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श्रालापक
यौ० वार्तालाप - बातचीत, संभाषण । आलाप प्रलाप - क्रंदन, रोना पीटना । आलापक - वि० (सं० ) बातचीत करने वाला, गानेवाला, वर्तालाप करने वाला । श्रालापचारी -संज्ञा, स्त्री० (सं० प्रालाप + चारी ) स्वरों के साधने या तान लगाने की क्रिया |
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श्रालेख्य
प्रालिम - वि० ( ० ) विद्वान, पंडित 1 माली - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० प्रालि ) सखी, सहेली, सजनी, सहचरो, पंक्ति, रेखा, मधुपी ।
वि० स्त्री० दे० $ (सं० आई ) भीगी हुई, गीली ।
प्रलापन-संज्ञा, पु० (सं० ) वार्तालाप, गाना, वि० प्रात्तापनीय - गाने योग्य | आनापना - स० क्रि० दे० (सं० श्रालापन ) गाना, सुर खींचना, तान लगाना । आलापिनी-संज्ञा स्त्री० (सं० ) वंशी, बाँसुरी, मुर्ली ।
प्रालापित- वि० सं० ) बात-चीत किया
हुआ, गाया हुआ । आलापी - वि० सं०) बोलने वाला, आलाप लेने वाला, तान लगाने वाला, गाने वाला ।
श्रालावु - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लौकी,
संज्ञा,
झालाय बलाय - ( अलाय बलाय ) पु० (दे० ) बुराई, अपवित्रता, मल, शुद्धि, आपदा, अनिष्ठ, अशुभ बातें । पातारासी- वि० (दे० ) बेफिक्र |
लापरवाह,
गले से मिलन,
आलिंगन - संज्ञा, पु० (सं० ) लगाना, परिरंभण, सप्रीति परस्पर भेंटना, अंग लगाने की क्रिया । श्रालिंगना- 3 - स० क्रि० दे० (सं० प्रालिंगन ) भेंटना, लिपटाना, गले या अंक
लगाना ।
प्रालिंगित – वि० (सं० ) गले या अंग लगाया हुआ, भेंटा हुआ, लिपटाया हुआ । प्रालि -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) सखी, सहेली, बिच्छू, भ्रमरी पंक्ति, वली, रेखा, बांध, सजनी, सहचारिणी, सेतु । प्रालिखित- वि० (सं० आ + लिख + क्त ) चित्रित, लिखित, लिखा हुआ, अंकित ।
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वि० (
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० ) बड़ा, उच्च श्रेष्ठ, उत्तम ।
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यस कहि मन बिहँसी इक थाली '
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रामा० ।
" बरनैदीन दयाल बैठि हंसनिकी चली " । आलीशान - वि० ( ० ) भव्य, भड़कीला, शानदार, विशाल, उच्च, श्रेष्ठ, उत्तम । यौ० आालाजनाब ( जनाब आली ) श्रीमान् ।
आलोह -संज्ञा, पु० (सं० या + लिह + क्त) बाण छोड़ने के समय का श्रासन, बायें पैर को पीछे करके और दाहिने को सामने टेक कर बैठना ।
वि० (सं० ) भक्षित, खादित, अशित, भुक्त, लेहित ।
प्रालुलायित - वि० (दे० ) बंधन-रहित,
न बँधा हुआ ।
आलू - संज्ञा, पु० दे० (सं० आलु ) एक प्रकार का गोल कंद या मूल जो तरकारी यादि के काम में श्राता और खाया जाता 1
आलूचा - संज्ञा, पु० ( फा० ) एक प्रकार का वृक्ष जिसका फल पंजाब में खाया जाता है, इसी पेड़ का फल, भोटिया बदाम, गर्दा ।
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घालू बुखारा - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) श्रालूचा नामक वृक्ष का सुखाया हुआ फल, जो कुछ खटमिट्ठा सा होता है । आलेख - संज्ञा, पु० ( सं० ) लिखावट, लिपि । श्रालेख्य-संज्ञा, पु० (सं० ) चित्र, तसवीर, लिपि ।