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rafच्छन्न
चिन्न - वि० (सं० ) अलग किया हुआ, पृथक, विशेषण-युक्त, सीमावद्ध, अवधि सहित ।
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श्रवच्छेद - संज्ञा, पु० (सं० ) अलगाव, भेद, हद, सीमा अवधारण, छान बीन, परिच्छेद, विभाग |
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प्रच्छेद्य - वि० (सं० ) अवच्छेद के योग्य, विभाजनीय छानबीन करने योग्य, सीमा के लायक़ |
बच्छेदक - वि० सं०) भेदकारी, अलग करने वाला, हद या सीमा बाँधने वाला, श्रवधारक, निरचय करने वाला । संज्ञा, पु० विशेषण ।
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अकुंग - संज्ञा, पु० (दे० ) उछंग, उमंग, उत्साह गोद ।
" सो लीन्हों श्रवछंग जसोदा अपने भरि भुज दंड - सूर० ।
अवज्ञा - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अपमान, अनादर, आज्ञा न मानना, अवहेला, पराजय, हार, उपेक्षा, अमान्य करण ।
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साधु अवज्ञा कर फल ऐसा -रामा० । संज्ञा, पु० (सं० ) एक प्रकार का अलंकार जिसमें एक वस्तु के गुण-दोष से दूसरी वस्तु को गुण दोष न प्राप्त होना सूचित किया जाय ( ० पी०, काव्य० ) । श्रवज्ञान - वि० (सं० ) अपमानित,
अनाहत, श्रवहेलित, तिरस्कृत ।
प्रवज्ञेय - वि० (सं० ) अपमान के योग्य, तिरस्कार के योग्य, अनादरार्ह । अघटना - स० क्रि० दे० ( सं० आवर्तन ) मथना, लोडित करना, किसी द्रव पदार्थ को श्राग पर चढ़ा कर गाढ़ा करना, प्रोटना (दे० ) ।
" धौरी धेनु दुहाइ छानि पय मधुर आँच मैं श्रवटि सिरायौ " सूत्रे ०
मु० प्रवटि मरना -- मारे मारे फिरना । " जो थाचरन बिचार मेरो कल्प कोटि लगि अवटि मरौं ” चिन० ।
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Exaaefeat
षटि डालना - खूब घूम डालना, छानबीन कर डालना, मथ डालना । अ० क्रि० घूमना, फ़िरना, चक्कर लगाना । पू० का० अट, औट (दे० ब्र० ) । अट - संज्ञा, पु० ( दे० ) छिद्र, नटवृत्ति से जीवन बिताने वाला, गर्व, ग़रूर । (दे० ) ।
अवडेर - संज्ञा, पु० ( दे० ) फेर, चक्कर, भट, धोखा, कपट, छल, बहकात्र, बखेड़ा, रंग में भंग । अवडेरनाक - स० क्रि० दे० ( हि० अवडेर) फेर में डालना, भट - झमेले में फँसाना, शान्ति भंग करना, तंग करना, त्याग करना, बसने न देना ।
" पुनि श्रवड़ेरि मरायेन्हि ताही " - रामा० । " पोषि-तोषि आपने न थापि श्रवडेरिए
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कवि० ।
अवडेरा - वि० दे० ( हि० अवडेर) चक्कर -
फेरफार वाला, झंझट वाला, बेढब,
दार, बेढङ्गा ।
saढर वि० (सं० ) नीच पर भी ढलने या दया करने वाला, बिना विचारे दया करने वाला, परम दयालु, ।
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प्रदर ( ० अवतंस - संज्ञा, पु० (सं० ) भूषण, अलंकार, शिरोभूषण, टीका, मुकुट, कर्ण. भूषण, शिरपेंच, चुडामणि, माला. श्रेष्ठव्यक्ति, सब से उत्तम हार, बाली, मुरकी, कर्णफूल, दूल्हा । अवतांसत - वि० (सं० ) आभूषित, अलंकृत |
अवतरण - संज्ञा, पु० (सं० ) उतरना, पार होना, जन्म ग्रहण करना, अवरोहण, नमना, नकल, प्रतिकृति, अनुकृति, प्रादुभांव, सोढ़ी, घाट ।
संज्ञा, पु० अवतार, अवतरन ( दे० ) । अवतरणका - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) प्रस्तावना, भूमिका, उपोद्घात, परिपाटी,
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