________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समुहैं, सामुहैं १७१२
सम्मेलन सम हैं, सामह - अव्य० दे० ( सं० सम्मुख ) | समौरिया--वि० दे० (सं० सम्मौलि) जिनका सामने की ओर, सौहैं ( ग्रा० )। 'समुहैं व्याह एक साथ हुश्रा हो। वि० दे० ( सं० छींक भई ठहनाई ”—स्फु०।
सम -- उमरिया-हि० ) बराबर उम्र वाले, समूच, समूचा - वि० दे० (सं० सर्व ) समवयस्क। पूरा, समस्त, सारा, संपूर्ण, कुल, श्राद्यन्त- सम्मत--वि० (सं०) राय मिलाने वाला, सहित । स्त्री० ---समूची।
अनुमत, सहमत 1 समूर -- संज्ञा, पु० ( सं० शंबर ) साबर नाम सम्पति--संज्ञा, स्त्री० (सं०) मत, राय, का हिरन : वि० दे० (सं० समूल ) जड़ सलाह. अनुज्ञा, श्रादेश, अनुमति, अभिप्राय। या मूल सहित, कारण सहित, पूरा। | "गुरु श्रुति सम्मति धर्म-फल, पाइय बिनहि समूल --- वि० (सं०) जड़-सहित. सब का सब
कलेस"-रामा० । सकारण हेतु-युक्त क्रि० वि-जड़ से,
| सम्प्रन-संज्ञा, पु० (अं०) समन, अदालत मूल से । “समूल घातं न्यवधीदरीञ्च"
की हाज़िरी का श्राज्ञा-पत्र या हुक्मनामा। --मट्टी।
सम्मान-संज्ञा, पु० (सं०) सन्मान, पादर, समूह .. संज्ञा, पु० (सं०) पुंज समुदाय, वृंद,
सरकार, मान, गौरव, प्रतिष्ठा, इज्ज़त, राशि, ढेर, भीड़. झुंड । वि० --सामूहिक ।
खातिर । वि० (सं०) सम्माननीय । समृद्ध-वि० (सं०) संपन्न, धनी, समर्थ ।
सम्मानना-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सम्मान ) संज्ञा, स्त्री० (सं०) समृद्धता।
श्रादर, सत्कार, मान, गौरव, प्रतिष्ठा, इज्जत, समृद्धि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रति संपन्नता,
खातिर । *-स० कि० (दे०) श्रादर सत्कार धनाढ्यता, अमीरी, समृद्वी (दे०) ।
करना । “ सब प्रकार दशरथ सम्माने " वि०-समृद्धिशाली, समृद्धिवान् ।
-रामा० । समेट---संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. समिटना ) सम्मानित-वि० (सं०) समाहत, प्रतिष्ठित,
इज्जतदार। विलो०--अपमानित । संकोचना, समिटना।
सम्भिलन-संज्ञा, पु. (सं०) सब प्रकार समेटना-- स० क्रि० दे० (हि० समिटना )
मिलना, संयोग, सम्मेलन, मिलाप. मेल । फैली हुई वस्तुओं को इकट्ठा करना, अपने
सम्मिलित-वि० सं०) मिश्रित, मिला ऊपर लेना, बटोरना, एकत्र करन', सिमेटना।
हुधा, युक्त। समेत - वि० (सं.) संयुक्त, मिला हुधा। सम्मिश्रण--संज्ञा, पु० (सं०) मिलने या अव्य० (हि०) सहित, साथ, युक्त ! " मोहि मिलाने का कार्य या क्रिया, मिलावट, समेत बलि जाऊँ"-रामा।
मेल । वि० ---सम्मिश्रित.सम्मिश्रणीय । समै, समैया--- संज्ञा, घु० दे० (सं० समय ) सम्मुख-अव्य० (८०) सम्मुख, सामने, समय, वक्त, समइया, समो (दे०)।
समन, सामुहें, श्रागे । 'सम्मुख मरे बीर समो---संज्ञा, पु० दे० ( सं० रामय ) समय, की शोभा' - रामा. खो०-सम्मुखी । वक्त, काल ।
यौ०---सम्मुखीभूत, सम्मुखीकत। समोना-२० क्रि० (दे०) मिलाना. गर्म सम्मुढ--- वि० (सं०) अज्ञान, मूर्ख, विमूढ । और ठंढा पानी मिलाना ।
संज्ञा, स्त्री० --सम्मूदता ।। समोखना-स० कि० (दे०) सहेज कर कहना। सम्मेलन-संज्ञा, पु. ( सं०) किसी हेतु समौ--- संज्ञा, पु० दे० (सं० समय ) समय, . मनुष्यों की एकत्रित हुई सभा, सभा, वक्त. समध (ग्रा०) । यौ०-सामोसुकाल। समाज, जमाकड़ा, जमघट, मिलाप, संगम, । समौ जनि चूको साई - गिर० । मेल, सम्मिलन ।
For Private and Personal Use Only