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अष्टापद
प्रसंबद्ध का पाठ अध्यायों वाला प्रधान सूत्र-ग्रंथ। कारण तो कहीं बताया जाय और कार्य वि० श्राठ अध्याय वाली।
कहीं दिखाया नाय ( काव्य शा०)। प्रष्टापद-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सोना, असंगठन-संज्ञा, पु० (सं०) असंवद्धता, मकड़ी, धतूरा, कृमि, कैलाश, सिंह। अनमेल । " जुत अष्टापद शिवा मानि"-रामा०।। असंगठित-वि० (सं० ) असम्बद्ध, पृथक, अष्टाधक-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक अलग। ऋपि, टेढ़े-मेढ़े अंगों वाल मनुष्य। असंग्रह-संज्ञा, पु० (सं० ) संचय-हीनता, अष्टास्त्रि-सज्ञा, पु० या० (सं० ) अष्टकोण, एकत्रित नहीं। अठकोना।
वि० असंग्रहीत । प्रति-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) गुठली, बीज । संघ-संज्ञा, पु० (सं० ) संघ या समूह अटुली (दे०)।
का प्रभाव । प्रष्टीला-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक प्रकार असञ्चय-संज्ञा, पु० ( सं० ) असंग्रह, न का रोग जिसमें पेशाब नहीं होता और एकत्रित करना। गांठ पड़ जाती है, पथरी।
असंचित-वि. (सं० ) असंग्रहीत, न प्रसंक-वि० दे० (सं० अशंक ) निडर, इकट्ठा किया हुआ । निर्भय, शंका-रहित, असंका (दे०)। असंत-वि० (सं०) खल, दुष्ट, असाधु, प्रसंक्रांति (मास)-संज्ञा, पु० (सं० ) |
नीच। अधिकमास, मलमास ।
" सुनहु असंतन केर सुभाऊ"रामा० । असंख्य-वि० (सं० ) अनगिनत, अग
असन्तति- वि० ( सं०) सन्तानाभाव, नित, अपार, बेशुमार, अगणित, अपरि
- बुरी सन्तान ।
असन्तुष्-वि० (सं० ) जो सन्तुष्ट न हो, मित । असंख (दे०)।
अतृप्त, जिसका मन न भरा हो, अप्रसन्न, असंख्यात-वि० (सं०) असंख्य, अग
नाराज़। णित, अपार।
असन्तुष्टि - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) असंतोष, असंख्येय-वि० (सं०) अगणनीय, जिसकी
अप्रसन्नता। संख्या न हो या जिसे गिन न सके, बहुत असन्तोष-संज्ञा, पु० (सं०) सन्तोषाभाव, अधिक, बेशुमार।
अतृप्ति, अप्रसन्नता नाराज़गी। प्रसंग वि. (सं० ) अकेला, एकाकी, असंगत्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) संपत्याभाव, किसी से सम्बन्ध या वास्ता न रखने वाला, विपत्ति । निर्लिप्त, जुदा, अलग, न्यारा, पृथक, विरक्त।
असम्पत्र-वि० (सं०) जो सम्पन्न या धनी संज्ञा, पु० बुरा सग, कुसंग, संग-रहित । न हो, असम्पत्तिवान, असमर्थ, अयोग्य । असंगत- वि० (सं० ) अयुक्त, अनुपयुक्त, असपूर्ण- वि० ( सं०) अपूर्ण, असमाप्त, बेठीक, अनुचित, नामुनासिब, अयोग्य, सब या समस्त नहीं, कुछ, थोड़ा । मिथ्या।
असंपूर्णता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) न्यूनता, असंगति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बेसिल- अपूर्णता।। सिलापन, बेमेल होने का भाव, अनुपयु- असंबद्ध-वि० (सं० ) जो सम्बद्ध या
ता, नामुनासिबत, कुसंगति, क्रमताभाव, मिला हुश्रा न हो, पृथक, विलग, अनमिल, असम्बद्धता, एक प्रकार का अलंकार, जिसमें बेमेन, अंडबंड, असङ्गठित, असञ्जत । मा..को०-२५
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