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श्रमादा
आमादा - वि० ( फा ) उद्यत, तत्पर, उता (दे० ) तैय्यार, सन्नद्ध, कटिवद्ध । श्रमान्नसंज्ञा, पु० (सं० ग्रम + अ + क्त)
कर्म, करणी,
अपक्वान्न, तण्डुल, कच्चा अन्न । श्रीमाल - संज्ञा, पु० ( ० ) करनी (दे० ) । ग्रामालनामा -संज्ञा, पु० ( ० ) कर्माकर्म का लेखा, चरित्र - विवरण । वह रजिस्टर जिसमें नौकरों के चाल-चलन तथा उनकी योग्यता आदि का विशेष विवरण रहता है । मु० - श्रमालनामा ख़राब करनारजिस्टर में किसी नौकर की बुराइयों को दर्ज करना ।
आमाशय -संज्ञा, पु० (सं० ) पेट के अन्दर की वह थैली जिसमें भोजन किये हुए पदार्थ एकत्रित होते और पचते हैं, श्रामस्थली, अतिसार, श्राम रोग । प्रामाहल्दी – संज्ञा स्त्री० दे० (सं० आम्र + हरिद्रा ) एक प्रकार का पौधा जिसकी जड़ रंग में हल्दी के समान और महक में कचूर के समान होती है । आमाहरदी (दे० ) ।
श्रमिख – संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रामिष ) गोश्त ।
श्रामिल संज्ञा, पु० ( प्र० ) काम करने वाला, अमल करने वाला, कर्तव्य परायण, श्रमला, कर्मचारी, हाकिम, अधिकारी, भोझा, सयाना, सिद्ध साधु, पहुँचा हुया फकीर ।
वि० (सं० अम्ल ) खट्टा, अम्ल । वि० ( सं० भा + मिल ) सब प्रकार मिला हुआ ।
“नवनागरि तन मुलक लहि, जोवन श्रामिल जोर "वि० ।
श्रामिष- संज्ञा, पु० (सं० ) मांस, गोश्त, योग्यवस्तु लोभ, लालच, सम्भोग, घूस, रिशवत, संचय, लाभ, काम के गुण, रूप, भोजन |
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श्रानाय
श्रामिषप्रिय - वि० (सं० ) जिसे मांस प्यारा हो, कंक और बाज़ नाम के पक्षी, हिंसक जंतु । प्रामिषभुक - संज्ञा, पु० (सं० ) मांसाहारी, मांस भक्षक, मांसाशी, गोश्तखोर । प्रामिषाशी - वि० (सं० आमिषाशिन् ) मांस भक्षक, मांस खानेवाला, मांसाहारी । ग्रामी – संज्ञा, स्त्री० ( हि० ग्राम ) छोटा कच्चा श्रम, बिया, प्रमिया (दे० ), एक पहाड़ी वृक्ष ।
कारणा
संज्ञा, स्त्री० (सं० ग्राम कच्चा ) जौ और गेहूँ की भूनी हुई हरी या कच्ची बाल । प्रमुख - संज्ञा, पु० (सं०) नाटक की प्रस्तावना, ( नाट्य-शास्त्र ) । आमूल - वि० ( सं० ) मूल पर्यंत, afa, पहिले से, आदितः मूल से । आपृष्ठ - वि० (सं० था + पृष् + क्त ) मर्दित, उच्छेदित, अपमानित, तिरस्कृत । अमेजना – सं० क्रि० दे० ( फा० आमेज़ ) मिलाना, सानना ।
" श्रामेज सुगंध सेजै तजी सुभ्र सीतरे "देव ।
श्रामीद - ( संज्ञा, पु० (सं० ) धानंद, हर्ष, खुशी, प्रसन्नता, दिलबहलाव, तफरीह, सौरभ, गंध ।
प्रमोद-प्रमोद - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) भोग-विलास, हंसी-खुशी ।
प्रमोदित - वि० (सं० ) प्रसन्न, खुश, हर्षित, जी बहला हुआ —- मुदित (दे० ) प्रमुदित, सुगंधित |
मोदी - वि० (सं० ) प्रसन्न रहने वाला, खुश रहने वाला, मुख को सुगंधित करने
वाला ।
प्राम्नाय - संज्ञा, पु० (सं० ) अभ्यास, परंपरा, वेद, निगम, उपदेश, प्राचीन परिपाटी, सम्प्रदाय - वेद पाठ और अभ्यास । यौ० - अक्षराम्नाय - वर्णमालाभ्यास ।
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