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सिंहोदरी
मिकुड़न वाला २५वाँ भेद (पिं०) एक औषधि विशेष तागदो, जंजीर जैसा सोने का गले का एक (वैद्य०) । “घनदारु सिही शंठी कण- गहना। पुष्करजा कषायः '-लो. !
मिकत-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० सिकना) सिंहोदरी-वि० सी० यौ० (सं०) सिंह की बालू , रेत । " सूर सिकत हठि नाव चलायो सी सूचम कटिवाली।
ये सरिता हैं सूवी''--भ० गी० । सिन, सियनि-संज्ञा, खी० (दे०) ! सिका संज्ञा, स्त्री० (सं०) बालू , रेत रेग, सिलाई, सीवन ।
बलुई भूमि, शकरा. चीनी। रसिकता सियरा* - वि० दे० (सं० शोतल ) ठंढा, ।
सिकता दिग्वला रही"-सरस । “सिकता
तें वरु तेल''.--रामा। शीतल । " सिअरे बदन सूखि गये कैसे" । -रामा० । संज्ञा. पु. (दे.)- छाया,
सिकत्तर - संज्ञा, पु० दे० ( अं० सेकेटरी)
किसी सभा या संस्था का मंत्री, वजीर, छाहीं, छाँह ।
सेक्रेटरी ( अं०) संज्ञा, स्त्री० (दे०) सिमाना --स. क्रि० दे० ( हि० सिलाना ) सिकत्तरी।
सिलाना, सिवाना वस्त्रादि)। सिकन-संज्ञा, स्त्री० (दे०) शिकन (फ़ा०) सिपार-संज्ञा, पु० दे० (सं० शृगाल ) सिकुड़न ।। स्यार (दे०), गीदड़, शृगाल, एक जंगली सिकर--संज्ञा, स्त्री० द० (सं० श्रृंखला ) जंतु । स्त्री०-मिश्रारनी, सिग्रारिन। जज़ीर, सँकरी। सिकंजबीन-संज्ञा, स्त्री० (फा०) सिरका सिकर बार-- संज्ञा, पु० (दे०) क्षत्रियों की
एक शावा। या नीबू के रस में पका शरबत !
सिकरा-संज्ञा, पु. (दे०) शिकरा नामक सिकजा--संज्ञा, पु० दे० ( फ़ाः शिकंजा)
एक शिकारी पती। फंदा, जाल।
सिकली--संज्ञा, स्त्री० दे० । अ० सैकल ) सिकंदर-संज्ञा, पु० दे० ( अं. सिगनल)
- धारदार हथियारों की धार पैनी करने या रेल की सड़क के किनारे पर ऊँचे खम्भे में
खान धरने का काम।। लगा हा हाथ या तलता था डंडा. जो सिकलीगर-संज्ञा, पु. द० (अ० संकलन झुम्कर पाती-जाती हुई गाड़ी की सूचना | गर--फा० --प्रत्य०) धारदार हथि पारों को देता है, सिगनल (अं०) सिगल (दे०)।
धार पैनी करने वाला, सान धाने वाला। संज्ञा, पु. (फा०) यूनान का एक प्रतापी
"हमहिं न मारयो हहि न मारयो हम सम्राट । महा-कदीर का सिकंदर सिकलीगर अहिन तुम्हार"---श्रा० वि० । -अति भाग्यशाली।
सिकहर-सिकहग--सज्ञा, पु० दे० ( सं० सिकंदरा-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा. सिकंदर ) | शिक्य : घर ) सींका, छीका । मुहा०एक नगर ।
सिकहर पर चढ़ना-इतराना। सिकड़ा-संज्ञा, पु० द० ( सं० श्रृंखला ) । सिकार--- संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० शिकार ) जंजीर, साँकर, साँकल (प्रान्ती.) । स्त्री० --- शिकार करने वाला, अहेरी, पाखेटी, शिकार मिकड़ो।
का जंतु । सिकना-संज्ञा, पु० (दे०) सीकचा, | सिकारी---वि० दे० (फा० शिकारी) शिकार साखचा (फ़ा०)।
करने वाला, अहेरी. आखेटी । सिकड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं. शृंखला) सिकुड़न संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० संकुचन) किवाड़ की कुंडी, जज़ीर, साँकन, करधनी, संकोच, आकुंचन, शिकन, वल ।
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