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इंद्रदमन
इंदिरावर
२७६ इंदिरावर -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) इन्दिरेश, इन्द्र की परी-अप्सरा, बहुत सुन्दर स्त्री। रमेश, विष्णु ।
संज्ञा, पु० (सं०) बारह आदित्यों में से एक, इंदीवर-संज्ञा, पु० (सं० ) नीलकमल, सूर्य, बिजली, मालिक, स्वामी, ज्येष्ठा नक्षत्र, नीलोत्पल, नीलपद्म, जलज । " इन्दीवर- बादल, चौदह की संख्या, छप्पय छंद के दल-श्याममिदिरानंद कंदलम् "-म० भेदों में से एक, जीव,प्राण, एक मन्वन्तर के इंदु-संज्ञा, पु० (सं०) चन्द्रमा, कपूर, १४ भाग ( क्योंकि एक मन्वन्तर में १४ शशि, एक की संख्या, “सरद इन्दु कर निंदक | इन्द्र होते हैं ) कुटजवृक्ष, रात्रि । हासा ,-रामा० ।
| इंद्रकील-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) मंदरायौ० इंदुकला-इन्दुलेखा, चन्द्रलेखा, चल, मंदर पर्वत । चन्द्रकला।
इंद्रकुंजर- संज्ञा, पु० ( सं० ) इन्द्र का हाथी, इंदुकान्ता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) रात्रि, निशा।। ऐरावत । इंदुव्रत-संज्ञा, पु० (सं० ) चान्द्रायणव्रत । इंद्रकानन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नन्दन वन । इंदुभृत्--संज्ञा, पु. ( सं० ) शिव, शंकर।। इंद्रगोप-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) बीर बहूटी इंदुमती-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) चन्द्रयुक्ता- नाम का एक बरसाती कीड़ा जो लाल रंग रात्रि, पूर्णमासी, अयोध्या-नरेश अज की स्त्री का होता है, खद्योत, जुगनू । ( रानी ) इन्हीं से महाराज दशरथ हुए थे, इंद्रजव--संज्ञा, पु० दे० ( सं० इन्द्रयव) कुडा, यह विदर्भराज की कन्या थी।
कौरैय्या के बीज। इंदुदह-संज्ञा, पु० (सं० ) चन्द्रमा का कुंड, इंद्रजाल-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) मायाचन्द्र का श्याम भाग -- ''सुधासर जनु मकर कर्म, जादूगरी, तिलस्म, नटविद्या, धोखा, क्रीड़त, इन्दुदह दहडोल "- सूर० । छलछद्म, मंत्र-तंत्र-द्वारा अजीब बातें इंदुबदना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) चंद्र- | दिखाना। मुखी, चंद्रमा के से मुख वाली, मयंकमुखी, इंद्रजालिक-वि० (सं०) मायावी, मायिक, विधुवदनी । संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) एक प्रकार बाजीगर । का वणिक वृत्त ।
इंद्रजाली-वि० सं० इंदजालिन् ) इन्द्रजाल इंदुर- संज्ञा, पु० (सं०) इन्दुर, मूसा, चूहा, करने वाला, जादूगर, मायावी।
मूषिका, “कीन्हेसि लोवा इन्दुर चींटी'प० । स्त्री० इद्रजालिनी। इंद्र वि० ( सं० ) ऐश्वर्यवान, विभूति- इंद्रजित-वि० (सं०) इन्द्र को जीतने वाला। सम्पन्न, श्रेष्ठ, बड़ा, उत्तम, प्रतापी। संज्ञा, पु० (सं० ) रावण का पुत्र, मेघनाद । संज्ञा, पु०-एक वेदोक्त देवता, जिसका स्थान (दे० ) इंद्रजीत, चौराई का पौधा । अंतरिक्ष है और जो पानी बरसाता है, इंद्रत्व-संज्ञा, पु० (सं०) इन्द्र का कर्म, पौराणिक देवता जो अन्य सब देवताओं के | स्वर्ग का असाधारण कार्य, राजत्व, प्राधान्य, राजा माने जाते हैं, अतः ये देवराज या | इन्द्र-पद । सुरेश कहे जाते हैं । पुलोम दानव की कन्या | इंद्रदमन- संज्ञा, पु० यौ० (सं० रूढ़ि) शची इनको व्याही थीं, श्रतः ये शचीश भी।
थीं. श्रतः ये शचीश भी बाढ़ के समय नदी के जल का किसी दूरकहाते हैं, इनके पुत्र का नाम जयंत था। वर्ती निश्चित कुंड, ताल, वट या पीपल के यौ० इंद्र का प्रावाड़ा---इन्द्र की सभा, वृक्ष तक पहुँच जाना, यह एक पर्व या जिसमें अप्सराय नाचती हैं, बहुत सजी हुई योग समझा जाता है, मेघनाद का एक सभा, जिसमें खूब नाचरंग होता हो। । नाम या विशेषण ।
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