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सुधार
१७७७
सुकाल
सुप्रा - संज्ञा, पु० दे० (सं० सुपकार ) | सुकनासा* -- वि० यौ० दे० (सं० शुक्र + भोजन बनाने वाला, रसोइया । ' दिन महँ सब कहँ परसिंगे चतुर सुनार विनोत"
नासिका ) होते या शुक की चोंच सी सुन्दर नाक वाला ।
-रामा० ।
सुभारव - वि० (सं०) मीठे स्वर से गाने बोलने या जाने वाला : यौ० दे० ( सुभा + रव ) तोते का शब्द |
सुकर - वि० (सं०) सहल, सहज, श्रासान, सरल, सुपाध्य | विलो० - दुष्कर । सुकरता -- संज्ञा, स्रो० (सं०) सहज में होने, का भाव, सुसाध्यता, मनोहरता, सौकर्य, सुन्दरता ।
सुकराना -संज्ञा, पु० दे० ( फा० शुक्राना ) वह धन जो धन्यवाद के रूप में दिया जाय, धन्यवाद, शुकराना (दे० ) । सुकरति* -- वि० दे० (सं० सुकृति ) अच्छा काम, सुकर्म, भलाई । "पुण्य प्रभाव और सुकरति फल राम चरन-रति होई” – स्कु० । सुकर्म - - संज्ञा पु० (सं०) पुण्य, धर्म सत्कर्म, सौभाग्य काम | "जानि सुरुमं, कुकर्मरत, जागत ही रह सोय" नीति० । सुकरम (दे० ) । "सब सुकर्म कर फल सुत एहू"
सुप्रासिनी - संज्ञा, खो० दे० (सं० सुवासिनी ) परोसिन, ग्राम-कन्या, सौभाग्यवती या सधवा स्त्री जो उसी गाँव में उत्पन्न हुई हो, सुवासिनि । “सुभग सुप्रासिनि गावहिं गीता" - रामा० । सुप्राहित- संज्ञा, पु० दे० (सं० सु + श्राहत) तलवार के ३२ हाथों में से एक हाथ, सुप्रात । सुई - संज्ञा, स्त्री०, दे० (स० सूची ) सूजी, वस्त्र सोने की एक बारीक नुकीली छोटो छेददार चीज़ | मुहा० - सुई की नोक सा - अति सूक्ष्म ! "देना लगान भूमि सुई की नोक बराबर "मैं० श० । सुकंठ -- वि० (सं०) वह जिसका गला सुन्दर हो. सुरीला स्रो० कंठी। सज्ञा, पु० सुप्रीत्र | "सोइ सुकंठ पुनि कीन्हि कुचाली"
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-रामा० ।
सुक-संज्ञा, पु० दे० (सं० शुक्र ) शुक्र, सुगना, तोता सुग्गा, सुश्रा, सुवा, शुरुदेव । 'सुक. सनकादि सेस, नारद मुनि, महिमा सकैं न गाई” – स्फु० ।
सुकचाना* - श्र० क्रि० दे० ( हि० सकुचाना ) सकुचाना, लज्जित होना, मिकुड़ना । सुकटा-सज्ञा, पु० दे० ( सं० शुक्र ) शुक, तोता, सुग्गा, सुना । वि० ( दश० ० ) दुबला, पतला। स्त्री० - सुकटी । सुकटी -संज्ञा, खी० दे० सं० शुक्र ) तोती या शुक्र की मादा | संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सुकटा ) सूखी मछली । वि० (सं०) सुन्दर कटि वाला, दुबली । सुकड़ना- - अ० क्रि० दे० ( हि० सिकुड़ना ) सिकुड़ना, सिमिटना, लज्जित होना । भा० श० को ० - २२३
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- रामा० ।
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सुकर्मी - वि० सं० सुकर्मिन् ) अच्छे काम करने वाला, सदाचारी, धर्मारमा, धामिक | सुकल -- सज्ञा, पु० दे० ( स० सुकुल) अच्छे वंश का, खानदानी, शुक्ल, सुन्दर कला । स्त्री०सुकला - शुक्ल पक्ष की, शुक्लपक्ष । "सावन सुकला सप्तमी ।" सज्ञा, पु० दे० (सं० शुक्ल) उज्वल, निर्दोष, स्वच्छ, शुद्ध, निष्कलंक, निर्मल, साफ़, श्वेत ।
सुकवा, सुकुवा - संज्ञा, पु० (दे० ) शुक
तारा ।
सुकवाना - अ० क्रि० (दे०) अचंभे में आना । सुकवि-संज्ञा, पु० दे० (सं० सुकवि ) श्रेष्ठ या उत्तम कवि, सत्कवि । " सुकबि लखनमन की गति गुनई” – रामा० । सुकाना - स० क्रि० दे० ( हि० सुखाना ) सुखाना, सूख जाना । सुकारज, सुकाज - संज्ञा, पु० दे० ( सं० कार्य ) कर्म अच्छा काम | सुकाल - संज्ञा, पु० (सं०) उत्तम और अच्छा
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