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प्रागैं २२८
श्राघ प्रागे-पीछे-एक के पीछे एक, एक के ऋत्विनों में से एक, साग्निक या अग्निहोत्र बाद दूसरा, देर-बेर, पहिले या बाद को, करने वाला, यजमान, यज्ञ-मंडप, होता. क्रम से, आस-पास ।
गृह, धन से वरण किया गया, ऋत्विज । भागे-पीछे होना-अपने से बड़ों और । आग्नेय- वि० ( सं० ) अग्नि-सम्बन्धी, छोटों का घर में होना, सहायकों या देख- । अग्नि का, जिसका देवता अग्नि हो, अग्नि रेख करने वालों का होना, ( न होना )। से उत्पन्न, जिससे अग्नि निकले, जलाने असहाय या अकेला होना, किसी के वंश । वाला। में किसी प्राणी का होना।
संज्ञा, पु० (सं० ) सुवर्ण, सोना, रक्त, भागे-पीछे देखकर चत्तना-सावधानी रुधिर, कृत्तिका नक्षत्र, अग्नि-पुत्र कार्तिकेय, से चलना या कार्य करना, पूर्वापर दशा दीपन औषधि, ज्वालामुखी पर्वत, प्रतिपदा, का विचार कर आचरण करना, गतागत दक्षिण का एक प्रान्त विशेष जिपकी प्रधान का विचार कर कार्य करना।
नगरी महिष्मती थी. दक्षिण-पूर्व के बीच आगे को देखकर पीछे का पैर का दिक्कोण, घृत, अगस्त्यमुनि, पाचक, उठाना–भविष्य का विचार या निश्चय ब्राह्मण, आग को भड़काने वाला बारुद करके वर्तमान दशा को छोड़ आगे बढ़ना, जैसा पदार्थ । सोच-विचार कर अपनी दशा में परिवर्तन यौ०-आग्नये स्नान संज्ञा, पु० यौ० करना।
(सं०) भस्म पोतना।। आगे का पैर रखकर पीछे का आग्नेयास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) प्राचीन उठाना--भावी स्थिति दृढ़ करके वर्तमान काल के अग्नि सम्बन्धी अस्त्र, जिनसे भाग स्थिति को छोड़ना या बदलना। निकलती थी या जिनके चलाने पर आग प्रागे का पैर पीछे पड़ना--अवनति । बरसती थी, बन्दूक---अग्नि-धारण । होना, पीछे हटना, भयभीत हो व्याकुल आग्नेया-वि० स्त्री० (सं० ) अग्नि दीपनहोना, विपरीति गति या दशा होना। कारक औषधि, पूर्व और दक्षिण दिशा के
आगे से-सामने से, आइंदा से, भविष्य बीच की दिशा, अग्निदेव की स्त्री स्वाहा । में, पहिले या पूर्व से, बहुत दिन पीछे से। श्राग्नेगिरि-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० )
आगे रखना-भेंट करना, उपहार-रूप ज्वालामुखी। में देना।
प्राग्रह--संज्ञा, पु० (सं० ) अनुरोध, हठ, आगे से लेना-अभ्यर्थना या स्वागत ज़िद, तत्परता, परायणता, बल, जोर, करना।
आवेश, जोश, अतिशय प्रयत्न, श्रासक्ति, आगे होना-आगे बढ़ना, अग्रसर होना, | ग्रहण, उपकार, अनुग्रह, साहस, श्राक्रमण । उन्नति करना, श्रेष्ठ या उत्तम होना, बढ़ श्राग्रहायण-संज्ञा, पु० (सं० ) अगहन, जाना, सामने आना, मुक़ाबिला करना, मार्गशीर्ष मास, मृगशिरा नक्षत्र । रोकना, रक्षा करना, बचाना, भिड़ना, प्राग्रहायणेष्टि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नवान्न विरोध करना, मुखिया होना।
भोजन, नये अन्न का प्रारम्भ । प्रागैं*-क्रि० वि० दे० (७०) आगे। प्राग्रही-वि० (सं० ) हठी, ज़िद्दी, श्राग्रह प्रागौन*-संज्ञा, पु० दे० (सं० आगमन) करने वाला। आगमन, माना।
आघ-संज्ञा, पु० दे० ( सं० अर्घ) मूल्य, श्राग्नीध-संज्ञा, पु० (सं० ) यज्ञ के १६ । कीमत ।
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