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साधन
१७४२
साधु-साधु
साधन-संज्ञा, पु० (सं०) कार्य-लिद्धि की साधस--संज्ञा, पु. (सं०) भय, 'डर। किया, रीति, विधान, सिद्धि, युक्ति, सामग्री, "साधस नाकर चलु प्रिय पासा "उपकरण, सामान, उपाय, हिकमत, यत्न, । विद्या० । युक्ति, साधना, उपासना, धातुओं की साधारण ---वि० (सं०) सामान्य, मामूली, शोधन-क्रिया, हेतु, कारण ।
सहज, सरल, सार्वजनिक, श्राम (फा०), साधनता-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) साधना, समान, सदृश, साधारन, सधाग्न (दे०)। साधना का भाव या धर्म । पु०-साधनत्व यौ० --सर्व-साधरण। संज्ञा, स्त्रो० (सं०) वि० (हि०) साधनवाला, साधनवारा- साधारणता । (दे०) साधन-युक्त।
साधारणतः---अव्य० (सं०) सामान्यतः, साधनहार*--संज्ञा, पु० दे० (सं० साधन ।
+हार-हि० प्रत्य०) साधने वाला, साधारणतया-क्रि० वि० सं०) साधारण जो साधा जा सके, साधन हारा।।
या सामान्यरूप से । साधना-संज्ञा, स्त्री. (सं०) किसी कार्य साधित-वि० (सं.) जो साधा या सिद्ध के सिद्ध करने की युक्ति या क्रिया, सिद्धि, किया गया हो। देवतादि के सिद्ध करने के हेतु उपासना, साधी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) ठहराई हुई, बनी सिद्धि, उपाय । स० कि० दे० (सं० साधन ) हई। कोई कार्य सम्पन्न या पूरा करना, पूर्ण
साधु-संज्ञा, पु. ( सं० ) श्रार्य, सज्जन करना, संधान करना, निशाना लगाना,
महात्मा, भला मानुष, धर्मात्मा परोपकारी, जाँचना, नापना, अभ्यास करना, स्वभाव
कुलीन, संत, साधु, साधी (दे०)। यौ०डालना, पक्का करना, शुद्ध करना, निश्चित
साधु-संत । " बाधु. अवज्ञा कर फल करना, ठहराना, इकट्ठा करना, किसी व्यक्ति ऐसा "-रामा० । यौ० संज्ञा, पु० सं०) को अपने पक्ष में रखना, वश में करना,
साधुवाद । मुहार--साधु माधु कहना पकड़ना, थामना, सिद्ध करना ( शब्द- -- किसी के अच्छा काम करने पर उसे साधना) वश में रखना, यथेष्ट रूप से चलना शाबाशी देना या उपकी प्रशंषा करना । (बैल आदि पशुओं को) ! स. रूप
वि० (सं०) अच्छा, भला. उत्तम, श्रेष्ठ, सधाना, प्रे० रूप० - सधवाना।
उपयुक्त, उचित, श्लाघनीय, प्रशंसनीय, साधनिका-संज्ञा, स्त्री. (सं०) साधना, सच्चा । " साधु साधु इतिवादिनः" - उपाय, सिद्ध या पूर्ण करने की रीति । भट्टी। साधनीय-वि० (सं.) सिद्ध या साधन साधुता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) सज्जनता, साधु करने योग्य, उत्तम कर्म, जिपका साधन होने का भाव या धम्म, भलमंसी, सुजनता, करना उपयोगी हो. आराधनीय, राधनोय। सिधाई, सीधापन, भलमनसाहत, सरसाधर्म्य-संज्ञा, पु. ( सं० सह --धर्म ) एक- लता। धर्माता, तुल्य या सम-धर्माता, समान साधुवाद-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) उनम धर्म होने का भाव । (विलो-धर्म्य)। काम करने पर साधु साधु कह कर किसी साधव -संज्ञा, पु० दे० (सं० वः व० साधवः) की प्रशंसा करना या उसे शाबाशी देना साधु (प्रादरार्य बहु. ५० के स्थान पर एक साधु-साधु-प्रव्य. यौ० (सं० । वाह वाह, व. )।
धन्य धन्य, शाबाश, बहुत या खूब अच्छा।
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