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हरि
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हरसिंगार हरसिंगार-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० हार+ में निषेध हो. सुअर (मुस० ) । " जितनो सिंगार ) परजाता (प्रान्ती.), नारंगी चाव हराम पै, उतनो हरि पै होय" स्फु० । रंग की डाँदो और ५ पंखडियों वाले एक महा.-कोई बात (काम) हराम सुन्दर फूल का पेड़। संज्ञा, पु. यौ० दे० करना--किसी कार्य का करना कठिन ( सं० हर+गार सूर्प, चंद्रमा। कर देना। कोई काम या बात हराम हरहा- संज्ञा, पु० (दे०) चौपाया, जानवर। होना-किसी कार्य का कठिन होना । पाप, हरहाई-वि० स्त्री० (दे० दि० हार) जंगली,
अधर्म, बेईमानी । मुहा०-हराम कानटखट, दुष्ट, बनैली गाय । “जिमि कपि
अनुचित रूप या अन्याय से प्राप्त, मुफ्त लहि घालय हरहाई"--रामा० ।
का. संत का, स्त्री पुरुष के अनुचित संबंध
से उत्पन्न बच्चा। व्यभिचार, स्त्री-पुरुष का हर-हार-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिव जी की
अनुचित सम्बन्ध । माला, साँप, सर्प, शेषनाग। हरा वि० दे० ( सं० हरित ) हरित, घास
हरामखोर --संज्ञा, पु० यौ० ( श्रा+फा० ) या पत्ती के रंग का, सब्ज, ताजा, प्रसन्न
पार की कमाई खाने वाला, संत का खाने अम्लान, अमूर्छित, प्रफुल्ल वह घाव जो सूखा
वाला, मुफ्त खीर , निकम्मा, थालसी,
सुस्त । संज्ञा, स्त्री-हराम-खोरी। या भरा न हो, कच्चा दाना या फल | स्त्रो०हरी । मुहा०-हरा बाग (हरा गुलाब)
हरामजादा-संज्ञा, पु० यौ० ( अ० हराम+ दिखाना-व्यर्थ पाशा देने या बाँधने वाली
फा० जादः) वर्णसंकर, दोगला, पाजी, दुष्ट, बात करना । यौ०-हराभरा-तरताजा,
बदमाश (गाली) । स्त्री-हरामजादी।
हरामी-वि० दे० (अ० हराम-ई-प्रत्य.) हरा, हरे पेड़-पत्तों से भरा। संज्ञा, पु.
व्यभिचार से पैदा, पाजी, दुष्ट, पापी, हरित वर्ण, हरीतिमा, पत्ती या घास जैसा
(गाली)। संज्ञा, पु०-हरामीपन । रंग । *संज्ञा, पु० दे० (हि० हार) माला,
हरारत-संज्ञा, स्त्री० (अ०) ताप, उष्णता, हार। संज्ञा, स्त्री० (सं०) हर की स्त्री, पार्वती।
गरमी, ज्वरांश, हलका ज्वर। हराई -- संज्ञा, स्त्री० (हि. हारना ) हार, रावरि*-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हडावरि) द्वारने की क्रिया या भाव, खेत का वह अस्थि समूह, हाड़ों का पंजर । संज्ञा, पु. भाग जो एक बार में जोता जाता है, हल (नु० हरावल ) सेना का अग्र भाग । में चलना।
हरावल-संज्ञा, पु. (तु. ) सेना का प्रय हराना-स० क्रि० दे० (हि. हारना) रण में भाग, वे सैनिक जो सेना में सब से आगे शत्रु या प्रतिद्वंदी को पीछे हटाना, पराजित रहते हैं, हरोल (दे०)। या परास्त करना, बैरी को विफल मनोरथ गम-संज्ञा, पु० दे० (फ़ा० हिरास) आशंका या शिथिल प्रयत्न करना, थकाना । प्रे० भय, शंका, डर. खटका, शोक, दुख, नैराश्य । रूप०--हरवाना, हरावना ।
" वय विलोकि जिय होत हरासू"हरापन--संज्ञा, पु. (हि. हरा+पन- रामा० । संज्ञा, पु० दे० ( सं० हास ) हास,
प्रत्य० ) सब्जी, हरितता, हरे होने का घटती, कमी। भाव, हरीतिमा।
हराहर* --संज्ञा, पु० द० (सं० हलाहल ) हराम - वि० (अ.) अनुपयुक्त, निषिद्ध, । विष, नहर, माहुर, मगरल । अनुचित, विधि-विरुद्ध दूषित, बुरा । संज्ञा, हरि-वि० (सं०) पीला, बादामी या भूरा, पु. वह बात या कर्म जिसका धर्म-शास्त्र हरित, हरा । संज्ञा, पु०-विष्णु, जिष्णु, इन्द्र,
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