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प्रतिज्ञा।
अवमानित
१७३
अवरोधन अवमानित-वि० ( मं० ) असम्मानित, अवराधी - वि० ० (सं० आराधन) तिरस्कृत।
आराधना करने वाला, उपासक, पुजारी । वि० अपमानाह-अधमाननीय । | श्रावरुद्ध-वि० (सं० रुश हुआ, घिरा अवमूई- संज्ञा. पु. (सं० ) अधः शिर, या ढका हुआ रुका हुआ, गुप्त, छिपा अधोमुख, नत-मस्तक।
हुआ ! अषयव-संज्ञा, पु० (सं० ) अंश, भाग, प्रवरूढ़-वि० सं० ) ऊपर से नीचे पाया हिस्मा, शरीर का अंग, हाथ, पैर श्रादि हुआ, उतरा हुमा. ( विलोम ) आरूढ़ । देहांग, तर्क पूर्ण वाक्य का एक अंश या आवरेख-संज्ञा, स्त्री० (३०) लेख. लकीर, भेद ( न्याय )। अषयवी- वि० ( ० ) अवयव वाला,
धावरेखना- सक्रि० दे० (सं० अवअंगी. अंगवाला, कल, सम्पूर्ण, अंगधारी।
लेखन ) उरेहना, लिखना. चित्रित करना, मंज्ञा. पु. वह वस्तु जिपके अनेक अवयव या देखना अनुमान धरना, सोचना, कल्पना अंग हों. देह, शरीर।
करना, जानना, मानना। अधर-वि० (सं० अपर ) अन्य, दूसरा,
" चंपक-पुहुप-बरन तन सुन्दर मनोचित्र और, अधम, मन्द, क्षुद्र, चरम कनिष्ट,
अवरेग्वी"... सूर० । नीच अनुनम, अश्रेष्ठ, निर्वल, श्रबल ।
" रहि जनु कुँवरि चित्र अवरेखी "अव्य० (दे० ) और, श्रउर ( दे० )।
रामा० ।
" अपनी दिपि प्रान नाथ प्यारे श्रवरेखौ अमरज-संज्ञा, पु० (सं० ) कनिष्ठ भ्राता,
हरि"..-मज०। छोटा भाई, अनुज, शूद्र।
घरेब-संज्ञा, पु० दे० (सं० अव - विरुद्ध अवरजा-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) कनिष्टा
---रेव - गति ) वक्रगति, तिरछी या टेढ़ी अनुजा, भगिनी, छोटी बहिन ।।
चाल, कुटिल गति, कपड़े की तिरकी काट । अधरत वि० (सं० ) जो रत न हो.
औरेव ( दे०)। विरत, निवृत्त, स्थिर ठहरा हुआ, पृथक,
यौ० अघरेबदार--- तिरछी काट का घेरदार विलग, अलग, ( विलोम ) अनवरत ।
कपड़ा। संज्ञा. पु० (दे०) प्राधर्त।
संज्ञा, पु० पेंच, उलझन, कठिनाई. बुराई, अपराधक-वि० (सं० आराधक ) धारा
खराबी, झगड़ा, विवाद, झंझट, खींचतान । धना करने वाला, पूजा करने वाला, जप।
" कुल-गुरु सचिव निपुन नेवनि अवरेब न या भजन करने वाला, उपासक, सेवक,
समुझि सुधारी "----गीता० । भक्त, ध्यानी।
अवरोध-संज्ञा. पु० (सं० ) रुकावट रोक, अवगधन-संज्ञा, पु. (मां० ) अाराधन, अडचन, घेर लेना, घेरा, मुहालिरा, निरोध उपासन, पूजा, सेवा, ध्यान, जप, भजन ।। बन्द करना, अनुरोध, दबाव, अतःपुर, रनिअवराधना -स० क्रि० दे० (सं० अारा- वास, अटक, राज-गृह, राजदारा, जनाना । धन ) उपासना करना, पूजन सेवा करना, “कंठावरोधन विधौ स्मरणंकुतस्ते"। ध्यान करना।
अवरोधक-वि० (सं०) रोकने वाला, " एक हुतो सो गयो स्याम-सँग को घेरने वाला। अवराधै ईस ".-- सूर० ।
! अवरोधन-संज्ञा, पु. ( सं रोकना, अपराध्या (७०) पाराध्यो, पूजा की।। छेकना, घेरना, अंतःपुर, जनाना ।
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