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सिंगरौल
सिंदुवार गिरौल-संज्ञा, पु० दे० (सं० शृंगवेरपुर ) । सिंघा* - पंज्ञा, पु. दे. ( सं० सिंह ) सिंह,
श्रृंगवेर पुर ग्राम विशेष, शृंगवेर पुर का । क्षत्रियों की एक उपाधि । निवासी।
सिंघल-संज्ञा, पु० दे० (सं० सिंहल ) सिंहल सिंगा-संज्ञा, पु० दे० (हि. सींग ) फॅककर द्वीप । बजाने का सींग का बाजा, रणसिंगा, सिंघाडा, निधारा--संज्ञा, पु० दे० (सं० तुरही। संज्ञा, पु० (दे.)-सींगा, मुट्ठी बंद झंगाटक ) जल में फैलने वाली एक लता कर धंगूठा दिखाने की एक मुद्रा (अस्वीकार । का विख्यात काँटेदार तिकोना फल, सिंघाड़े सूचक )।
के आकार की सिलाई या बुटा, समोसा सिंगार - संज्ञा, पु० दे० (सं० शृंगार ) नाम का एक तिकोना पक्वान, जल-फल । सजावट शोभा, बनाव, शृंगाररल. स्रियोंघासन-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० के सोलह शृंगार।
सिंहासन , सिंहासन, राज-गद्दी । सिंगारदान - संज्ञा, पु. दे० (सं० गार+ सिंघी--संज्ञा, स्त्री. (दे०) शुंठी, सोंठ, एक दान-फा० ) शीशा, कंधा आदि शृंगार छोटी मछली, एक जाति । की सामग्री रखने का संदूकचा।
मिधेलासंहा, पु० दे० ( सं० सिंह ) सिंह सिंगारना-स० क्रि० दे० (सं० गार) का बच्चा, मिंधेग। सजाना, अलकृत या सुपाजत करना, मिचन--संज्ञा, पु. (सं०) पानी छिड़कन. सँवारना।
सींचना । वि० --सिंचित ।। सिंगारहाट-संज्ञा, सो० यौ० द० (हि.),
' (ह) । सिंचना-अ.क्रि० दे० (सं० सिंचन) सींचा वेश्याओं का निवास स्थान, चकला।
जाना । २० प -मीचना, सिंचाना, सिंगारहार --- संज्ञा, पु० दे० यौ० ( मं० हार
र सिंचवाना. ० रूप -सिंचवाना। *गार ) हरसिंगार नामक फूल. पारिजात,
" सिंचाई--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सिंचन ) परजाता (दे०)। सिगारिया - वि० द० (सं० भंगार) पूजारी.. सींचने या पानी छिड़काने का काम. सींचने
देव मूर्तियों का श्रृंगार करने वाला। का कर या मजदूरी ! लिगारी-वि. पु. (हि. सिंगार :-ई- सिंचाना-२० क्रि० ( हि० सींचना का प्रे.
प्रत्य० ) सजाने या शृगार करने वाला। रूप ) दूसरे से सिंचवाना, सिंचावना, गिया--सज्ञा, पु० दे० ( सं० jगिक ) एक सिंचवाना ग्रा०)। विरुपात स्थावर विष विशेष।
सिचित-वि. (सं०) सींचा हुआ। लिगी-सज्ञा, पु० दे० ( हि० सींग ) हिरन, सिंजा-- संज्ञा, स्त्री० (सं०) ध्वनि, शब्द,
श्रादि के सींग का फूक फूंक कर बजाने का श्रावाज़, शिक्षा। एक बाजा। संज्ञा, स्त्रो० (दे०) एक मछली. सिंजित-संज्ञ', स्त्री. (सं०) शिजित, सींग की नली जिपसे चूस कर देहाती ध्वनित, शब्द. झंकार, झनक । संज्ञा. पु. जर्राह देह से रक्त निकालते हैं।
(सं०) सिंजन - मंकार । मिंगौटी-संज्ञा, सी० दे० ( हि० सींग ) मिंदन--संज्ञा, पु० दे० ( सं० स्यन्दन )
बैलों के सीगों का एक गहना, छोटे सींग।, स्यन्दन, स्थ । “गज सिंदन दै अश्व पुजाई" संज्ञा, स्रो० दे० (हि. सिंगार - श्रोटो) ---तु० रामा० ।। स्त्रियों की सिंदूर आदि रखने की छोटी सिंदुवार-संक्षा, पु. (सं.) निगुंडी या पिटारी।
सँभूल का पेड़।
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