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अलगरज
अलबेलापन
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A DARIENDRAamamaasummaNDHAROHINR
अलगरज--वि० दे० (अ० अलग़रज़) अलतनी-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) हाथी की
बेपरवाह, बेग़रज़, अलगरजू (दे०) बागडोर । अलगरजी-वि० दे० ( अ० ) बेग़रज़ी, अलता-संज्ञा, पु० दे० (सं० अलक्तक प्रा० लापरवाह, बेपरवाह ।।
अलत्ता अप० अलत्ता) स्त्रियों के पैरों में संज्ञा, स्त्री० (दे० ) लापरही, बेपरवाही, . लगाने का एक लाल रंग, जावक, महावर, बेग़रज़ो।
खसी की मूत्रेन्द्रिय, थालता. लाख का अलगाना–स० कि० दे० ( हि० अलग ) रंग, लाक्षारस।। अलग करना, छाँटना, चुनना, जुदा करना, अलप-वि० दे० (सं० अल्प ) छोटा, दूर करना, हटाना, पृथक करना, थोड़ा, कम, न्यून । बिलगाना।
खंज्ञा, पु० (दे० ) असामयिक मृत्यु का योग अ० क्रि० अलग होना।
( भड्डर)। अलगानी-वि० स्त्री० पृथक हुई। " तू अति बपल अलप को संगी' मु० ! अलगाव-संज्ञा, पु० दे० (हि. अलग) अत्तपी-वि० (दे० ) अल्पकालीन मृत्यु. विलगता, पृथकता, जुदापन दिलगाव, योग वाला। पृथकत्व, भिन्नता, लगाव का अभाव । अलपाका-संहा, पु० दे० (स्पे० एलपका ) अलगबो-श्रलगाइना--संज्ञा, पु० (ब०) दक्षिणी अमेरिका में होने वाला एक ऊँट अलगाना, अलग करना, बिलगाना।
की तरह का जानवर, इसी जानवर का अलगोजा-संज्ञा, पु० (१०) एक प्रकार | ऊन, उससे बना हुया एक प्रकार का की बाँसुरी।
कपड़ा। अलचक ---वि० ० (सं० अलक्ष) अलफा-संज्ञा, पु० दे० (अ० ) एक प्रकार अलक्ष्य।
का बिना बाँहों वाला लम्बा कुरता। वि० दे० (सं० अ-+-लक्ष ) लाख नहीं, स्त्री० अत्तको कुरती, सलू का, बंडी। लक्षण-रहित, अलख ।
अलबत्ता--अव्य. ( अ० ) निस्पन्देह, " जानत न ब्रह्मह प्रमानत अलच्छ ताह" बेशक हाँ. बहत ठीक. निश्शंसय. लेकिन ऊ० श० ।
दुरुस्त, किन्तु, परन्तु । अलच्छन-संज्ञा, पु० दे० (सं० ।- " फैशन का लत्ता अलबत्ता फहराता है" लक्षण ) कुलक्षण, बुरे लनण या गुण, ---'सरस'। अशुभ चिन्ह, अपशकुन, असगुन (दे०)। अलविदा---संज्ञा, स्त्री. (अ.) बिदाई, अलच्छनी-वि० दे० (सं० अलक्षणी) प्रयाण । बुरे लक्षण वाला, कुल क्षणी, दुर्गुणी। अलबेला–वि० ० (सं० अलभ्य - ला-- स्त्री० अलच्छिनी--- बुरे लक्षणों वाली।। हि० प्रत्य० ) बांका, छैला, छैलछबीला, अलच्छित-वि० दे० (सं० अलक्षित) बनाठना, गुंडा, अनूठा, अनोखा, सुन्दर, अलक्षित, अगट, अप्रष्ट, गुप्त ।
अल्हड़, मनमौजी तरंगी, लापरवाह । अलज्ज---वि० (सं० ) निर्लज्ज, बेहया, स्त्री० अलबेली-छबीली, बनीठनी, बेशर्म, लज्जा-रहित, ( विलोम ) सलज्ज । सुन्दर। अलाज दे० वि०।
"नायिका नवेली अलबेली खेली नैहर सों।" अलड़-बलड़-वि० स्त्री० (सं० ) जड़, ! अलबलापन--- संज्ञा, पु० ( हि० अलबेला--- बकबादी, मूर्ख, निर्बुद्धि, अव्यवस्थित । पन--प्रत्य०) बाँकापन, सजधज, छैलापन,
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