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सचारना
सजन
सचारना-*-२० क्रि० दे० (सं० यथार्थ, वास्तविक, विशुद्ध, असली ।स्त्री०संचारणा ) फैलाना, प्रचार करना, चलाना, सच्ची । 'सच्चा सौदा कीजिये, अपने मन में प्रचलित करना । प्रे० रूप-सचरवाना। जानि" -कवी०।। सचिंत-वि. (सं० ) चिन्ता-युक्त, जिसे सच्चाई--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सच्चा --- आईचिन्ता हो. चिंतित ।
प्रत्य०) सत्यता, सच्चापन, यथार्थता, सचाई, सचिक्कण-वि० (सं० ) बहुत चिकना, । वास्तविकता। सचिकन (दे०)। संज्ञा, स्त्री-मचिक- सच्चापन---संज्ञा, पु. ( हि० सन्ना -- पनगाता।
__ प्रत्य०) सच्चाई, मत्यता, सचाई । सचिव-संज्ञा, पु. (सं०) मित्र, सहायक, मच्चिकन* - वि० द. ( सं० सचिक्कण ) मंत्री, घजीर (फा०), मिनिस्टर (अं०)। अत्यंत चिकना, मचिकण । “राम कुभाँति सचिव सँग जाही" | सच्चिदानंद-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सत्, -रामा० ।
चित् और प्रानन्द से युक्त, ब्रह्म, परमारमा, सची-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शची) परमेश्वर । इन्द्राणी, शची।
सच्छत-वि० दे० (सं० सक्षत ) घायल, सचीस-संज्ञा, पु० यौ० दे० ( सं० संचीश) जखमी, घाव-युक्त । इंद्र ।
सच्छंद* -- वि० दे० (सं० स्वच्छंद) स्वाधीन, सचु -संज्ञा, पु० (दे०) प्रपन्नता, सुख,
स्वतंत्र, स्वच्छंद । संज्ञा, स्वी० (दे०) श्रानंद, खुशी । “कब वह मुख बहुरौ ।
सच्छंदता। देखौंगी, कब वैसो सचु पैहौं'-सूर० । सच्छी,सान्छी-- संज्ञा, पु० दे० (सं० साक्षी) सचेत-वि० दे० (स० सचेतन ) चैतन्य,
साक्षी. गवाह, साखी (दे०) । जो होश में हो, जिसमें चेतना हो, चेतन,
सज-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० सजावट ) सजने चेतना-युक्त, होशियार, सजग, सावधान.
की क्रिया या भाव, सजावट, शोभा, सौंदर्य, सतर्क, चतुर । “बैठि बान सब सुनहुँ
शाल, डौल । यौ० सज धज । संज्ञा, पु० सचेतू "-रामा०।
(दे०) एक पेड़ । सचेतन-संज्ञा, पु० (सं०) जिसमें चेतना हो,
सजग-वि० दे० (सं० जागरण ) सचेत, जो जड़ न हो, चेतन, चैतन्य । वि.
सावधान, होशियार, सतर्क । संज्ञा, स्त्रीसतर्क, सावधान, सजग, चेतना-युक्त, समझ
सजगता । " होहु मजग सुनि श्रायुस दार, चतुर होशियार।
मोरा"--रामा०। सचेष्ट-वि० (सं०) जिसमें चेष्टा हो, जो चेष्टा करे।
सजदार-वि० दे० (हि० सज+दारसचौरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) स यता, सचाई, प्रत्य०) सुन्दर, अच्छी प्राकृतिवाला, सजासजावट ।
वट वाला, सजीला। सच्चरित, सच्चरित्र- वि० (सं०) अच्छे | सजधज-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० सज-धज-- चरित या चरित्र वाला, सुकर्मा । संज्ञा, स्त्री० अनु० ) सजावट, बनाव सिंगार। --सच्चरित्रता । “जो सच्चरित पूज्य सो सजन-संज्ञा, पु० दे० (सं० सत् + जन = सब को ऐसो कबिन बतायो "- वासु० । सज्जन ) सज्जन, सुजन (दे०) भलामानुस, सच्चा-वि० दे० ( सं० सत्य ) सत्यभाषी, शरीफ़ (फ़ा०) पति, स्वामी, भर्ता, प्रियतम, यथार्थावादी, सच बोलने वाला, ठीक, पूरा, मित्र, प्रेमी, यार , साजन (ग्रा०) । स्रो०
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