________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सावित्री
१७५३
साहसिक सावित्री-संज्ञा, स्त्री. (सं०) वेद-माता, साहु (दे०) व्यापारी. सज्जन, साधु. भला गायत्री ब्रह्मा जी की पत्नी, सरस्वती, उप- मानुस, साह जी। यो०-समधी वैश्य), नयन के समय का एक संस्कार, दक्ष प्रजा- शिवा जी के पिता। "बोलत ही पहिचानिये, पति की कन्या, मद्र-नरेश अश्वपति की चोर-साह के बाट"-नीतिः । "तापर साहकन्या और सत्यवान की सती स्त्री, सरस्वती तनै सिवराज सुरेश की ऐसी सभा सुभ नदी, यमुना नदी, सधवा स्त्री।।
साजै "- भूष०। सागॉग-वि• यौ० (सं०) पाठों अंगों के
पाहचर्य-- संज्ञा, पु. (सं०) साथ, संग, सहित। यौ०-साष्टांग प्रणाम-दण्डवत,
संगति, साहचरता, सहचर का भाव।। प्रणाम, पृथ्वी पर लेट कर मस्तक, हाथ पैर साहनी --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सेनानी ) आँख, जंघा, हृदया, मन और वचन से सेना, फौज, संघी, संगी साथी, पारिषद । नमस्कार करना । मुहा०-मायांग प्रणाम । “ भरत सकल साहनी बुलाये "-रामा० । (दंडवत) करना--दूर रहना, बहुत ही माहब. साडेब-संज्ञा, पु० दे० (अ० सादिब) बचना (व्यंग), दूर हो से दंडवत करना।
मित्र, साथी, संगी, दोस्त. स्वामी, मालिक, सास-सासु-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्वत्र ) ।
परमेश्वर ( कवी० ), सम्मान-सूचक शब्द, पति या पत्नी की माता । " तब जानकी
महाशय, अंग्रेज या गोरी जाति का व्यक्ति। सासु-पग लागी” रामा० ।
"साहब सो सब होत है, बदे से कछु नाहिँ" सासत--संज्ञा, स्त्री० (दे०) जाँसति, संस्कृति
-कबी० । स्त्री०--साहिबा। (सं०) कष्ट । साति---संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शासन ) ।
साहबजादा -संज्ञा, पु० यौ० ( अ०साहिब+ संसृति, दुख, शासन, दंड । " सासति
ज़ादा-फ़ा०) अमीर का पुत्र, भलेमानुष का करि पुनि करहिं पसाऊ"-रामा।
लड़का, बेटा पुत्र । स्त्री० साहबजादी। सासनलेट-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक जाली- साहब-पल'मत - संज्ञा, स्त्री० यौ० (अ०) दार सफेद महीन वरू।
मुलाकात. धातचीत. सलाम, बंदगी. पारस्पसामन--सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शासन )
रिक अभिवादन । यौ० ---सलाम-दुश्रा। शासन, दण्ड, सज़ा, हुकूमत । वि० (स.) । साहनी, साहिबी-वि० दे० (अ० साहब) शासन के साथ।
साहब का । संज्ञा, स्त्री०-साहब होने का सामना-स० कि० दे० (सं० शासन ) भाव, प्रभुता, स्वामित्व, मालिकपन,
शासन करना, दंड देना, कष्ट पहुँचाना। बड़प्पन, बडाई । "कै तौ कैद कीजिये सासरा-सज्ञा, स्त्री० दे० ( स० श्वशुरालय ) कमडल मैं फेरि गंग । "कै तौ यह साहिबी ससुराल, मासुर, ससुरा । " जेठी धीय हमारी फेर लीजिये "रत्ना० । सासरै पठवौं ' - कबी० ।
माह ----सा, पु० (सं०) हिम्मत, हियाव सासा*-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० संशय ) । (दे०) भापत्यादि का दृढ़ता से सामना कराने संशय, संदेह । सज्ञा, पु० दे० ( सं० श्वास ) वाली एक मानविक शक्ति. वलात्कार उद्योगश्वास, साँस।
उत्साह. वीरता, कार्य-तत्परता हौसला सासुरा--संज्ञा, पु० दे० ( सं० श्वशुर श्वशु- "साहस अति चपलता माया' रामा
रालय ) ससुर, ससुराल, ससरार (द०)। जबरदस्तो धनादि का अपहरण करना, साह-सज्ञा, पु० दे० (फा० शाह ) राजा, लूटना, कुकर्म, सज़ा, दड, जुर्माना ।
बादशाह, सेठ, साहूकार, धनी, महाजन, | साहसिक-सज्ञा, पु. (सं०) हिम्मतवर, भा० श. को०-२२०
For Private and Personal Use Only