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सपत
संज्ञा, पु० तरफ़दार, सहायक, साथी, मित्र, साध्यवाला दृष्टांत या विषय ( न्याय), पंख वाला, सपच्छ (दे० ) । " ननु सपत्र धावहिं बहु नागा " - रामा० ।
सपत - वि० दे० (सं० सप्त ) सात । " सपत ऋषिन विधि को विलँब जनि लाइय"पा० मं० ।
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सपत्नी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक ही पति की दूसरी स्त्री, सौन, सौतिन सवति । सपत्नीक - वि० सं०) स्त्री-सहित । यौ० - सपत्नीभाव -सौतिया डाइ । सपथ – संज्ञा, पु० दे० (सं० रापथ ) सौगन्द, क़सम । " राम- सपथ, दशरथ के थाना"
रामा० ।
सपदि - अव्य० (सं०) तत्काल, तुरन्त, फ़ौरन, शीघ्र, सत्वर, त्वरित, तत्-क्षण | राम समीप सपदि से आये " - रामा० । “सपदि fig-रसेन विसूचिकां हरति भो रति-भोगविचक्षणो " - लो० ।
सपन, सपना – संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वम) ख़्वाब, अर्धसुप्तावस्था की बातें, निद्रादशा के दृश्य | " सबहिं बुलाय सुनाइस
स्वम,
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सपना - रामा० ।
सरदाई - संज्ञा, पु० दे० (सं० संप्रदायी ) रंडी के साथ तबला - सारंगी बजाने वाला, समाजी, सपदा, सफदा, भंडुआ (ग्रा० ) । सपरना - अ० क्रि० दे० (सं० संपादन ) काम पूरा या समाप्त होना, निबटना, हो सकना, पार लगना, जा सकना, स्नान
करना, नहाना । सपराना – स० क्रि० दे० ( हि० सपरान )
काम पूरा करना, समाप्त करना, स्नान कराना, प्रे० रूप० - सपरवाना । सपरिकर - वि० (सं०) सेवकों या अनुचरवर्ग के साथ, ठाट-बाट के साथ, कमर में फेंट बाँधे हुए, कटिबद्ध, साद्ध, वद्धपरिकर सपाट - वि० दे० (सं० सपट्ट ) समतल,
सप्त
बराबर, हमवार, चिकना, साफ़, समथल समथर | (दे० ) जिस पर कोई उभाड़ न हो । सपाटा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० सर्पण ) दौड़ने या चलने का वेग, तेजी, झोंका, झपट, दौड़, तीव्रगति । सुहा० - सपाटा भरना ( लगाना ) - तेज़ी से भागना । यौ०सैरर-सपाटा घूमना-फिरना, भ्रमण करना । सपाद वि० (सं०) चरण सहित, एक और उसका चौथाई मिला, सवा, सवाया । " सपाद सप्ताध्यायी प्रति त्रिपाद्यसिद्धा सि० कौ० ।
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सपिंड - संज्ञा, पु० (सं०) एक ही वंश का व्यक्ति जो एक पितरों को पिंड दान करने में संमिलित हो । “सपिंडातु या मातुः "मनु० ।
सपिडी-संज्ञा स्त्री० (सं०) मृतक को धन्य पितरों से मिलाने का कर्म विशेष । सपुत्र संज्ञा, पु० ६० (सं० सुपुत्र ) च्छा लड़का, सुपुत्र सपुत (दे० ) । वि० (सं०) पुत्र के साथ |
स्फु० ।
सपूत - संज्ञा, पु० ६० (सं० सपुत्र, सुपुत्र ) अच्छा लड़का सुपुत्र सुप्त, सत्पुत्र । विलो०- कुप्त-कप्त " लीक छाँड़ि तीनै चलें शायर, सिंह, सपूत संज्ञा, स्रो० (दे०) सपूती । सपूती - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सपून + ईप्रत्य० ) लायकी, योग्यता, सुपूत होने का भाव | वि० (दे० ) योग्य पुत्र उत्पन्न करने वाली माता ।
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सपेन, सफेद) - वि० दे० ( फा० सुफेद ) सफ़ेद, उजला. श्वेत | संज्ञा, खो० (दे० ) सपेती, सपेदी |
सपेरा - संज्ञा, पु० दे० (हि० साँप ) सँपेरा, साँप वाला, मदारी |
सँपेला सँपोला- संज्ञा, ५० दे० ( हि० साँप + एला, भोला - प्रत्य० ) साँप का बच्चा, छोटा साँप, सँपेलवा (ग्रा० ) । सप्त - वि० (सं०) गिनती में सात ।