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सलामी
१७२५
सल्लम
सलामी-संज्ञा, स्त्री० (अ. सलाम-न-ई ---- ! सलीम-वि० (अ.) सरल. सगम. सहज. प्रत्य० ) सलाम या प्रणाम करना, बंदगी मुहावरेदार, प्रचलितभाषा ।। करना, सैनिकों के प्रणाम करने की रीति. सलूक --संज्ञा, पु० (अ०) प्राचार, व्यवहार, तोपों या बंदूकों की बाद जो बड़े अफ़सर आचरण, बरताव, मेल, मिलाप, भलाई, या माननीय पुरुष के श्राने पर दागी जाती उपकार, नेकी । है। महा०-सलामी उतारना (दागना) सलूका--संज्ञा, पु. (सं०) बानर नचाने -किसी के स्वागतार्थ तोपों था बंदूकों की | वाला मदारी। संज्ञा, पु० (दे०) बंडी, कुरती। बाद दागना।
"एक दिन एक सलूका अावा" --रामा० । सलार--पंज्ञा, पु. (दे०) एक भांति की सलूप-वि० दे० (सं० स्वल्प ) स्वल्प, चिड़िया।
बहुत कम या थोड़ा। सलाह--संज्ञा, स्त्री० (३०) सल्लाह (ग्रा०) सलूना, सलोना--वि० दे० (सं० सलवण ) परामर्श, सम्मति, राय, मशविरा, सुलह, सलोना, नमकीन, स्वादिष्ट, मज़ेदार, लावण्यमेल, सुमति ।
मय, सुन्दर, मनोहर : विलो० --लोना। सलाह कार--संज्ञा, पु. ( अ० सलाह --- कार
सलूनो--संज्ञा, स्त्री० (दे०) रक्षा बंधन का ---फा० ) सम्मति या परामर्श देने वाला,
त्यौहार। राय देने वाला, अनुमतिदाता।
सलैला--..वि . (दे०) वह भूमि जिपपर पाँव सलाही--- संज्ञा, पु. (फा०) सलाहकार,
फिसले । 'बाट सलैली सैलमग" --कबीर० । साथी, मेली, मित्र, सल्लाही (ग्रा०)।
सलोतर-ज्ञा, पु० दे० ( सं० शालिहोत्र ) सलि-संज्ञा, स्त्री० (दे.) चिता। सलिता-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सरिता )
अश्व-चिकित्मा-विज्ञान, वह पुस्तक जिसमें
घोड़े आदि 'पशुओं के भेद और उनकी दवा सरिता, नदी।
श्रादि का वर्णन है। सलिल-संज्ञा, पु० (सं०) वारि, पानी, जल, नीर । " विमल सलिल उत्तर दिशि बहई"
सलोतरी--पंज्ञा, पु० दे० सं० शालिहोत्री) -रामा० ।
अश्वचिकित्सक, घोड़ों का वैद्य, पशु-वैद्य । सलिल-पति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वरुण, सलोन-सलौना, सलोना-वि० (सं० समुद्र ।
सलवण ) सुंदर, मनोहर, स्वादिष्ट, नमकीन, सलिलाधिपति-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) लावण्यमय ' स्त्री० -सलोनी-सलोनी । सलिलेश, सागर, वरुण ।
सलोनापन--संज्ञा, पु. (हि०) सलोना होने सलिलेश--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सागर का भाव या क्रिया। वरुण नीरनिधि ।
। सलोनी---- संसा, पु० दे० (सं० श्रावणी ) मलीका - संज्ञा, पु० (अ०) योग्यता, लिया. ब्राह्मणों का सावन की पूर्णमासी का कत, तमीज़, अच्छा ढंग या तरीक़ा, चाल- त्यौहार, श्रावणी, राखीपूनो, रक्षाबंधन, चलन, श्राचार-व्यवहार, चाल-ढाल। । सलूनो (दे०)। सलीकामंद-वि० (अ० सलीका - फा०- सल्लभ-संज्ञा. पु. (दे०) एक प्रकार का मंदफा ) अक्लमंद, बुद्धिमान, तमीज़दार, कपड़ा, शलभ, कीट-पतंग । " विप्र के न हुनरमंद, शिष्ट, सभ्य, शऊरदार।
बल्लभ, ये साल्लभ से एक संग" स्फु० । सलीता-संज्ञा, पु० (दे०) एक बहुत मोटा सल्लम---संज्ञा, स्त्री० (दे०) गज़ो, गाढ़ा, सूती कपड़ा।
। खद्दर, एक मोटा कपड़ा।
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