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प्रहम्मति
अहवान अहम्मति-संज्ञा, स्त्रो० (सं० अहम् + अहलकार-संज्ञा, पु० (फा ) कर्मचारी, मति ) मनमौजी, धमंडी, अपने को बड़ा कारिंदा। मानने वाली धारणा।
संज्ञा, स्त्री०-अहलकारी। संज्ञा, स्रो० (सं० ) अविद्या, अहंकार । हलमद-संज्ञा, पु. ( फा० ) मुकद्दमों प्रहमित-संज्ञा, खी० दे० (सं० अह- की मिसिलों को रखने और अदालत की म्मति) घमंड, गर्व।
आज्ञानुसार हुक्मनामे जारी करने का काम " जिता काम अहमति मन मांहीं"-- करने वाला कचहरी या अदालत का एक रामा०।
कर्मचारी। सर्व (सं० अहम् + इति ) मैं ही हूँ यह |
संज्ञा, स्त्री० अहलमदी। भाव ।
अहलना--अ० कि० ( दे० ) हिलना, अहमेव - संज्ञा, पु० (सं० ) गर्व, घमंड, |
दहलना। मद, अभिमान, अहंकार, हमेव ( ब्र० दे० )
प्रहलाद--संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रह्लाद ) " और धराधरन को मेट्यो अहमेव
आनंद, प्रसन्नता, प्रमोद ।
अहलादित--वि० दे० (सं० प्रह्लादित ) प्रहर-संज्ञा, पु० (दे० ) पोखरा, पानी
आनंदित, प्रमुदित । का गड्ढा ।
प्रहल्या-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) गौतम ऋषि प्रहरन--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्रा।
की पत्नी, गौतमी, इनके सौंदर्य पर मुग्ध धारण) निहाई।
होकर इन्द्र ने चन्द्रमा को मुर्गा बना के
और गौतम को प्रातः काल हो जाने का " ज्यौं अहरन सिर धाव "..- कबीर० ।।
भ्रम करा स्नान-ध्यान को भिजवा श्राप (दे० ) अहरनि।
गौतम-रूप में आकर इनके चरित्र को प्रहरना--स० क्रि० दे० (सं० आहरण )
दूषित किया था, गौतम को यह रहस्य लकड़ी को चीर कर सुडौल करना, डौलाना,
योग-ध्यान में ज्ञात हो गया और उन्होंने (दे०) अहारना, मारना, पीटना, मार
इन्द्र, चन्द्र तथा असत्य बोलने पर इन्हें मार कर सुधारना ।
शाप दिया, जिससे इन्द्र के शरीर में सहस्त्र प्रहरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० आहरण )
योनि-चिन्ह, चंद्रांक में कलंक हो गये, कंडों का ढेर, कंडों का ढेर ( जलता हुआ) इन्हें उन्होंने वायु सेवन करने, निराहार जिसमें भोजन बनाया जाय ।
रहने तथा तपस्या करने की आज्ञा दी। (प्रान्ती०-अदहरा)।
कौशिक की आज्ञा से राम ने इनका प्रहरहः-अव्ययौ० (सं० अहः । अहः ) अातिथ्य स्वीकार कर इन्हें पवित्री-कृत दिन दिन, प्रतिदिन, रोज़ रोज़ ।। किया और तब ये गौतम को प्राप्त हो अहर्मुख-संज्ञा, पु० (सं०) प्रातः काल, । सकी। तुलसीकृत रामायण में शाप से भोर, सबेरा, प्रत्यूष, प्रभात-समय, भिन. इनका पत्थर होना और राम-पद-स्पर्श सार, सकार (दे० )।
से फिर स्त्री होकर गौतम को प्राप्त करना अहर्षण-संज्ञा, पु० दे० (सं० आहर्षण ) लिखा है। प्रसन्नता, प्रमोद, हर्षाभाव ।
अहवान--संज्ञा पु० दे० (सं० आह्वान ) वि० अहर्षित-प्रसन्न, मुदित, अप्रसन्न। आह्वान, आवाहन, बुलाना,
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