना, दोष स्वीकार कराना, भो भला-बुरा कहने लगना, प्रगटना । पंजे से छुड़ाना।
उघटहि छंद, प्रबंध, गीत, पद, राग, "गिल्यो बँदेल खंड उगिलायौ".-छत्र। तान, बंधान "उग्गाहा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० उद्गार या, उघटा-वि० ( हि० उघटना ) किए हुए प्रा० उग्गाहो ) आर्या छंद के भेदों में से
उपकार को बार बार कहने वाला, एहसान एक।
जताने वाला। उग्र-वि० (सं०) प्रचंड, उत्कट, तेज़, घोर ।
संज्ञा, पु० ( दे० ) उबटने कार्य । संज्ञा, पु० महादेव, वत्सनाग, विष, सूर्य,
उघट-पंची-संज्ञा, स्त्री० ( देर ) उलाहना,
एहसान। बच्छनाग ( वत्सनाभ ) नामक विष,
उघटाना-उघटवाना स० कि. (हि. क्षत्रिय पिता और शूद्र माता से उत्पन्न
उघटना से प्रे० रूप ) ताना दिलाना, एक संकर जाति शिव की वाय-मूर्ति
एहसान जतवाना, प्रगट कराना। केरल प्रदेश, रौद्र, तीषण, क्रोधी, कठिन, उघडना-प्र. क्रि० दे० (सं० उदघाटन ) कठोर, भयानक ।
खुलना, आवरण का हट जाना, नग्न. उग्रगंध-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) लहसुन, होना, प्रकट होना, प्रकाशित होना. कायफल, हींग, तीचण गंधवाला ।
भंडा फूटना। उग्रगंधा-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) अजवायन, |
उघरना-प्र० कि० दे० (सं० उद्घान ) अजमोदा, बच, नकछिकनी।
उधड़ना वि. उघरा स्त्री० उघरी। उग्रचंडा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) भगवती देवी
"उघरे अंत न होइ निबाह"... रामा। की एक मूर्ति विशेष, जिसके अष्टादश |
उधरि-पू. का. कि. खुलकर, खुल्पम
खुल्ला । भुजायें हैं और जो कोटि योगिनी-परिवेष्टित
उघगटा-वि० दे० ( हि० उघरना । है, जिसकी पूजा श्राश्विन कृष्णा नवमी
खुला हुअा, स्त्री० उघराटी। को होती है।
उघराटी-संज्ञा, पु० (दे.) खुला स्थान , उग्रता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) तेज़ी, प्रचंडता, |
उघाड़ना-स० कि० दे० (हि० उघड़ना कर कठोरता।
स० रूप ) खोलना, आवरण हटान. उग्रतारा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) देवी की
( अावरण के विषय में ) खोलना एक मूर्ति जिसका दूसरा नाम मातंगिनी है।
आवरण-रहित करना (श्राकृत के सम्बन्ध में) उग्रसेन-संज्ञा, पु. ( सं० ) मथुरा का | नग्न या नंगा करना, प्रकट करना, गुप्त बात. यदुवंशी राजा जो पाहुक का पुत्र और को प्रकाशित करना या खोल देना, अंडा कंस का पिता था।
फोड़ना।
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