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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Me a n warooraemas शुक्रिया शुक्रिया-संज्ञा, पु. (फ़ा०) कृतज्ञता या दिखाकर या उसका निषेध कर उपमान धन्यवाद प्रकाश करना। __ की सत्यता ठहराई जाये ! शुक्ल-वि० (सं०) उज्वल, श्वेत, धवल, शुद्धि - संज्ञा, स्त्री० (सं०) स्वच्छता, सफाई, उजला, सफेद, शुभ्र, निर्दोष। संज्ञा, पु०-- अशुद्ध को शुद्ध करने के समय का कृत्य, ब्राह्मणों की एक पदवी, चाँद्र मास का | संस्कार या कार्य, मृतक अशौच के दूर द्वितीय पक्ष । संज्ञा, स्त्री०-शुक्लता। करने को १० वें दिन का कार्य । “ तदन्वये शुक्लपक्ष - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चाँद्र मास शुद्धिमति प्रसूतः शुद्धिमन्तरः" -- रघु० । का द्वितीय पन, अमावस्या के बाद की शुद्धिपत्र--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वह पत्र प्रतिपदा से पूर्णिमा तक का पत, उजेला जो पुस्तकादि की अशुद्धियों का सूचक पाख, सुदी (दे०) हो, शुद्धिभूचक लेख, शुद्धाशुद्ध-पत्र । शुक्लांवर-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) श्वेत वस्त्र । शुद्धोदन--संज्ञा, पु. (सं०) शाक्य-वंशीय "शुक्लांवरधरं विष्णु शशिवर्णं चतुर्भुजम्।” सुप्रसिद्ध गौतम बुद्धजी के पिता। शुक्ला-संज्ञा, स्त्रो० (सं०) सरस्वती। शुनः शेफ-संज्ञा, पु० (सं०) महर्षि शुक्लाभिमारिका--- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) ऋचीक के पुत्र एक ऋषि (वैदिक काल)। श्वेत वस्त्रादि पहिन चाँदनी रात में प्रिय-शुनासीर--संज्ञा, पु० (स.) इन्द्र । समीप जाने वाली नायिका ( काव्य.)। शुनि-संज्ञा , पु० (सं०) कुत्ता, स्वान । स्त्री० विलो० -- कृष्णाभिसारिका। शुनी। शुचि- संज्ञा, स्त्री० (सं०) पवित्रता, शुद्धता, शुबहा- संज्ञा, पु० (अ०) सदेह, शंका, स्वच्छता । वि० ----पवित्र, शुद्ध, स्वच्छ, शक, धोखा, भ्रम, वहम, सुभा (दे०)। सुचि (दे०)। "बोले शुचिमन लखन सन, शुभंकर, शुभकारक, शुभकारी वि. वचन समय अनुहार" ... रामा० । साफ (सं०) मंगल या कल्याण करने वाला। निर्दोष, स्वच्छ हृदय वाला । संज्ञा, स्त्री०- शुभ - वि० (सं०) मंगल-प्रद, कल्याणकारी, शुचिता। उत्तम, अच्छा, पवित्र, भला, इष्ट । संज्ञा, शुचिकर्मा-वि० यौ० ( सं० शुचिकर्मान् ) पु० मंगल, भलाई, कल्याण, सुभ (दे०)। कर्मनिष्ट. सदाचारी पवित्र कार्य करने “राज्य देन कहँ शुभ दिन साधा"वाला। रामा० । वि० ---शुभकारक, शुभकारी। शुची-वि० दे० (सं०) साफ़, पवित्र । शुभचिंतक - वि० यौ० (सं.) भलाई या शुतुरमुर्ग---संज्ञा, पु० यौ० (फ़ा०) ऊँट की मंगल चाहने वाला, शुभेन्छु । कल्याणासी गर्दन वाला बहुत बड़ा पसी। कांक्षी, हितैषी, खैरखाह । संज्ञा, पु०-शुभशुदनी- संज्ञा, स्त्री० [फा०) होनहार, होत- चिंतन। व्यता, भवितव्यता, होनी, नियति, भावी। शुभदर्शन--वि० यौ० (सं०) सुन्दर, मनोहर, शुद्ध --- वि० (सं०) स्वच्छ पवित्र, साफ़ मंगलमूर्ति । उज्वल, सफेद, सही, ठीक अशुद्धि हीन, शुभेच्छु-वि० यौ० (सं०) भला चाहने निर्दोष, खालिस, बिना मिलावट का । संज्ञा, वाला, हितैषी शुभाकांछी। संज्ञा, स्त्रीस्त्री०-शुद्धता। शुभेच्छा। शुद्ध पक्ष-संज्ञा, पु. यो० (सं.) शुक्ल पक्ष । शुभ्र-वि० सं०) श्वेत, उज्वल, धवल, शुद्धापह्नति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक सफेद, मुन्द्र (दे०)। “शुभ्राभ्र विभ्रम धरे अर्थालंकार जिसमें उपमेय को असत्य । शशांक-कर सुन्दरे -लो० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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