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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - प्रसहनशील १९८ असाध्य " असहन निंदा करत पराई "-चाचा- (ब्र०) असाँचे । हित। " हँसेउ जानि विधि-गिरा असाँची "असहनशील-वि० (सं०) जिसमें सहन | रामा० । करने की क्षमता या शक्ति न हो, असहिष्णु, असा-संज्ञा, पु. (अ.) सोंटा, डंडा, चिड़चिड़ा, तुनुक मिजाज़। चाँदी या सोने से मढ़ा हुआ सोंटा । संज्ञा, भा० स्त्री. ( सं० ) असहन- आसार ( दे०)। शीलता। यौ० प्रासा-बल्लभ असहनीय-वि० (सं० ) न सहने योग्य, असाई-वि० दे० (सं० अशालीन ) जो सहन न किया जा सके असह्य, दुस्सह। अशिष्ट, बेहूदा, बदतमीज़ । असहयोग-संज्ञा पु० (सं०) मिल कर असाढ़-संश, पु० दे० (सं० प्राषाढ़ ) वर्षा काम न करना, अनमेल, अमैत्री, श्राधुनिक ऋतु का प्रथम मास ।। राजनीति में प्रजा या उसके किसी वर्ग का असाढ़ी-वि० दे० ( सं० आषाढ़ी ) राज्य से असंतोष प्रगट करने के लिये उसके __ श्राषाढ़ का, आषाढ़ सम्बन्धी। कामों से सर्वथा अलग रहना, सरकार संज्ञा, स्त्री० (दे०) आषाढ़ में बोई जाने से अलग रहना। वाली फ़सल, ख़रीफ़, आषाढ़ मास की असहयोगी--संज्ञा, पु० (सं० ) असहयोग पूर्णिमा । करने वाला, साथ काम न करने वाला। असाध-वि० दे० (सं० अ + साधु ) असहाय-वि० (सं०) जिसका कोई असाधु, असज्जन, बुरा आदमी। सहायक न हो, जिसे कोई सहारा न हो, वि० दे० ( सं० अ+साध्य ) असाध्य, निःसहाय, निराश्रय, अनाथ, दीन। कठिन, दुष्कर, अशक्त । संज्ञा, पु० (सं०) असाहाय्य । " देखी व्याधि असाध नृप "-रामा० । असहिष्णु-वि० (सं०) असहनशील, वि० दे० (अ+साध = इच्छा) इच्छा. चिड़चिड़ा, जो सहन न कर सके, तुनुक- रहित । मिजाज़। असाधारण-वि० (सं० ) जो साधारण संज्ञा, स्त्री० भा० (सं० ) असहिष्णुता- या सामान्य न हो, असामान्य, गैरअसहनशीलता। मामूली। असही-वि० (सं० प्रसह ) दूसरे को देख संज्ञा, स्त्री० असाधारणता । कर जलने वाला, ईालू । असाधु-वि० (सं० ) दुष्ट, दुर्जन, अविवि० दे० (अ+सही) जो सही वा ठीक नीत, अशिष्ट, असज्जन । न हो। असाधू (दे०)। " असही-दुसही मरहु मनहिं मन, बैरिन । स्त्री० असाध्वी। बहु विषाद" -गीता। संज्ञा, भा० स्त्री० (सं०) असाधुता-- असह्य-वि० (सं० ) जो सहन न किया | नीचता, दुष्टता।। जा सके, दुस्सह, असहनीय, जो बरदाश्त असाध्य - वि० (सं०) न होने के योग्य, न हो सके। जो न हो सके. दुष्कर, कठिन, असम्भव, न प्रसांच-वि० दे० (सं० असत्य ) असत्य, आरोग्य होने योग्य, जो साधा या सिद्ध न झूठ, मृषा, अनुत । किया जा सके। स्त्री० असांची (व.) असांचा। संज्ञा, भा० स्त्री० (सं०) असाध्यता। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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