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सकलात
१६८२
सकेत
सकलात - संज्ञा, पु० (दे०) श्रोदने की | सकुचा - संज्ञा, स्त्री० दे० सं० (सं० संकोच)
रजाई, दुलाई, उपहार, भेंट, सौगात । सकसकाना सकसाना - अ० क्रि० (अनु० ) डर या भय से काँपना, भयभीत होना, डरना ।
लज्जा, संकोच, लाज शर्म । " सकुचि सीय तब नयन उधारे " रामा० । वि० (सं०) कुच-युक्त |
सकुचना-- ० क्रि० दे० (सं० संकोच) लज्जा करना, शरमाना, संकुचित होना या सिकुड़ना, संकोच करना, संपुटित या बंद होना ( फूल का ) ।
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सकुचाई - सकुचाई* -- संज्ञा, स्त्री० ६० (सं० संकोच ) शर्म, लज्जा, संकोच । सकुचाना- - अ० क्रि० दे० ( सं० संकोच ) संकोच करना, लज्जित होना, शरमाना । " अंगद वचन सुनत सकुचाना "रामा० । स० क्रि० (दे०) सिकोड़ना, (किसी को) संकुचित या लज्जित करना, सकुच्चावना । सकुची - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शकुल मत्स्य ) कछुआ 'जैसी एक मछली । अ० क्रि० स० भू० (दे०) लज्जित हुई, शरमाई । सकुची व्याकुलता बड़ि जानी " -रामा० । सकुचौहाँ - वि० दे० ( ० संकेाच) लजीला, संकोची, शर्मिन्दा । स्त्री० - मकुचोही । सकुन संज्ञा, पु० दे० (सं० शकुंत ) पत्ती, चिड़िया | संज्ञा, ५० दे० (सं० शकुन) शकुन, सगुन (दे०), शुभ चिन्ह । श्रवसर पाय सकुन सब नाचे " - रामा० । सकुनी - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० शकुंत ) पक्षी, चिड़िया | संज्ञा, पु० (दे०) शकुनि (सं०) कौरवों के मामा |
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सकाना ० क्रि० दे० (सं० शंका ) डरना, संदेह या शंका करना भय से संकोच करना, हिचकना, दुखी होना । स० क्रि० (दे०) सकना का प्रे० रूप ऋचि० ) । भूप-वचन सुनि सीय स्कानी " -
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रामा० ।
सकाम - संज्ञा, पु० (सं०) कामना या इच्छासहित, पूर्ण मनोरथ, काम वासना युक्त, कामी, फल प्राप्ति की इच्छा से कर्म करने वाला | संज्ञा, स्त्री० - सकामता । सकार – संज्ञा, पु० (सं०) स वर्ष | वि० (दे०) साकार | संज्ञा, पु० (दे०) प्रातःकाल,
कल ।
सकारना --- ग्र० क्रि० दे० (सं० स्वीकरण) मंजूर या स्वीकार करना, हुँडी की मंजूरी, हुँडी की मिती पूरी होने से एक दिन पूर्व उस पर हस्ताक्षर कर रुपया देना । स० रूप - सकराना. प्रे० रूपसकरवाना | सकार - संज्ञा, पु० (दे०) सबेरा, प्रभात | क्रि० वि० (दे०) सकारे । वि० (दे० ) साकार (सं० ) ।
सकारे सकारी - क्रि० वि० ३० (सं० सकाल ) प्रभात में, प्रातःकाल, सवेरे । यौ०—साँझ- सकारे । “भूप के द्वारे सकारे गयी " - क० रामा० । संज्ञा, उ० (दे०) सकार ।
सकाण - संज्ञा, पु० (सं०) समीप, पास, निकट, नियरे, नेरे ।
सकिलना- - प्र० क्रि० दे० ( हि० फिसलना या अनु० ) सरकना, हटना, सिमटना, खिसकना सिकुड़ना, संकुचित होना । स० रूप- सकिलाना, प्रे० रूप-सकिलवाना ।
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सकुपना* - अ० क्रि० दे० ( सं० संकेापन ) संकोपना, रोष या क्रोध करना । महनत-संज्ञा स्त्री० ( ० ) निवास स्थान, गृह, स्थान, रहाइस | सकृत् -- श्रव्य० (सं०) एक बार, एक दफा या मरतबा सदैव साथ, सह । यौ० -- सकृदपि ।
संकेत -- संज्ञा, पु० दे० (सं० संकेत ) संकेत, इशारा, प्रेमी-प्रेमिका के मिलने का पूर्व
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