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उखारना
उगाहना मु०-गड़े मुर्दे उखाड़ना-पुरानी बातों संज्ञा, पु० उगलन । को फिर से छेड़ना, गई-बीती बात को मु०-उगल देना (किसी बात को)उभाड़ना।
गुप्त बात को प्रगट कर देना। पैर उखाड़ देना--स्थान से विचलित उगल पड़ना-तलवार का ध्यान से बाहर करना, हटाना, भगाना।
निकल पड़ना, बाहर श्राना। उखारना8-स० कि० (दे०) उखाड़ना । जहर उगलना-दूसरे को बुरी लगने उखारी--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि ऊख ) ईख | वाली या हानि करने वाली बात कहना, का खेत।
या मुंह से निकालना। वि० दे० (हि० उखाड़ना ) उखाड़ी हुई। । उगलवाना--स० क्रि० ( दे० ) उगलना का उखेरना--स० कि० दे० (हि. उखाड़ना )
प्रे० रूप। उखाड़ना, अलग करना।
उगलाना-स० कि० दे० हि. उगलना का उखेलना-स० कि० दे० (सं० उल्लेखन ) प्रे० रूप ) मुख से निकलवाना, इकबाल उरेहना, लिखना, खींचना ( चित्र ) । कराना, दोष को स्वीकार कराना, पचे या उलेखना ( दे० )।
हड़प किये हुए माल को निकलवाना। उगटना-अ. क्रि० दे० (सं० उद्घाटन उगिलाना (दे०)। या उत्कथन ) उघटना, बार बार कहना, "मातु जसोमति साँटी लिये उगलावति ताना मरना, बोली बोलना।
माँटी"-- उगत-संज्ञा, पु० दे० (हि. उगना ) उगधना*-स० क्रि० (दे० ) उगाना उद्भव, उत्पत्ति, जन्म।
(हि.)। मु०-उगते ही जलना--प्रारम्भ में ही उगसाना-स० कि० (दे० ) उकसाना कार्य का नाश होना।
(हि० ) उभाड़ना। उगना-अ. क्रि० (दे०) उदय होना, उगसारना --स० कि. (दे० ) उकसाना (सं० उद्गमन) निकलना, प्रगट होना, (हि.) बयान करना, कहना, प्रकट (सूर्य-चंद्रादि ग्रहों का) जमना. अंकुरित करना। होना, उपजना, उत्पन्न होना।
उगाना-स० कि० (हि. उगना का स० " उग्यो अरुन अवलोकहु ताता .. "..--. रूप ) जमाना, अंकुरित करना, उत्पन्न रामा०।
करना, (पौधा या अन्न आदि) उदय उगरना-प्र. क्रि० दे० (सं० उद्गरण) करना, प्रकट करना. तानना। भरे हुए पानी आदि का निकालना, भरे | उगार-( उगाल )--संज्ञा, पु० दे० हुए पानी आदि के निकालने से ख़ाली (सं० उद्गार प्रा० उगाल ) पीक, थूक. होना।
खखार, के, निचोड़ा हुआ, पानी, सीठी, उगलना-स० कि० दे० (सं० उगिलन- पाहर (दे०)। प्रा. उग्गिलन ) पेट में गई हुई वस्तु को उगालदान-संज्ञा, पु० (हि. उगाल+दानमुँह से निकालना, न या वमन करना, फा. प्रत्य०) थूकना या खखार आदि के मुँह में गई हुई वस्तु को बाहर थूक देना, गिराने का बरतन, पीकदान। लिये हुए माल को विवश होकर वापस | उगाहना-स० क्रि० दे० (सं० उद्ग्रहण ) करना, छिपाने के लिये कही गई बात वसूल करना, नियमानुसार अलग अलग को प्रगट कर देना।
। अन्न, धन आदि ले कर इकट्ठा करना ।
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