________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
womeDENJAMIAINImunpasanamaANNEasa
m
-
TEAMINETHE
---रामा० ।
समर
समवाय अंतिम काल। " रैहै न रैहै यही समया | का पोषण करना, किसी बात के ठीक होने बहती नदी पाय पखारिजेरी"। संज्ञा, । ___ का प्रमाण देना, विवेधन, उचितानुचित का पु० (सं०) सपथ, प्राचार, काल सिद्धांत, निश्चय, विचार, अनुमोदन, प्रमाण-पुष्ट या संविद, ज्ञान । “समया शपथा चारःकाल- दृढ़ीकरण । वि०-- समर्थनीय, समर्थिन, सिद्धान्त-संविदः".--अम० । 'तथापि वक्तुं । समर्थक, समर्थ्य । व्यवपाययन्ति मां निरस्त नारी-समया समर्थना-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अभ्यर्थना दुराधयः"-किरा।
प्रार्थना, निवेदन, सिफारिश, । स० कि० दे० समर-- संज्ञा, पु. (सं०) युद्ध, संग्राम, (सं० समर्थन) प्रमाण-पुष्ट या दृढ़ करना, लड़ाई । “समर बालि सन करि यश पावा" समर्थन करना।
समर्पक--वि० (सं.) समर्पण करने या देने समरथ, समरत्थ-वि० दे० (सं० समथ) वाला। बलवान, पराक्रमी, क्षमताशील, योग्य, समर्पण --- संज्ञा, पु. (सं०) सादर भेंट करना, उपयुक्त, जिसमें किसी कार के करने की सत्कार या प्रतिष्ठा पूर्वक देना, उपहार या तमता हो । “समरथ को नहिं दोष दान देना, समपन (दे०)। वि० ---समर्पित, गुसाई "-रामा० । “करौं अरिहा समर समर्पणीय। स्थहिं"-रामा।
समर्पना-स० कि० ० (सं० समगा) भेंट समर भूमि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) संग्राम- देना, सौंपना, सिपुर्द करना, देना । “तिमि भूमि, युद्ध-क्षेत्र, रण-स्थली "समर-भूमि जनक रामहि सिय समपी विश्व फल कीरति भये दुर्लभ प्राना"-रामाः । संज्ञा, पु. नयी"-रामा० : (दे०) स्मर (सं०) कामदेव ।
समर्पनीय- वि० (सं०) समर्पण करने योग्य। समरस्थल--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) समर- | समर्णित-वि० सं०) समर्पण किया या भूमि । स्त्री०-समरस्थली।।
दिया हुआ, जो समर्पण किया या दिया गया समरांगण ---संज्ञा, पु. यौ० (सं०) समर- हो, प्रदत्त, जो सौंपा गया हो। भूमि संग्राम-स्थल, युद्ध-क्षेत्र, लड़ाई का समल-वि० (सं० ) दोष या मल से युक्त, मैदान, समरांगन (द०)।
मलीन, मैला, गंदा, पाप-सहित, विकारसमरागिन--संज्ञा, पु०यौ० (सं०) सपरागी युक्त । संज्ञा, स्त्री० (सं०) समलता। युद्ध की भाग। "समराग्नि भड़की लंक में समव, समउ-संज्ञा, पु. (सं०) समय, मानो प्रलय-दिन भा गया"--कं० वि०।। समो। समर्थ-वि० (सं०) शक्तिशाली, बली. बल- समयकार---संज्ञा, पु० (सं०) एक वीररस वान, क्षमताशील, योग्य, उपयुक्त, वह पुरुष प्रधान नाटक जिममें किसी देवता या दैत्य जिसमें किसी कार्य के काने की क्षमता की जीवन-घटना का चित्रण हो (नाट्य०) । हो । " को समर्थ जग राम समाना"- समवर्ती- वि० सं० समवतिन्) जो समीप स्फु० । संज्ञा, स्त्री० (सं०) समर्थता। स्थित हो, जो समान रूप से स्थित हो। समर्थक--वि० (सं०) समर्थन करने वाला, " समवर्ती परमेश्वर जानी-वासुः । जो समर्थन करे, अनुमोदक।
समवाय- संज्ञा, पु० (सं०) समुदाय, समूह, समर्थता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शक्ति, बल, वृंद, झंड, भीड़, मिलित, नित्य संबंध, सामर्थ्य, जोर, योग्यता, क्षमता।
गुणी के साथ गुण का या अवयवी के साथ समर्थन-संज्ञा, पु. ( सं० ) किसी के मत | अवयव का सम्बन्ध (न्याय०) । "दृव्य-गुण
For Private and Personal Use Only