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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra rafच्छन्न चिन्न - वि० (सं० ) अलग किया हुआ, पृथक, विशेषण-युक्त, सीमावद्ध, अवधि सहित । www.kobatirth.org श्रवच्छेद - संज्ञा, पु० (सं० ) अलगाव, भेद, हद, सीमा अवधारण, छान बीन, परिच्छेद, विभाग | १६६ प्रच्छेद्य - वि० (सं० ) अवच्छेद के योग्य, विभाजनीय छानबीन करने योग्य, सीमा के लायक़ | बच्छेदक - वि० सं०) भेदकारी, अलग करने वाला, हद या सीमा बाँधने वाला, श्रवधारक, निरचय करने वाला । संज्ञा, पु० विशेषण । ܕܙ अकुंग - संज्ञा, पु० (दे० ) उछंग, उमंग, उत्साह गोद । " सो लीन्हों श्रवछंग जसोदा अपने भरि भुज दंड - सूर० । अवज्ञा - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अपमान, अनादर, आज्ञा न मानना, अवहेला, पराजय, हार, उपेक्षा, अमान्य करण । ܕܕ (4 साधु अवज्ञा कर फल ऐसा -रामा० । संज्ञा, पु० (सं० ) एक प्रकार का अलंकार जिसमें एक वस्तु के गुण-दोष से दूसरी वस्तु को गुण दोष न प्राप्त होना सूचित किया जाय ( ० पी०, काव्य० ) । श्रवज्ञान - वि० (सं० ) अपमानित, अनाहत, श्रवहेलित, तिरस्कृत । प्रवज्ञेय - वि० (सं० ) अपमान के योग्य, तिरस्कार के योग्य, अनादरार्ह । अघटना - स० क्रि० दे० ( सं० आवर्तन ) मथना, लोडित करना, किसी द्रव पदार्थ को श्राग पर चढ़ा कर गाढ़ा करना, प्रोटना (दे० ) । " धौरी धेनु दुहाइ छानि पय मधुर आँच मैं श्रवटि सिरायौ " सूत्रे ० मु० प्रवटि मरना -- मारे मारे फिरना । " जो थाचरन बिचार मेरो कल्प कोटि लगि अवटि मरौं ” चिन० । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Exaaefeat षटि डालना - खूब घूम डालना, छानबीन कर डालना, मथ डालना । अ० क्रि० घूमना, फ़िरना, चक्कर लगाना । पू० का० अट, औट (दे० ब्र० ) । अट - संज्ञा, पु० ( दे० ) छिद्र, नटवृत्ति से जीवन बिताने वाला, गर्व, ग़रूर । (दे० ) । अवडेर - संज्ञा, पु० ( दे० ) फेर, चक्कर, भट, धोखा, कपट, छल, बहकात्र, बखेड़ा, रंग में भंग । अवडेरनाक - स० क्रि० दे० ( हि० अवडेर) फेर में डालना, भट - झमेले में फँसाना, शान्ति भंग करना, तंग करना, त्याग करना, बसने न देना । " पुनि श्रवड़ेरि मरायेन्हि ताही " - रामा० । " पोषि-तोषि आपने न थापि श्रवडेरिए "" कवि० । अवडेरा - वि० दे० ( हि० अवडेर) चक्कर - फेरफार वाला, झंझट वाला, बेढब, दार, बेढङ्गा । saढर वि० (सं० ) नीच पर भी ढलने या दया करने वाला, बिना विचारे दया करने वाला, परम दयालु, । ० ) | प्रदर ( ० अवतंस - संज्ञा, पु० (सं० ) भूषण, अलंकार, शिरोभूषण, टीका, मुकुट, कर्ण. भूषण, शिरपेंच, चुडामणि, माला. श्रेष्ठव्यक्ति, सब से उत्तम हार, बाली, मुरकी, कर्णफूल, दूल्हा । अवतांसत - वि० (सं० ) आभूषित, अलंकृत | अवतरण - संज्ञा, पु० (सं० ) उतरना, पार होना, जन्म ग्रहण करना, अवरोहण, नमना, नकल, प्रतिकृति, अनुकृति, प्रादुभांव, सोढ़ी, घाट । संज्ञा, पु० अवतार, अवतरन ( दे० ) । अवतरणका - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) प्रस्तावना, भूमिका, उपोद्घात, परिपाटी, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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