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RWAROWIKIHIROIRTMaracaaEEEEEWAMALAKICHIVARIOMARAwwaWITMarawenar
अप्रधान ।
अपर्मित
अवलेह प्रमित-वि० (सं० ) जो कवच न धारण अवलन्-संज्ञा, पु० (सं०) घुमाव-रहित, किये हो।
अविचलन । अपर्य–वि. ( सं० ) अश्रेष्ठ, अनुत्तम, अलत-वि० (सं० ) अगति शील. न
लपेटा हुश्रा, न घिरा हुआ, न घूमा हुआ, स्त्री० अपर्या-अश्रेष्टा, जो कन्या न हो। घुमाव-हीन । अवर-संज्ञा, पु. ( सं० ) जो जंगली या । अपलिप्त-वि० (सं० ) पोता या लीपा मूर्ख न हो, अपतित ।
हुआ, सना हुआ, लीन, घमंडी। अवर्षक-वि० (सं० ) न बरसने वाला। अलिर-वि० (सं०) जो ऐंचाताना न अवर्षण-संज्ञा, पु. (सं० ) वर्षा का न हो, जो भेंड़ा न हो। होना, न बरपना, वर्षाभाव ।
अवली*--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्रावलि ) अवर्म-संज्ञा, पु. (सं०) शरीराभाव, पंक्ति, पाँति, पांती, समूह, झुड, नवान्न देह-हीनता।
करने के लिये खेत से पहिले-पहल काटी अवलंघन--संज्ञा, पु० (सं० ) लावना,
गई अन्न की गांठ। उल्लंघन ।
(दे०) आर्वाल, अधलि ।
" कबरी भारनि रचें आनि अवली गुंजनि अवलंघना-स० कि. (सं०) लाँधना,
की"..--दीन । उलाँघना। वि० अवलंधित, अवलंघनीय।।
अवलोक ---वि० दे० (सं० अत्र्यलीक )
पाप-शून्य, निकालंक, शुद्ध', निर्दोष । अवलंब--संज्ञा, पु० (सं.) आश्रय।।
अवलेखना-60 कि० दे० (सं० अवलेखन ) पासरा (दे०) सहारा, आधार शरण ।
वादना, खुरचना, चिन्ह करना, लकीर अवलंबन-संज्ञा, पु. ( सं०) श्राश्रय,
खींचना । आधार, सहारा, धारण करना, ग्रहण करना,
अधरेखना (दे० ) चित्रित करना, अंकित शरण ।
करना, सोचना। अवलंबना*--स० क्रि० द. (सं० अय...
वि० अवलखक । लम्बन ) अवलंबन करना, प्राश्रय लेना,
अवलेखनीय-वि० (सं०) चित्रित करने टिकना, धारण करना, शरण लेना।
के योग्य, चिन्हित करने योग्य, विचारणीय । " परम अनाथ देखियत तुम बिनु केहि
बिनु काह अघलेखित-वि० (सं०) चिन्हित, चित्रित, अवलंबिय प्रात"--सूबे० ।
विचारित । अवलंबित-वि० (सं० ) श्राश्रित, अाधा- अषलेखी--वि० (सं० ) चिन्हित, अंकित । रित, सहारे पर स्थिर, निर्भर, टिका हुआ, अवलेप-संज्ञा, यु. (सं० अबलेपन ) उबमनहसर, किसी बात के होने पर निश्चित टन, लेप, घमंड, गर्व, अहकार। किया हुआ।
अवलपन-संज्ञा पु० ( सं० ) लगाना, अवलंबी-वि० पु. ( सं० अक्लंबिन्) , पोतना, लगाई जाने वाली वस्तु, लेप, अवलंबन करने वाला, सहारा लेने वाला, चमंड, गर्व, दूपणा, अभिमान, अहकार । आश्रय देने वाला, शरणागत ।
वि० अषलापत- लीपा या पोता हुआ, स्त्री० अवलंबिनी।
दूषित। अवल- वि० (सं० ) अबल, बल-रहित, अवलेह-संज्ञा, पु. (सं० ) न अधिक निर्बल।
गाढ़ी और न अधिक पतली लेई, चाटने के
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