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१८३४
स्तब्धता स्कंद-संज्ञा, पु० (सं०) गिरना, बहाना, | थंभा, थूनी, तरु-स्कंध, पेड़ की पेड़ी या निकलना, ध्वंस, विनाश, शिव-सुत, जो देव
तना, शरीर के अंगों की गति का अवरोध, सेनापति और युद्ध के देवता हैं, कार्तिकेय
अचलता, जड़ता, रुकावट, प्रतिबंध, किसी शिव, देह शरीर, बालकों के ६ घातक | शक्ति के रोकने का एक तांत्रिक प्रयोग, ग्रहों या रोगों में से एक ग्रह या रोग। शरीर के जड़वत् हो जाने का एक साविक
" स्कन्दस्य मातु पयसां रसज्ञा" - रघु० । भाव (सा०)। स्कंदगुप्त-संज्ञा, पु. ( सं०) पटने के गुप्त- स्तंभक-वि० (सं०) अवरोधक, रोकने वंश का एक सम्राट् (ई. सन् ४५० से | वाला, वीर्य के पतन को रोकने वाला, ४६७ तक)।
मलावरोध-कारक । स्कंदन-- संज्ञा, पु० (सं०) रेचन, कोठे की स्तंभन-संज्ञा, पु० (सं.) निवारण, रुकावट, सफाई, निकलना, गिरना, बहना । वि. अवरोध, वीर्य के स्खलन में रुकावट, स्कंदनीय, स्कंदित।।
विलम्ब या बाधा, वीर्य-पात के रोकने की स्कंदपुराण-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) औषधि, जड़ यो निश्चेष्ट करना, जड़ी
अठारह पुराणों में से एक महापुराण जिसमें कारण, किसी की शक्ति या चेष्टा के रोकने कातिकेय का वर्णन है।
का एक तान्त्रिक प्रयोग, पाँच बाणों में स्कंदित-वि. ( सं० ) निकला हुया, से एक, मलावरोध, मदन के कब्ज । वि०
स्खलित, गिरा हुआ, पतित, सवित ।। स्तंभनीय, स्तंभित । स्कंध-संज्ञा, पु. (सं०) मोढा, कंधा, | स्तंभित--वि० (सं०) जड़, अचल, स्तब्ध, काँधा, पेड़ की डालियों के फूटने का स्थान, निश्चल, सुन्न, निस्तब्ध, अवरुद्ध, रुका या दंड, कांड, शाखा, डाली, वृन्द, झुड, रोका हुश्रा। समूह, व्यूह. सेना का अंग, पुस्तक का | स्तन-संज्ञा, पु० (सं०) मादा पशुओं या विभाग जिसमें एक पूर्ण प्रसंग हो, शरीर, स्त्रियों के दूध रहने का अंग, पयोधर, थन, खंड, प्राचार्य, मुनि, युद्ध, रण, संग्राम, अस्तन, अस्थन (द०), उरोज, चूंची, श्रार्या छन्द का एक भेद (पिं०), पांच | छाती। मुहा०-स्तन पीना-शिशु पदार्थः-रूप, वेदना, विज्ञान, संज्ञा, संस्कार | का स्तनों से दूध पीना, शैशव का सा (बौद्ध), रूप, रस, गंध, पर्श, शब्द व्यवहार करना ( व्यंग्य०)। (द० शास्त्र)।
स्तनंधय-संज्ञा, पु० (सं०) बालक, लड़का। स्कंधावार-संज्ञा, पु. (सं० ) राजा का | स्तनन-संज्ञा, पु० (सं.) मेघ गर्जन, बादल, शिविर या डेरा-नीमा, छावनी,सेना-निवास, गर्जना, ध्वनि, आर्तनाद । सेना, कैंप (अ.)।
स्तन-पान-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) स्तनों स्कंभ-संज्ञा, पु० (सं० ) स्तंभ, खम्भा, | या थनों से दूध पीना, स्तन्यपान । ईश्वर, ब्रह्म।
स्तनपायो-वि० (सं० स्तनपायिन् ) माता स्खलन-संज्ञा, पु. ( सं० ) पतन. गिरना, के स्तनों या थनों से दूध पीने वाला, शिशु, निकलना, फिसलना, चूकना । वि०- छोटा बालक, बच्चा। स्खलनीय।
स्तब्ध-वि० (सं०) अचल, जड़ीभूत, स्खलित-वि० (सं०) पतित, विचलित, दृढ़, स्तंभित, निश्चेष्ट, स्थिर, धीमा, मन्द। गिरा हुश्रा, च्युत, फिसला हुश्रा, चूका हुआ। स्तब्धता-संज्ञा, स्त्री. ( सं०) जड़ता, स्तंभ-संज्ञा, पु. (सं०) स्थंभ, खम्भा, । निश्चेष्टता, पता, स्थिरता, स्तन्ध का भाव।
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