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प्राख
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प्रख
का अन्दर घुस जाना और मुंद जाना, श्राख झशना-आँख छिपाना, भाँख आँख का नीचा होना, लज्जित होना। चुराना, नींद बुलाना। श्राख गिरा लेना (गिराना )-मरने के श्रोत्र टेदी करना- वक्र दृष्टि से देखना, निकट होना, लज्जित होना, शर्म खाना। नाराज़ होना, अहित करना । प्रोग्य से गिरना-मन से उतरना, श्रीख ठंढा करना-देखना (प्रिय वस्तु अप्रिय, अरोचक और अश्रद्धास्पद होना, | का ) देखकर सुख प्राप्त करना, दर्शन से नज़र्ग में गिना ( उ०) घृणित हो प्रसन्नता प्राप्त करना। जाना, त्याज्य हो जाना।
श्राव ठंठी होना-आँखों का देख कर श्रोत्र गुरेग्ना-आँखों को टेढ़ा करना, प्रसन्न होना। नाराज़ होना. रोकना, दबाना, मना करना, प्राग्वे डबडवाना-(अ० कि.) आँखों अप्रसन्न होना।
में आँसू भर पाना आँखों में आँसू भर श्राव में घर करना-मन में बसना,
लाना । ( स० क्रि० । प्रिय हो जाना।
गाग्व डालना-देखना बुरी निगाह से अग्वि घुग्ना-मना करना, रोकना,
देखना, बुरे विचार से ताकना। डाँटना, नाराज़ होना।
श्रोग्य तरेरना-कुपित दृष्टि से देखना, प्रोग्य चढ़ाना-नशे या नींद से पलकों
सरोष देखना। का तन जाना और नियमित रूप से न
प्रौख तिलमिलाना-बार-बार पलक गिरना, नाराज होना, मना करना, रोकना,
लगाना और इधर-उधर आँख चलाना,
चकाचौंध लगना। अप्रसन्न होना।
गांख निरछाना-- टेढ़ी आँख से देखना, श्रोग्य में चढ़ना-चित्त या ध्यान में
वक्र दृष्टि से देखना। रहना, अति प्रिय होना. शिकार बनना
प्रोग्य दिग्बाना-सकोप देखना, नाराज़ प्रांखें चार होना (करना)-चार
होना, डराना, भयभीत करना, डाँटना, प्राखें होना (करना)-देखा-देखी होना रोकना, मना करना. धमकाना।। ( करना', सामने आना, परस्पर देखना। श्राव देखना-धमकी या दबाव मानना,
ऑग्व चलाना- आँखों का इधर उधर डरना, कोप सहन करना, मन की बात घुमाना, मटकाना, खोजना ढूँढ़ना। जानना, इरादा या विचार ताना, मनोश्रग्वि चुगना (किगाना, बनाना) विकार या भावना का अनुभव या अनुमान कतराना, मामने न होना. लज्जा से बराबर करना, तबीयत पहिचानना। सामने न देखना पिना।
अखि दुराना-अाँख छिपाना, चुराना खि छिपाना-अाँख चुराना।
या बचाना, अप्रिय समझ कर न देखना। प्राग्न जमाना-टकटकी बाँधना एकाग्र अग्नि दौडाना-दृष्टि डालना, खोजना, होना, सध्यान देखना, दृष्टि गाड़ना, या ढूँढना। जमाना।
प्राख में धूल डालना (झोंकना) घाख जाना फूट जाना बेकाम होना, प्रत्यक्ष धोखा देना, सामने दग़ा करना। दृष्टि-हीन होना।
प्राँग्ब न ठहरना (जमना ) चमक या अखि झपकना-अाँख बंद होना, नींद । द्रुत गति के कारण दृष्टि का न जमना, श्राना, पलक लगना।
निगाह न ठहरना (रुकना)।
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