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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HEELERSPERINomasa r a mRRESENTERACTRESSMEiwwIMASAT HROUTERNAMEAmraPNA प्रतिज्ञा। अवमानित १७३ अवरोधन अवमानित-वि० ( मं० ) असम्मानित, अवराधी - वि० ० (सं० आराधन) तिरस्कृत। आराधना करने वाला, उपासक, पुजारी । वि० अपमानाह-अधमाननीय । | श्रावरुद्ध-वि० (सं० रुश हुआ, घिरा अवमूई- संज्ञा. पु. (सं० ) अधः शिर, या ढका हुआ रुका हुआ, गुप्त, छिपा अधोमुख, नत-मस्तक। हुआ ! अषयव-संज्ञा, पु० (सं० ) अंश, भाग, प्रवरूढ़-वि० सं० ) ऊपर से नीचे पाया हिस्मा, शरीर का अंग, हाथ, पैर श्रादि हुआ, उतरा हुमा. ( विलोम ) आरूढ़ । देहांग, तर्क पूर्ण वाक्य का एक अंश या आवरेख-संज्ञा, स्त्री० (३०) लेख. लकीर, भेद ( न्याय )। अषयवी- वि० ( ० ) अवयव वाला, धावरेखना- सक्रि० दे० (सं० अवअंगी. अंगवाला, कल, सम्पूर्ण, अंगधारी। लेखन ) उरेहना, लिखना. चित्रित करना, मंज्ञा. पु. वह वस्तु जिपके अनेक अवयव या देखना अनुमान धरना, सोचना, कल्पना अंग हों. देह, शरीर। करना, जानना, मानना। अधर-वि० (सं० अपर ) अन्य, दूसरा, " चंपक-पुहुप-बरन तन सुन्दर मनोचित्र और, अधम, मन्द, क्षुद्र, चरम कनिष्ट, अवरेग्वी"... सूर० । नीच अनुनम, अश्रेष्ठ, निर्वल, श्रबल । " रहि जनु कुँवरि चित्र अवरेखी "अव्य० (दे० ) और, श्रउर ( दे० )। रामा० । " अपनी दिपि प्रान नाथ प्यारे श्रवरेखौ अमरज-संज्ञा, पु० (सं० ) कनिष्ठ भ्राता, हरि"..-मज०। छोटा भाई, अनुज, शूद्र। घरेब-संज्ञा, पु० दे० (सं० अव - विरुद्ध अवरजा-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) कनिष्टा ---रेव - गति ) वक्रगति, तिरछी या टेढ़ी अनुजा, भगिनी, छोटी बहिन ।। चाल, कुटिल गति, कपड़े की तिरकी काट । अधरत वि० (सं० ) जो रत न हो. औरेव ( दे०)। विरत, निवृत्त, स्थिर ठहरा हुआ, पृथक, यौ० अघरेबदार--- तिरछी काट का घेरदार विलग, अलग, ( विलोम ) अनवरत । कपड़ा। संज्ञा. पु० (दे०) प्राधर्त। संज्ञा, पु० पेंच, उलझन, कठिनाई. बुराई, अपराधक-वि० (सं० आराधक ) धारा खराबी, झगड़ा, विवाद, झंझट, खींचतान । धना करने वाला, पूजा करने वाला, जप। " कुल-गुरु सचिव निपुन नेवनि अवरेब न या भजन करने वाला, उपासक, सेवक, समुझि सुधारी "----गीता० । भक्त, ध्यानी। अवरोध-संज्ञा. पु० (सं० ) रुकावट रोक, अवगधन-संज्ञा, पु. (मां० ) अाराधन, अडचन, घेर लेना, घेरा, मुहालिरा, निरोध उपासन, पूजा, सेवा, ध्यान, जप, भजन ।। बन्द करना, अनुरोध, दबाव, अतःपुर, रनिअवराधना -स० क्रि० दे० (सं० अारा- वास, अटक, राज-गृह, राजदारा, जनाना । धन ) उपासना करना, पूजन सेवा करना, “कंठावरोधन विधौ स्मरणंकुतस्ते"। ध्यान करना। अवरोधक-वि० (सं०) रोकने वाला, " एक हुतो सो गयो स्याम-सँग को घेरने वाला। अवराधै ईस ".-- सूर० । ! अवरोधन-संज्ञा, पु. ( सं रोकना, अपराध्या (७०) पाराध्यो, पूजा की।। छेकना, घेरना, अंतःपुर, जनाना । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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