________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अंथ
अंत्यवर्ण अंत्यवर्ण-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) अंतिमवर्ण, अंदाज-अंदाजा-संज्ञा पु. ( फा० उ० )
शूद्र, अंत का अक्षर, ह, पदान्तवर्ण । अटकल, अनुमान, मान, नाप जोख, ढंग, अंत्यविपुला-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) श्रार्याछंद तर्ज, कूत, तख़मीना, ढब, तौर, मटक, का एक भेद ।
हाव, चेष्टा, इंगन, (सं०-अंदाजी, अंत्या-संज्ञा, स्त्री (सं० ) चंडालिनी।। | अंदाजन-क्रि० वि०)।। अंत्याक्षर-संज्ञा पु० यौ० (सं० अंत्य+
| अंदाज़न-क्रि ० वि० (फा० ) अटकल से, अक्षर ) शब्द या पद का अंतिमातर,
लगभग, करीब । वर्णमाला का श्राखीरी वर्ण ह ।
अंदाजपट्टी-संज्ञा, स्त्री० (फा. अंदाज+ अंत्याक्षरी- संज्ञा, स्त्री० ( सं० यौ० अंत्य+
पट्टी ) खेत में खड़ी फसल को कूतना। अक्षरी) किसी कहे हुए श्लोक या छंद
अंदाजा- संज्ञा. पु० (फा० उ० ) अंदाज़, ( पद्य ) के अंतिमाक्षर से प्रारम्भ होने वाला
अटकल, कूत अनुमान, तख़मीना । दूसरा छंद या पद्य, बेतबाज़ी ( उ०, फा०)
अंदाना-- स० कि०, बरकाना। उक्तरीत्यानुसार पद्यपाठ ।
अंदु-अंदुक-संज्ञा, पु० (सं० ) स्त्रियों के अंत्यानुप्रास-संज्ञा, पु० यौ० (सं० अंत्य + अनुप्रास ) पद्य में चरणों के अंतिमाक्षरों
पैर का एक गहना, पाजेब, पैजनी, पैरी, का मेल, तुक, तुकान्त, एक प्रकार का
हाथी के बाँधने का रस्सा। अलंकार ( काव्यशास्त्र)
अंदुप्रा - संज्ञा, पु. ( सं० अंदुक ) हाथियों अंत्येष्टि-संज्ञा, पु. (सं० अंत्य + इष्टि )
के पैर में डालने का कांटेदार लकड़ी का प्रेत-कर्म, शवदाह से सपिंडन तक का कृत्य,
बना हुआ एक यंत्र। क्रिया-कर्म,मृतक कर्म, अंत्येष्टि क्रिया- अंदेशा- संज्ञा, पु० ( फा० ) सोच, चिन्ता, अंतिमसंस्कार।
आशंका, फिक्र, संशय, अनुमान, संदेह, अंत्र-सज्ञा, पु० (सं०)श्रांत, अंतड़ी। शंका, खटका, भय, डर, हरज, हानि, अंत्र-कूजन-संज्ञा, पु. यौ० (सं० अंत्र+ दुविधा, असमंजस, आगा-पीछा, पशोपेश । कूजन ) अाँतों का शब्द या बोलना, “तुमसों अहै अंदेश पियारे-प० । गुड़ गुड़ाहट ।
अंदार-संज्ञा, पु० (सं० आंदोलन-झूलना, अंत्र-वृद्धि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) प्रांत हलचल) शोर, हल्ला-गुल्ला, हुल्लड़, कोलाहल, उतरने का रोग।
"बाजन बाजहिं होइ अँदोरा"-५० सू० अंत्रांडवृद्धि-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) प्रांत अंदोह-संज्ञा, पु. (फा०) शोक, दुख, का उतर कर फोते में आकर उसे बढ़ा रंज, खेद, तरदुद या खटका। देने वाला रोग।
अंध-वि० (सं०) नेत्र-हीन, बिना आँखों अंत्री—संज्ञा, स्त्री० (सं० अंत्र ) अँतड़ी। वाला, अंधा, जिसकी आँखों में ज्योति अंदर-क्रि०वि० ( फा० उ० ) भीतर। या रोशनी न हो, देखने की शक्ति से अँदरसा-संज्ञा, पु० (सं० अंतररस ) एक रहित, अज्ञानी, मूर्ख, बुद्धि-हीन, अविप्रकार का पकान या मिठाई।
वेकी, अचेत, असावधान, उन्मत्त, मत्त, अंदरी-वि० (फा० उ० ) सं० अंतरी- मतवाला-मदान्ध-संज्ञा, भा०-अंधता--- भीतरी।
संज्ञा, पु०-नेत्र विहीन प्राणी, अंधा, जल, अंदरूनी-वि० ( फा० उ०) भीतरी, भीतर उल्लू. चमगादड़, अँधेरा, अंधकार, कविका, अन्दर का।
परम्परा के विरुद्ध चलने से सम्बन्ध रखने
For Private and Personal Use Only