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श्रावभगत
भाषागमन
करने योग्य ।
क्रि० प्र० प्राधना (दे०) श्राना, पहुँ- प्रावलि-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पंक्ति, श्रेणी, चना । संज्ञा, पु० श्रावना (दे०)। पाँति (दे०)।। वि० श्रावनेहारा, श्रावनहारा, श्रावना- “या अलि श्रावलि की अधरान मैं"हारो (दे०) अवैया, आने वाला। पद्मा। श्रावनहार (दे०)।
भावाल-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पंक्ति, श्रेणी। श्रावभगत-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० श्रावना संज्ञा, पु० थाल । +भक्ति-सं० ) आदर सत्कार, खातिर
प्रावली-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पंक्ति, श्रेणी, तवाजा, सेवा-सुश्रूषा।
शृंखला, बिस्वे की उपज का अनुमान लगाने प्राधभाव-संज्ञा, पु० (दे०) आदर.
या अंदाज़ करने की एक विधि या युक्ति, सत्कार, मान-सम्मान ।
श्रावलि । श्राघरण-संज्ञा, पु० (सं० ) आच्छादन.
प्रावश्यक-वि० (सं०) अवश्य होने ढकना, किसी वस्तु पर ऊपर ले लपेटा हुआ
योग्य, ज़रूरी, सापेक्ष्य, अनिवार्य, प्रयोज वस्त्र, बेठन, परदा, ढाल, दीवार आदि का
नीय, जिसके बिना काम न चले, उचित । घेरा, चलाये हुए अस्त्र-शस्त्र को निष्फल
| आवश्यकता--संज्ञा, स्त्री० (सं० ) ज़रूरत, करने वाला अस्त्र, अज्ञान ।।
अपेक्षा, प्रयोजन, मतलब । श्रावरण-पत्र-संज्ञा, पु. यो० (सं०)
प्रावश्यकीय-वि० (सं० ) ज़रूरी,
अपेक्षाकृत, आवश्यक, प्रयोजनीय, अवश्य किसी पुस्तक के ऊपर रक्षा के लिये लगाया जाने वाला काग़ज़ ।
आवसथ---वि० (सं० ) गृह, भवन, गेह, प्रावर्जन-संज्ञा० पु. (सं० या + वृन् ।
व्रत, एक प्रकार का यज्ञ, इस यज्ञ के करने अनट ) फेकना, मना करना, रोकना-- |
वाले अवस्थी कहलाते हैं। हरकना (दे०)।
आधह--संज्ञा, पु. ( सं० श्रा--वह -। अल् ) श्रावर्त-संज्ञा, पु. (सं०) पानी की
सप्तवायु के अन्तर्गत एक विशेष प्रकार की भँवर, चक्र, फेर, घुमाव, न बरसने वाला
वायु, भूवायु। बादल, एक प्रकार का रत्न, राजावर्त, लाज
श्रावहमान्-वि० (सं० ) क्रमागत, पूर्वा वर्द, सोच-विचार, चिंत्ता, संसार, दशमूल
पर, क्रमिक । अंक के ऊपर एक लघु विन्दु जो उसकी
प्राधा-संज्ञा, पु० दे० (सं० आपाक ) पुनरावृत्ति सूचित करता है।
कुम्हारों के मिट्टी के बर्तन आदि पकाने का यौ० श्रावर्तदशमलध-पुनरावृत्ति वाला
गड्ढा, भट्टी। दशमूल | वि० घूमा हुअा अंक।
श्रावा-अ० कि० सा० भू० दे० (हि. श्रावर्तन-संज्ञा, पु० (सं० ) चक्कर देना, आना ) श्राया, श्रागया। फिराव, घुमाव, मथना, हिलाना, छाया __ "इक दिन एक सलूका आवा"-रामा० । का फिरना, तीसरा पहर।
| श्राघागमन-संज्ञा, पु. यो० (आवा+गमन वि० श्रावर्तनीय-मंथनीय, घुमाने योग्य । (सं०) आना-जाना, आमद-रफ़्त, बारवि० श्रावर्तित-मथित, घुमावदार, भँवर- बार जन्म लेना और मरना ।
मु०-श्रावागमन से रहित होना ---- पाषर्दा-वि० (फा० ) लाया हुआ, कृपा. मुक्त होना, मोक्ष प्राप्त करना। पात्र, अउरदा (दे०)।
श्रावागमन छुटना---जन्म-मरण न होना।
युक्त।
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