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प्रश्रांति १८६
अश्वतर क्रि० वि० लगातार, निरंतर, अनवरत । अश्लिष्ट-वि० (सं० ) श्लेष-शून्य, जो प्रश्रांति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अशैथिल्य, जुड़ा या मिला न हो, असंवद्ध, श्लेषविश्राम, अक्लांति ।
रहित । प्रश्राद्ध-वि० (सं०) प्रेत-कर्म-रहित, श्राद्ध- अश्लील-वि० ( सं० ) फूहड़, भद्दा, विहीन ।
लजाजनक, नीच, अधम, असभ्य । अश्राव्य-वि० (सं० ) न सुनने के योग्य, अश्लीलता--संज्ञा, स्त्री० (सं० ) फूहड़पन, अश्रोतव्य, नाटक में वह कथन जिसे कोई भद्दापन, लज्जास्पदता, घृणा, लज्जा, न सुने ।
असभ्यता-सूचक बातों या शब्दों का काव्य प्रश्रि-संज्ञा, स्त्री. (सं० + श्रि-- क्विप् ) में प्रयोग करने का दोष विशेष ( काव्य धार।
शा० ) इसके भेद हैं :दि० पैना, तीखा, तीषण ।
घृणाव्यञ्जक, लजाव्यञ्जक और अमंगल प्रश्री-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) श्री-विहीनता, व्यञ्जक (असभ्यता या अशिष्टता-सूचक ), अकांति।
यह शब्दगत दोष है। वि०-श्री-विहीन, हतश्री, कांति-रहित। अश्लेष—संज्ञा, पु० (सं०) श्लेषाभाव, प्रभु-संज्ञा, पु० (सं०) आँसू (दे०)। अप्रणय, असंख्य, अप्रीति, अपरिहास,
आँस (ब्र०) अँसुवा (प्रान्ती० ) नेत्र- श्लेष-भिन्न । जल, नयनाम्बु ।
अश्लेषा-संज्ञा, स्त्री० (सं.) २७ नक्षत्रों अश्रुपात-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) आँसू। में से 8 वाँ नक्षत्र, इस नक्षत्र में ६ तारे (दे०) शालू (ब्र०), गिरना, रोना। हैं।-असलेखा (दे०)। अश्रुपतन-अश्रुप्रधाह, अश्र-विमोचन । अश्लेषा-भव-संज्ञा, पु. ( सं० ) केतु अश्रु-पूर्ण-वि० यौ० (सं० ) अांसुओं से नामक एक ग्रह। भरा हुआ।
प्रश्लेष्मा-संज्ञा, पु० (सं० ) कफ विकारप्रश्रत-दि० (सं० ) जो न सुना गया हो, रहित । न सुना हुअा, अनाकर्णित, जिसने कुछ अश्लोक - संज्ञा, पु. ( सं० ) अयश, सुना न हो।
अकीर्ति । प्रश्रत पूर्व-वि० यौ० (सं० ) जो पहिले वि. कीर्ति-रहित, अविख्यात । न सुना गया हो, अद्भुत, विलक्षण, अपूर्व, अश्व-संज्ञा, पु० (सं० ) घोड़ा, घोटक, अभूत पूर्व।
तुरंग। प्रश्रति-वि० ( सं० ) जो बैदिक, या वेद- अश्वकर्ण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक विहित न हो।
प्रकार का शाल वृक्ष, लता, शाल । वि०-कान-रहित, कर्ण-विहीन । अश्वगंधा-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) प्रश्रेयस-वि० (सं० ) निर्गण, अधम, असगंध, एक औषधि । अमंगल, अकल्याण ।
अश्वगति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) घोड़े प्रश्रेष्ठ-वि० सं० ) बुरा, साधारण, उत्तम
की चाल, एक प्रकार का छंद, चित्र काव्य में नहीं, अनुत्तम, सामान्य ।
एक प्रकार का छंद। स्त्री० प्रश्रेष्ठा।
अश्वतर-संज्ञा, पु. ( सं० ) नागराज, संज्ञा, भा० सी० प्रश्रेष्ठता।
खच्चर, अश्व विशेष ।
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