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सरबराहकार
कारिन्दा, मज़दूरों से काम लेने वाला सरदार, सरवराहकार (दे० ) ।
१७१६
सर बराहकार संज्ञा, पु० (का० ) किसी काम का प्रबन्धकर्ता, कारिंदा, मुनीम | संज्ञा, स्त्री० -- सरवराहकारी । सरबरि-सरबरी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सदृशू ) समता, तुल्यता, बराबरी, ढिठाई, गुस्ताख़ी, उत्तर प्रति उत्तर देना । • हमहिं
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तुमहिं सरवरि कस नाथा - रामा० । सरबस– संज्ञा, पु० दे० (सं० सर्वस्व ) सम्पूर्ण, सब कुछ, सारी सम्पत्ति, सारा धन । सरबस खाय भोग करि नाना - रामा० । यौ० दे० ( हि सर + बस ) वाण -वश, वाणाधीन ।
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लज्जा ।
सरभ - संज्ञा, पु० दे० (सं० शलभ) पतिंगा । सरम -संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा० शर्म ) शर्म, " लागति सरम कहत जसुदा सों अनट करत जो कान्हा " – रुकु० । सरमा-संज्ञा, खो० (सं० ) देवताओं की एक कुतिया (वैदिक), लंका की एक राक्षसी, कुतिया |
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उत्तर
सरमाना - अ० क्रि० (दे०) शरमाना, लज्जित होना । स० रूप- सरमावना । सरय - संज्ञा, पु० ( सं० ) बानर विशेष | सरयू - संज्ञा स्त्री० (सं० ) सरजू (दे० ) अवध की एक नदी, घाघरा । दिशि सरयू बह पावनि " - रामा० । सरराना - अ० क्रि० दे० (अनु० सरसर ) सरसर शब्द करते हुए हवा को फाड़ कर वेग से चलने का शब्द, सवेग, वायु प्रवाह का रव करना, वेग से चलना या भागना, सर्राना (दे० ) ।
सरल - वि० (सं० ) सीधा, ऋजु, सीधासादा, निष्कपट, श्रासान, सहज | संज्ञा, स्त्री० सरलता | संज्ञा, पु० चीड़ का वृक्ष, धारोजा, सरल का गोंद । वि० त्रो०सरना । सरलसुभाव छुवाछल नाहीं"
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-रामा० ।
सरस
सरलता - संज्ञा स्त्री० (सं० ) ऋऋजुता, सीधापन, सिधाई, निष्कपटता, आसानी सुगमता, भोलापन, सादगी । सरल-निर्यास संज्ञा, पु० (सं०) तारपीन का तेल, गंधाविरोजा । सरलीकृत सरनीभूत(सं०) सरल किया या हुथा ।
- क्रि० वि० यौ०
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सरव - संज्ञा, पु० दे० (सं० सराब) मद्य पात्र, सरवा (दे०) कटोरा, प्याला, दिया, परई (ग्रा० ) । सब के उर- सरवन सनेह भरि सुमन तिली को वास्यो - भ्रम० । सरवन - संज्ञा, पु० दे० (सं० श्रमण ) मुनि के परम पितृ भक्त पुत्र । - संज्ञा, पु० दे० (सं० श्रवण ) कान, सुनना, एक नक्षत्र | संज्ञा, पु० दे० ( सं० शालपर्णी ) शालपर्ण ( श्रौषधि ), मरिवन (दे० ) | यौ० दे० - शर वन सर ( तड़ाग ) और वन ( वाटिका ) ।
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सरवर -- संज्ञा, पु० दे० (सं० सरोवर) तड़ाग, तालाब, ताल वर सुखे खग उड़े, atra सरन समाहिं " - रही० । सरवरिt - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सदृश ) समता, तुल्यता, तुलना. बराबरी, सदृशता । " सरवरि को कोउ त्रिभुवन नाहीं "
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रामा० ।
सरवा -- संज्ञा, पु० (दे०) शराबक, प्याला, कटोरा, परई, छोटा टोंटीदार पात्र । सरवाक - संज्ञा, पु० दे० (सं० शरावक ) प्याला, कटोरा, कोरा, संपुट, सरवा, दिया, परई ( ग्रा० ) सरवान - राज्ञा, पु० (दे०) खेमा, डेरा, तम्बू |
सरस वि० (सं० ) रसीला, रयुक्त, गीला, भीगा, सज्ल, ताज़ा, हरा, सुन्दर, मनोरम, मीठा, मधुर, भावोद्दीपक, भावपूर्ण. उत्तम, भावुक, रसिक, सहृदय, रस भावोत्तेजक । " सरस होय अथवा अति फीका "
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- रामा० । संज्ञा, खो० - सरमता | संज्ञा, पु० (सं०) छप्पय छंद का ३५वाँ भेद (पिं० ) |
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