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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवध अवनति संज्ञा, पु. संस्कृत के व्याकरण का एक म०-अधि बदना-समय या मियाद विशेष ग्रंथ। निश्चित करना, अवधि देना--समय अवध-संज्ञा, पु० (सं० अयोध्या ) कोशल निर्धारित कर देना। देश, जिसकी प्रधान नगरी अयोध्या थी, अवधिमान-संज्ञा, पु. (सं० ) समुद्र, अयोध्या पुरी। सागर, सिन्धु। "घर-घर बाजत अवध बधावा"-रामा। अवधी-वि० (सं० अयोध्या ) अवधसंज्ञा, स्त्री० देखो, अवधि, सीमा-समय। । सम्बन्धी, अवध का, अवध-विषयक । वि० (अ+वध ) न मारने योग्य । संज्ञा, स्त्री. अवध प्रान्त की बोली। अवधान-संज्ञा, पु. (सं०) मनोयोग, संज्ञा, पु. अवध का रहने वाला, चित्त का लगना, चित्त की वृत्तियों का अवधवासी। निरोध कर चित्त को एक ओर लगाना, अषधीर्य-वि०, पू० क० कि० (सं०) समाधि, सावधानी, चौकसी। विचार कर, सोच कर, अपमानित कर । संज्ञा, पु० (सं० प्राधान) गर्भ, पेट । अवधूत-संज्ञा, पु० (सं० ) ( अव+धू+ अवधारण-संज्ञा, पु. (सं०) निश्चय, क) कंपित, कम्पायमान, परिवजित, विचार-पूर्वक, निर्धारण करना, निर्णय, परिष्कृत, उदासीन, योगी, संन्यासी, गुरु स्थिरीकरण । दतात्रेय के समान, (तन्मतानुयायी ) साधु अवधारणीय-वि० (सं०) विचारणीय, विशेष, वर्ण और आश्रमोचित धर्मो को निर्णय के योग्य, स्थिर करने के योग्य । छोड़ कर केवल आत्मा को ही देखने वाले वि० अषधारित, अवधार्य। योगी, अवधूत कहलाते हैं, यती। अवधारना-स० क्रि० दे० (सं० अवधा स्त्री० अवधूतनी। रण) धारण करना, ग्रहण करना, मानना, अवधूतवृत्ति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) समझना, विचारना। अवधूतों की वृत्ति या प्रवृत्ति, उनका प्राचार" उपजैइ अँह जिय दुष्टता, सुअस या विचार-अवधूताचार-अवधूत-कर्म या अवधारु"-भाव। रीति-नीति । अषधारी-क्रि० वि० (सं० ) निश्चय अवध्य-वि० (सं० ) वध के अयोग्य, जिसे किया गया, शोधा या विचारा हुआ। प्राणदंड न दिया जा सके, न मारने के लायक। अवधार्य-वि० ( सं० ) विचार्य, चिंत्य, " नाततायि वधे दोषोऽवध्यो भविति निर्णय के योग्य। कश्चन् ".-मनु० । "परिणितरवधार्या यत्नः पंडितेन"-1 अवन-संज्ञा, पु० (दे०) रक्षण, प्रमोदकअवधि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सीमा, हद, कार्य। निर्धारित समय, मियाद, अंत समय, अवनत-वि० (सं० ) नीचा, झुका हुआ, अंतिम काल । गिरा हुआ, पतित, कम, नम्र, विनीत, अव्य० (सं० ) तक, पर्यन्त, लौं। दुर्दशा-ग्रस्त । “राखिय अवध जो अवधि लगि'- अवनति-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) घटती, रामा० । न्यूनता, कमी, अधोगति, पतन, हीन दशा, " मंदिर-परध अवधि हरि करिगे".- _दुर्दशा, दुर्गति, विनय, नम्रता । सूर० । वि० अवनतिकारी। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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