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शोहदा
श्यामसुन्दर शोहदा-संज्ञा, पु. (अ.) गंडा, बदमाश, ब्रजभाषा निकली है, नागर या एक प्राचीन लुच्चा, लंपट, व्यभिचारी।
अपभ्रंश भाषा। शोहरत-संज्ञा, स्त्रो० अ०) ख्याति, प्रसिद्धि, शौरि-सज्ञा, पु० (सं०) श्री कृष्ण जी। नामवरी, धूम, जनरव, किंवदंनी। शौर्य--संज्ञा, पु० (सं०) शूरता, बहादुरी, शोहरा-संज्ञा, पु० (अ० शोहरत ) शोहरत, वीरता, धारभटी नामक वृत्ति (नाटक)। ख्याति, प्रसिद्धि, नामवरी, धूम।
शौहर ---संज्ञा, पु० फा०) भर्ता, स्त्री का शौंडिक-संज्ञा, पु० (सं०) कलवार जाति ।।
स्वामी, पति, मालिक, ख़ाविन्द । शौक-संज्ञा, पु. (अ.) किसी वस्तु के श्मशान -संज्ञा, पु० (सं०) मरघट, समउपयोग की तीब अभिलापा, प्राप्ति को सान, मसान (दे०)। लालसा, चाव, चाह । मुहा० --शौक़ श्मशान पति-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) शिव करना-प्रयोग या भोग करना । शौक जी, मसानपति (दे०), चांडाल, डोम । से-प्रसन्नतापूर्वक, श्राकांक्षा, हौसला, श्मश्रु-संज्ञा, पु० (सं०) मूंछ, मुँह या ओंठो व्यसन, चसका, प्रवृत्ति, मुकाप ।
पर के बाल, दाढ़ी, मूछ। शौकत-संज्ञा, स्त्री० (अ०) शान, सजधज,
श्याम--संज्ञा, पु. (सं०) श्री कृष्ण, कन्नौज ठाट बाट, ठाठ । यौ०-शान-शौकत ।।
से पश्चिम का देश (प्राची०), मेघ, भारत शौकिया-क्रि० वि० (अ०) शौक से, शौक
से पूर्व स्याम देश । वि०-साँवला, काला। के साथ, शौक के लिये।
संज्ञा, स्त्री०--श्यामता, श्यामलता। शौक़ीन-संज्ञा, पु० ( अ० शौक + ईन--
श्यामकर्ण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ऐसा प्रत्य० ) शौक करने वाला, बना-ठना या
घोड़ा जिनके एक या दोनों कान काले हों सजा रहने वाला। शौकीनी--संज्ञा, स्त्री० ( अ० शौकीन + ई
और मारा शरीर शेत हो, म्यागकरन प्रत्य० ) शोकीन होने का कार्य या भाव ।
(दे०)। " श्याम कर्ण अगनित हय होने " शौक्तिक-शाक्तिकेय-संज्ञा, पु. ( सं० )
..... रामा० । मोती।
श्यामजीरा--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) काली शौच-संज्ञा, पु० (सं०) पावनता, पवित्रता,
बाल वाला एक धान, काला यास्थाहजीरा । शुद्धता, स्वच्छता से रहना, शुद्ध जीवन
श्यामटीका-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० श्याम बिताना.प्रातः काल उठकर प्रथम करने के। टीका --- हि०) काजल का टीका जो कार्य, सौच (दे०), मल याग करना,
दृष्टि दोष के बचाने को लड़कों के माथे पर नहाना श्रादि । वि.-अशौच । “ सकल
लगाया जाता है, दिठौना (७०)। शौचकरि जाय अन्हाये"-रामा० । श्यामता-संज्ञा, खो. (सं० ) कृष्णता, शौत-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सपनो ) सपत्नी, कालिमा, साँवलापन', कालापन, उदासी, सवत, सवति (दे०)।
मलिनता, स्यामता, स्यामताई (दे०)। शोध-वि० दे० (सं० शुद्ध ) पवित्र, शुद्ध, " तवमूरित तेहि उर बसै, सोइ श्यामता निर्मल, स्वच्छ, सौध (दे०)।
भास"-रामा० । शौनक-संज्ञा, पु. (सं० ) एक पुराने ऋषि। श्यामन्त ---वि० (सं० ) साँवला. बाला । शौरसेन ---संज्ञा, पु. (सं०) बज-मंडल का सज्ञा, स्त्री० यानानता । " श्यामल गौर पुराना नाम:
सुभग दोउ बीरा "..-रामा० । शौरसेनी- संज्ञा, स्त्री० (सं०) शौरसेन प्रान्त | श्यामसुन्दर-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) श्री की प्राचीन प्राकृत भाषा या बोली जिससे कृष्ण जी, स्यामसँदर (दे०), एक वृक्ष ।
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